New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM September Mid Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 22nd Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM September Mid Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 22nd Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

बायोचार का संभावित प्रभाव: एक टिकाऊ समाधान

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्यपरीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण)

संदर्भ

भारत में वर्ष 2026 में कार्बन मार्केट शुरू होने जा रहा है, जिसमें बायोचार जैसी CO2 हटाने वाली तकनीकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। भारत हर साल 600 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक कृषि अवशेष और 60 मिलियन टन से अधिक नगरपालिका ठोस कचरा उत्पन्न करता है। इनका अधिकांश हिस्सा खुले में जलाया जाता है या लैंडफिल में डंप किया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती हैं।

बायोचार क्या है

  • बायोचार एक कार्बन युक्त चारकोल है, जो कृषि अवशेषों और जैविक नगरपालिका ठोस कचरे से बनाया जाता है।
  • यह कचरे के प्रबंधन और कार्बन को अवशोषित करने का एक टिकाऊ तरीका है।
  • बायोचार मृदा में 100-1,000 वर्षों तक कार्बन को संग्रहित कर सकता है, जिससे यह एक प्रभावी दीर्घकालिक कार्बन सिंक बनता है।

इसके पीछे का विज्ञान

  • बायोचार को पायरोलिसिस प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है, जिसमें जैविक पदार्थों को उच्च तापमान पर ऑक्सीजन की कमी में गर्म किया जाता है।
  • यह प्रक्रिया कार्बन को स्थिर रूप में परिवर्तित करती है, जो मृदा में लंबे समय तक बना रहता है।
  • बायोचार की स्थिर संरचना इसे CO2 को अवशोषित करने और ग्रीनहाउस गैसों को कम करने में प्रभावी बनाती है।

बायोचार के लाभ

  • कृषि: मृदा की जल धारण क्षमता में सुधार, खासकर अर्ध-शुष्क और पोषक तत्वों की कमी वाली मृदा में।
    • नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में 30-50% की कमी, जो CO2 से 273 गुना अधिक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता रखता है।
    • मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ाकर निम्नीकृत मृदा का पुनर्जनन करना।
  • कार्बन अवशोषण: संशोधित बायोचार औद्योगिक निकास गैसों से CO2 को अवशोषित कर सकता है।
  • अपशिष्ट जल उपचार: एक किलोग्राम बायोचार 200-500 लीटर अपशिष्ट जल को शुद्ध कर सकता है।
  • निर्माण क्षेत्र: कंक्रीट में 2-5% बायोचार मिलाने से यांत्रिक शक्ति में सुधार और 115 किग्रा CO2 प्रति घन मीटर का अवशोषण।

बायोचार उत्पादन के उप-उत्पाद

  • सिनगैस: 20-30 मिलियन टन, जिसे बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • बायो-ऑयल: 24-40 मिलियन टन, जो डीजल या केरोसिन का विकल्प हो सकता है।

उप-उत्पादों से बिजली और ईंधन का निर्माण

  • सिनगैस से 8-13 टेरावाट-घंटे बिजली उत्पन्न की जा सकती है, जो भारत की वार्षिक बिजली उत्पादन का 0.5-0.7% है।
  • यह 0.4-0.7 मिलियन टन कोयले की जगह ले सकता है।
  • बायो-ऑयल से 12-19 मिलियन टन (या 8%) डीजल/केरोसिन का उत्पादन हो सकता है, जिससे कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी।
  • यह भारत के जीवाश्म ईंधन आधारित उत्सर्जन को 2% से अधिक कम कर सकता है।

बायोचार: निर्माण क्षेत्र में प्रमुख भूमिका

  • कंक्रीट में बायोचार मिलाने से:
    • यांत्रिक शक्ति में सुधार।
    • ताप प्रतिरोध में 20% की वृद्धि।
    • प्रति घन मीटर 115 किग्रा CO2 का अवशोषण, जिससे निर्माण सामग्री एक स्थिर कार्बन सिंक बनती है।
    • यह कम कार्बन वाली निर्माण सामग्री के रूप में टिकाऊ विकल्प प्रदान करता है।

बायोचार का कार्बन क्रेडिट सिस्टम में कम प्रतिनिधित्व क्यों

  • जलवायु नीति के बीच समन्वय की कमी।

बायोचार के बड़े पैमाने पर उपयोग के उपाय

  • अनुसंधान और विकास: क्षेत्र-विशिष्ट फीडस्टॉक मानकों और बायोमास उपयोग दरों को अनुकूलित करना।
  • नीतिगत एकीकरण: बायोचार को फसल अवशेष प्रबंधन, बायोऊर्जा पहल, और राज्य जलवायु योजनाओं में शामिल करना।
  • कार्बन क्रेडिट: बायोचार को भारतीय कार्बन मार्केट में मान्यता देकर निवेशकों और किसानों के लिए आय सृजन।
  • ग्रामीण रोजगार: ग्राम स्तर पर बायोचार उत्पादन उपकरण स्थापित करके 5.2 लाख रोजगार सृजन
  • जागरूकता: हितधारकों के बीच बायोचार के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

प्रमुख चुनौतियाँ

  • सीमित संसाधन और विकसित हो रही तकनीकें।
  • बाजार अनिश्चितताएँ और अपर्याप्त नीतिगत समर्थन।
  • बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल का अभाव।
  • हितधारकों में जागरूकता की कमी और नीतियों का असंगठित कार्यान्वयन।

आगे की राह

  • नीतिगत समर्थन: बायोचार को जलवायु और कृषि नीतियों में एकीकृत करना।
  • तकनीकी विकास: बायोचार उत्पादन और उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए अनुसंधान।
  • बाजार विकास: मानकीकृत फीडस्टॉक और कार्बन लेखांकन विधियों की स्थापना।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: किसानों और उद्यमियों को बायोचार के लाभ और उपयोग के लिए प्रशिक्षित करना।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X