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तमिलनाडु में नवपाषाण युग के बच्चों की कब्रगाह की खोज 

प्रारम्भिक परीक्षातमिलनाडु में नवपाषाण युग के बच्चों की कब्रगाह की खोज
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 (भारतीय इतिहास एवं संस्कृति) 

संदर्भ

मद्रास विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के छात्रों और प्रोफेसरों ने चेंगलपट्टू के चेट्टिमेदु पाथुर में एक बच्चे के प्राचीन दफन स्थल का पता लगाया है।

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प्रमुख बिंदु :-

  • इस कंकाल के बगल में एक बर्तन पाया गया है, जिसे नवपाषाण काल का बताया गया है।        
  • इस कंकाल की सही उम्र का पता लगाने के लिए इसे भारत में विभिन्न प्रयोगशालाओं में डेटिंग के लिए भेजा जाएगा।
  • संभवतः इस बच्चे की उम्र 9 से 11 साल के बीच हो सकती है। 

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  • नवपाषाण काल के जले हुए लाल मृदभांड, जले हुए भूरे मृदभांड और लंबी गर्दन तथा चौड़े मुंह वाले लाल मृदभांड के कई टुकड़े भी पाए गए हैं। 
  • यह पहली बार है जब तमिलनाडु के इस क्षेत्र में इस प्रकार का सामान मिला है।
  • यहाँ पर लगभग तीन साल पहले उत्खनन प्रभारी एवं प्रोफेसर जिनु कोशी द्वारा बहु-सांस्कृतिक चरणों वाले एक छोटे से आवास टीले की खोज की गई थी। 
  • इसके बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से साइट का अध्ययन करने की अनुमति दी गई ।
  • चेट्टीमेदु पाथुर में सांस्कृतिक अनुक्रम को समझने के लिए भौतिक साक्ष्य और परतों को पांच सांस्कृतिक अवधियों में विभाजित किया गया है – 
    • पूरक काल
    • चोल काल 
    • संगम काल 
    • लौह युग 
    • नवपाषाण काल।

Neolithic-age

नव पाषाण काल (Neolithic age) :-

  • नवपाषाणकाल का अर्थ एक ऐसा युग से है जो पाषाण काल के सबसे अंत में आया और मानवीय जीवन को स्थायी रूप से परिवर्तित कर दिया।
  • नवपाषाण युग की शुरुआत का काल पुरे विश्व में एक समान नहीं हुआ है।
  • भारत में इसका काल की शुरुआत 4000 ई.पू. से 2500 ई.पू के आस पास मानी जाता है। 
  • दक्षिण भारत में इसे 1000 ई.पू के आस पास माना जाता है।
  • नवपाषाणकाल शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम जान लुवाक ने वर्ष 1865 में अपनी पुस्तक 'प्री हिस्टोरिक टाइम्स' में किया। 
  • गार्डन चाइल्ड ने नव पाषाण काल के लिए क्रांति शब्द का प्रयोग किया है क्योंकि मानव का खानाबदोश शिकारी जीवन परिवर्तित होकर स्थायी हो गया। 
  • गार्डन चाइल्ड ने इसे अन्न उत्पादक अर्थव्यवस्था के रूप में वर्णित किया है।
  • नवपाषाण काल के प्रथम प्रस्तर उपकरण को उ. प्र. के टोंस नदी घाटी में सर्वप्रथम 1860 ई. लेन्मेसुरियर ने प्राप्त किया गया।
  • भारतीय उपमहाद्वीप में नवपाषाण युगीन प्राचीनतम बस्ती पाकिस्तान में स्थित ब्लूचिस्तान प्रान्त में मेहरगढ़ में है।

नवपाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं :-

  • खेती की शुरूआत। 
  • ओखली, मूसल एवं सिलवट्टे का प्रयोग। 
  • पहिए का आविष्कार हुआ। 
  • मृदभाण्ड का निर्माण।
  • उपकरण सुडौल, सूक्ष्म व पालिश युक्त।
  • कुठारी एवं कुल्हाड़ी इस युग प्रमुख उपकरण।
  • श्रम विभाजन। 
  • व्यक्तिगत सम्पत्ति की भावना का विकास।
  • समाज पितृसत्तात्मक। 
  • मातृदेवी की उपासना प्रारम्भ।
  • पुनर्जन्म में विश्वास । 
  • ग्राम्य संस्कृति।
  • कास्ययुगीन शहरी संस्कृति।
  • शावाधान संस्कार आदि।

नव पाषाण काल (Neolithic age) के साक्ष्य :-

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  • मेहरगढ़ से जौ की दो, गेहूँ की तीन किस्मे तथा खजूर एवं कपास खेती की साक्ष्य (विश्व में प्रथम) प्राप्त हुए है।
  • महगड़ा तथा पंचोह से मिले बर्तनों में एक विशिष्ट बर्तन रस्सी की छाप वाला है।
  • कुचाई नामक स्थल से पालिशदार प्रस्तर कुल्हाड़ियां प्राप्त हुई है।
  • बुर्जहोम एवं गुफ्फकराल से गर्त निवास के साक्ष्य प्राप्त हुए है।
  • बुर्जहोम से एक समाधि स्थल से मालिक के साथ उसके पालतू कुत्ते के दफनाने का साक्ष्य मिला है।
  • गुफकराल से उपकरणों के साथ सिलबट्टा व हड्डी की सूइयां मिली है।
  • चोपानीमांडो से मृदभाण्ड प्रयोग के विषय में प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं।
  • कर्नाटक के टेक्कलकोट से सोना मिला है।
  • कोल्डिहवा से धान की खेती का प्रमाण (7000-6000 ई.पू.) मिला है। 
  • लहुरादेव (संत कबीर नगर-उ.प्र.) से 8000 ई.पू. धान की खेती का साक्ष्य मिला, जो दुनिया में प्राचीनतम है। 
  • कोल्डिहवा से वन्य एवं कृषिजन्य दोनों प्रकार के चावल का साक्ष्य मिला है।
  • बेलनघाटी में चोपानीमाण्डों से 3 किलोमीटर दूर महगड़ा/महागढ़ा से गोशाला (पशुओं का विशाल बाड़ा) का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
  • दक्षिण भारत से उगाई जाने वाली पहली फसल रागी थी। 
  • दक्षिण भारत में नवपाषाण काल 1000 ई.पू., तक चलता रहा। 
  • इसी समय यहा महापाषाणिक संस्कृति का उदय हुआ।
  • दक्षिण भारत में शवाधान घर के अंदर मिले हैं पर नागार्जुनकोडा अपवाद है जहां कब्रिस्तान आवासीय क्षेत्र से बाहर मिला है।
  • बुर्जहोम एवं चिराद (बिहार) से पत्थर के साथ हड्डी के व्यापक उपकरण प्राप्त हुए है।
  • झूम खेती का प्राचीनतम साक्ष्य मेघालय के दाओजाली हार्डिंग से मिला है।
  • मालवाहक पशुओं के इस्तेमाल का प्रमाण नागार्जुनकोडा से प्राप्त हुआ है। 
  • यहीं से नव पाषाण कालीन युगल शवाधान भी मिला है।
  • आंध्र के उनूर से कपड़ा निर्माण का साक्ष्य मिला है।
  • आजादी के बाद खोजा गया प्रथम नवपाषाणिक स्थल है ब्रह्मगिरि (कर्नाटक) है।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : हाल ही में मद्रास विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के द्वारा किस राज्य में नवपाषाण युग के बच्चों की कब्रगाह की खोज की गई है ?  

(a) कर्नाटक

(b) तेलंगाना 

(c) आंध्र प्रदेश

(d) तमिलनाडु  

उत्तर (d)

स्रोत : The NEW Indian EXPRESS

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