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कोडवा समुदाय

प्रतिवर्ष लगभग 300 कोडवा परिवार हॉकी, परंपरा और खेल कौशल के उत्सव के लिए कर्नाटक के कोडागु में इकट्ठा होते हैं।

कोडवा समुदाय के बारे में 

  • कोडवा समुदाय कर्नाटक के कोडगु के मूल निवासियों में से एक हैं। यह  समुदाय एक अल्पसंख्यक समुदाय है
  • वे स्वदेशी भूमि-स्वामी समुदाय होने के साथ ही शिकारियों एवं योद्धाओं की प्राचीन मार्शल परंपरा का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • कोडवा सांस्कृतिक परंपराएँ और प्रथाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से प्रसारित होती रहीं। 
    • कोडवा समुदाय ने अपनी अनूठी संस्कृति को बरकरार रखा है। 

भाषा 

  • कोडवाओं की भाषा कोडवा थक्क है जिसे भाषाविदों द्वारा एक स्वतंत्र द्रविड़ भाषा के रूप में स्थापित किया गया है। 
    • इसकी अपनी कोई लिपि नहीं है। यह कन्नड़ लिपि में लिखी जाती है।

वंश परंपरा 

  • प्रत्येक कोडवा एक बहिर्विवाही पितृवंशीय ओक्का (कबीले) का सदस्य है। 
    • जिनमें से प्रत्येक एक समान पूर्वज करणवा से संबंधित होने का दावा करता है। 
  • ओक्का के प्रत्येक सदस्य की पहचान उसके माने पेड़ा (घर का नाम या ओक्का का नाम) से होती है।

प्रकृति पूजा

  • कोडवा मुख्य रूप से पूर्वज और प्रकृति पूजक हैं। ओक्का के पहले पूर्वज या संस्थापक करणवा को भगवान के रूप में पूजा जाता है। 
  • कोडवा अपने पूर्वजों को अपनी मार्गदर्शक आत्मा और अपने बुजुर्गों को अपना जीवित मार्गदर्शक मानते हैं।
  • कोडवा प्रकृति के तत्वों सूर्य, अग्नि और जल की पूजा करते हैं। 
  •  ये आदिम वन मंदिरों में शिकार के देवता अयप्पा की भी पूजा करते हैं। 
  • कोडवाओं द्वारा प्रकृति पूजा का एक प्रमुख उदाहरण उनका देवकाड (पवित्र उपवन) है।
  • कालांतर में कोडवाओं को उनकी मार्शल परंपराओं के कारण क्षत्रिय के रूप में हिंदू धर्म में समाहित कर लिया गया। 

वेशभूषा

  • कोडवा महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक आभूषण विशिष्ट हैं और प्रकृति से प्रेरित होते हैं। 
    • इसमें मुख्य रूप से रिपुस वर्क का उपयोग किया जाता है जहाँ थोड़ी मात्रा में सोने को पीटकर पतले शीट में परिवर्तित कर वांछित पैटर्न में ढाला जाता है। 
  • कोडवा पुरुष कुप्या (लंबा काला या सफेद लपेटने वाला अंगरखा) पोषक धारण करते हैं  है। 
    • जिसमें लाल सोने वाले रेशम से कढ़ाई की जाती है।
  • अतीत में कुप्या अलग-अलग रंगों का होता था, इसकी सिलाई कोडवा महिलाओं द्वारा की जाती थी जो कढ़ाई में अपने कौशल के लिए प्रसिद्ध थीं। 
    • वर्तमान में पुरुष काले रंग की कुप्या पहनते हैं।

विरासत के रूप में हॉकी 

  • कोडवा हॉकी महोत्सव इस समुदाय की विरासत का केंद्र है।
  • यह कोडवाओं के लिए केवल एक खेल नहीं बल्कि उनकी एकता का प्रतीक है।
  •  यह उत्सव एक सेवानिवृत्त बैंकर पंडंडा कुट्टप्पा के दिमाग की उपज था, जिन्होंने इसे कोडवा समुदाय में विद्यमान वैमनस्य को कम करने के एक तरीके के रूप में देखा।
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