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मीडिया का रिपोर्टिंग करने का अधिकार

(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय संविधान, राजनीतिक प्रणाली, लोकनीतिअधिकारों से संबंधित विषय)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2- भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना, संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय)

संदर्भ

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय चुनाव आयोग द्वारा दायर की गई उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायिक प्रक्रिया के दौरान मीडिया को रिपोर्टिंग करने से रोकने की बात कही गई थी।

पृष्ठभूमि

  • कुछ समय पूर्व तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। इस दौरान विभिन्न 'राजनीतिक रैलियों' व 'सामूहिक समारोहों' का आयोजन हुआ। इस कारण कोविड-19 महामारी के प्रसार तीव्र गति से हुआ। महामारी के प्रसार के लिये मद्रास उच्च न्यायालय ने भारतीय चुनाव आयोग को ज़िम्मेदार ठहराया है।
  • न्यायालय ने यह भी कहा कि विभिन्न कार्यक्रमों की अनुमति देने के लिये चुनाव आयोग के साथ-साथ मतदान अधिकारियों पर भी आरोप तय किये जाने चाहियें।
  • मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले की रिपोर्टिंग करने से न तो मीडिया को प्रतिबंधित किया और न ही अपनी टिप्पणी को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की। ऐसी स्थिति में भारतीय चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायलय में अपील की थी। याचिका में यह भी कहा गया था कि चुनाव आयोग के अधिकारियों के खिलाफ "हत्या" के मामले भी दर्ज़ किये गए थे।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय

  • उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि न्यायिक सुनवाई के दौरान की जाने वाली बहस के प्रसारण या रिपोर्टिंग से मीडिया को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
  • न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों तथा वकीलों के मध्य होने वाले वाद-विवाद एवं न्यायिक कार्यवाही का मीडिया द्वारा वास्तविक प्रसारण करना ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार’ का हिस्सा है। मीडिया के माध्यम से लोगों को किसी मुद्दे की वास्तविक समय में व्यापक जानकारी प्राप्त होती है। वस्तुतः यह मीडिया को प्रदत्त ‘भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का विस्तार है।
  • न्यायालय ने माना कि बाल यौन शोषण तथा वैवाहिक मुद्दों से संबंधित मामलों को छोड़कर, शेष मामलों में मीडिया को न्यायिक कार्यवाहियों की रिपोर्टिंग करने का अधिकार प्राप्त है।
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि चुनाव आयोग तथा उच्च न्यायालय दोनों संवैधानिक निकाय हैं तथा इस मामले में न्यायिक कार्यवाही का ईमानदारी से तथा वास्तविक समय में प्रसारण करना मीडिया की शक्ति को दर्शाता है।
  • न्यायपालिका ने माना कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि न्यायिक कार्यवाहियों के दौरान कौन-कौन-से बिंदुओं पर बहस हुई। मीडिया ने कई बार ऐसे मामलों की अदालती कार्यवाही का भी प्रसारण किया है, जो व्यापक जन-महत्त्व की थी। इसने न्यायिक व्यवस्था में जन-विश्वास तथा न्यायपालिका की अखंडता को बढ़ाया है।
  • कुछ समय पूर्व, न्याय के वितरण में सार्वजनिक भागीदारी बढ़ाने के लिये गुजरात उच्च न्यायालय ने न्यायिक कार्यवाही के लाइव प्रसारण की शुरुआत की है। सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय की इस पहल की भी तारीफ की।

सावधानी की आवश्यकता

  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों को खुली अदालत में बिना सोचे समझे (off-the-cuff) कोई टिप्पणी करने से बचना चाहिये क्योंकि ऐसा करना नए विवाद को जन्म दे सकता है।
  • न्यायपालिका ने कहा कि न्यायिक कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा तथा उनके निर्णयों की भाषा न्यायिक स्वामित्व से मेल खानी चाहिये।
  • शीर्ष अदालत ने माना कि ‘भाषा’ न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण अंग होती है तथा यह संवैधानिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील होती है।

भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI)

  • यह एक स्थायी व स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना 25 जनवरी, 1950 को हुई थी। इसी उपलक्ष्य में 25 जनवरी का दिन ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
  • भारतीय संविधान में भाग 15 के अंतर्गत अनुच्छेद 324 से 329 भारतीय निर्वाचन आयोग से संबंधित हैं।
  • इसका मुख्य कार्य भारत में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानमंडलों, राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण करना है।
  • उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान में स्थानीय निकायों के चुनाव संपन्न कराने की ज़िम्मेदारी ‘राज्य निर्वाचन आयोग’ को दी गई है।

 उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय

  • भारतीय संविधान के भाग 5 में अनुच्छेद 124 से 147 तक में उच्चतम न्यायालय के गठन, स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियाँ, प्रक्रिया आदि का उल्लेख किया गया है।
  • वर्ष 2019 में ‘उच्चतम न्यायालय न्यायाधीशों की संख्या (संशोधन) अधिनियम’ पारित किया गया था। इसके बाद से वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की कुल अधिकृत संख्या 34 है।
  • भारतीय संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 214 से 231 तक में उच्च न्यायालयों के गठन, स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियाँ, प्रक्रिया आदि का उल्लेख किया गया है।
  • वर्तमान में भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय उपस्थित हैं। इनमें से केवल तीन उच्च न्यायालयों का क्षेत्राधिकार एक से अधिक राज्यों तक विस्तृत है।
  • ‘दिल्ली’ एकमात्र ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है, जिसका स्वयं का उच्च न्यायालय है।
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