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वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिये भागीदारी

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)

संदर्भ

हाल ही में, जर्मनी में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिये भागीदारी (Partnership for Global Infrastructure and Investment :PGII) पहल की शुरुआत की गई।

क्या है पी.जी.आई.आई.

  • यह विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये शुरू की गई एक संयुक्त पहल है। इस पहल का लक्ष्य वर्ष 2027 तक जी-7 देशों से लगभग 600 बिलियन डॉलर की धनराशि जुटाना है। 
  • यह पहल जलवायु परिवर्तन-लचीला बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर केंद्रित है। साथ ही, लैंगिक समानता तथा स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे के विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक है। 
  • विदित है कि इस योजना की घोषणा सर्वप्रथम विगत वर्ष यूनाइटेड किंगडम में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी। उस समय, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) फ्रेमवर्क की संज्ञा दी थी। 

पहल के अंतर्गत धनराशि का निर्देशन

  • इस पहल के अंतर्गत वित्तपोषण को सहायता या दान के रूप में नहीं, बल्कि ऋण के रूप में प्रदान किया जाएगा, जो दोनों देशों (ऋणदाता एवं ऋणप्राप्तकर्ता) के लिये लाभकारी होगा।
  • यू.एस.इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन भारत में ओमनिवोर एग्रीटेक एंड क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी कोष- 3 में 30 मिलियन डॉलर तक का निवेश करेगा।
  • विदित है कि इस कोष को ‘प्रभाव उद्यम पूंजी कोष’ (Impact Venture Capital Fund) के रूप में वर्णित किया गया है जो कृषि के भविष्य का निर्माण करने वाले उद्यमियों, खाद्य प्रणाली, जलवायु और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश करता है।  
  • इस कोष से उन क्षेत्रों में निवेश किया जाएगा जिससे खाद्य सुरक्षा में वृद्धि और भारत में जलवायु लचीलापन एवं अनुकूलन को बढ़ावा दिया जा सकें। साथ ही, छोटे जोत वाले कृषकों की लाभप्रदता एवं कृषि उत्पादकता में सुधार हो सकें।
  • भारत के अतिरिक्त, पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया एवं दक्षिण अमेरिका के देशों में भी परियोजनाओं की घोषणा की गई है। 

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का प्रत्युत्तर

  • पी.जी.आई.आई. पहल को चीन के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (Belt and Road Initiative: BRI) के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जा रहा है।
  • इन दोनों पहलों का घोषित उद्देश्य वैश्विक व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये  सड़कों, बंदरगाहों, पुलों, संचार व्यवस्थाओं आदि महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के निर्माण हेतु देशों को सुरक्षित वित्त पोषण उपलब्ध कराना है।

क्या है बी.आर.आई. 

  • वर्ष 2013 में चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव शुरू किया था। इसका उद्देश्य यूरोप में रोम से लेकर पूर्वी एशिया तक प्राचीन व्यापार मार्गों को पुनर्जीवित करना है।  
  • इसके तहत चीन ने विभिन्न देशों को बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये ऋण उपलब्ध कराने में सहायता की और कई परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को कार्य करने के लिये ठेके दिये गए। 
  • हालाँकि, पश्चिमी देशों के अनुसार चीन की यह पहल उन देशों को अस्थिर ऋण प्रदान करने से संबंधित हैं, जिसे चुकाने में ये देश असमर्थ होंगे। 
  • विदित है कि भारत भी चीन के बी.आर.आई. का विरोध करता है, क्योंकि इसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शामिल है, जो चीन के काशगर को पाक अधिकृत कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है। 

बी.आर.आई. और जी-7 देश

  • जहाँ एक तरफ अमेरिका बी.आर.आई. की आलोचना करता रहा है, वहीं जी-7 के अन्य देशों ने इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। 
  • इटली वर्ष 2019 में बी.आर.आई. में शामिल होने वाला पहला जी-7 सदस्य बन गया।
  • जर्मनी और फ्रांस बी.आर.आई. में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हैं, लेकिन चीन के साथ रेल नेटवर्क एवं अन्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के निर्माण में भागीदारी करते हैं।
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