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नए पेंशन नियम की सीमाएँ

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ )
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : आंतरिक सुरक्षा, विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश)

संदर्भ 

हाल ही में, नए पेंशन नियम को अधिसूचित किया गया है। 

केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 

  • कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने 31 मई को केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) संशोधन नियम 2020 को अधिसूचित किया। वर्ष 1972 में पहली बार तैयार किये गए उक्त नियमों में 47 बार संशोधन किया गया है।
  • वर्ष 2008 में ‘भविष्य के अच्छे आचरण के अधीन पेंशन’ से संबंधित नियम 8 में पहली बार इस शर्त को शामिल करते हुए संशोधन किया गया था कि सेवानिवृत्त खुफिया और सुरक्षा अधिकारी ऐसी कोई भी सामग्री प्रकाशित नहीं करेंगे जो ‘भारत की संप्रभुता व अखंडता, सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या राज्य के आर्थिक हित या किसी विदेशी राज्य के साथ संबंध को प्रभावित करे या किसी हिंसा को भड़काए। 

वर्तमान संशोधन 

  • हालिया संशोधन में ‘संगठन के डोमेन, किसी भी कर्मचारी एवं उसके पदनाम के बारे में कोई संदर्भ या जानकारी और उस संगठन में काम करने से प्राप्त विशेषज्ञता या ज्ञान से संबंधित किसी भी जानकारी के प्रकाशन को शामिल करते हुए उसके दायरे का विस्तार किया गया है।
  • इसके लिये सेवानिवृत्त अधिकारियों को एक अंडरटेकिंग (फॉर्म 26) पर हस्ताक्षर करने और सक्षम प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन के बिना किसी भी जानकारी को प्रकाशित न करने की घोषणा करने की भी आवश्यकता होती है। 
  • ये नियम इंटेलिजेंस ब्यूरो, रॉ, राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO), भारतीय राजस्व सेवा (IRS), सीमा शुल्क अधिकारियों और सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत छूट प्राप्त अन्य सभी संगठनों, जैसे- राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद्, सचिवालय, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, सीमा सड़क संगठन आदि के सेवानिवृत्त अधिकारियों को कवर करेंगे। 

पेंशन की जब्ती 

  • इस नियम में सरकार की मंजूरी के बिना सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारियों द्वारा उस संगठन से संबंधित किसी भी जानकारी को प्रकाशित या उद्घाटित करने पर पेंशन लाभों को जब्त करने की चेतावनी दी गई है।
  • हालाँकि, ये नियम या चेतावनी आई.ए.एस., भारतीय विदेश सेवा, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों या सशस्त्र बलों में उनके समकक्षों पर लागू नहीं होंगे।
  • वर्ष 1999-2000 में रॉ का नेतृत्व करने वाले श्री दुलत ने वर्ष 2015 में ‘कश्मीर- द वाजपेयी इयर्स’ नामक पुस्तक लिखी। साथ ही, आईएसआई के पूर्व महानिदेशक असद दुर्रानी और पत्रकार आदित्य सिन्हा के साथ उन्होंने ‘स्पाई क्रॉनिकल्स: रॉ, आईएसआई एंड द इल्यूजन ऑफ पीस’ पुस्तक लिखी है। 

आलोचना 

  • सेवानिवृत्त अधिकारियों के अनुसार, इस तरह के प्रतिबंध पहले से ही मौजूद हैं और यह अधिसूचना अस्पष्ट थी और इसका प्रयोग सरकार के आलोचकों के विरुद्ध किये जाने की संभावना है। साथ ही, यह अधिसूचना कई लोगों के लेखन कौशल को भी हतोत्साहित करेगी। इस नियम को समान रूप से लागू किये जाने की माँग भी की जा रही ही।
  • सरकार के अनुसार, ये नियम स्पष्टता लाने के लिये लाए गए थे और इसका इरादा सदैव राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है।
  • हालाँकि, कोई व्यक्ति छद्म नाम से भी लेखन या प्रकाशन कर सकता है। इसके अतिरिक्त, खुफिया कर्मी ‘आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम’ के तहत पहले ही गोपनीयता को लेकर जीवन भर के लिये बाध्य हैं। 
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