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अमेरिका की गोल्डन डोम पहल

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय)

संदर्भ 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘गोल्डन डोम’ नामक एक नई राष्ट्रीय रक्षा पहल का अनावरण किया है। 

गोल्डन डोम के बारे में 

  • क्या है : अंतरिक्ष-आधारित मिसाइल सुरक्षा तंत्र जिसे बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक एवं कक्षीय खतरों से बचाव के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
  • लागत : 175 अरब डॉलर
  •  इस योजना में उपग्रह इंटरसेप्टर्स का एक समूह तैनात करना शामिल है, जो संभवतः गतिज या निर्देशित-ऊर्जा हथियारों से लैस होंगे, ताकि अमेरिका के लिए एक सुरक्षात्मक परत बनाई जा सके।

संबंधित मुद्दे 

बाह्य अंतरिक्ष संधि की सीमाओं को चुनौती

  • बाह्य अंतरिक्ष संधि (OST), 1967 का अनुच्छेद IV ‘परमाणु हथियारों या अन्य सामूहिक विनाश के हथियारों’ को कक्षा में स्थापित करने या उन्हें ‘किसी अन्य तरीके से बाह्य अंतरिक्ष में’ तैनात करने पर प्रतिबंध लगाता है। 
  • यह संधि यह भी अनिवार्य करती है कि खगोलीय पिंडों का उपयोग ‘केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए’ किया जाएगा।
  • इस संधि के अनुसार, सैन्य ठिकानों व प्रतिष्ठानों की स्थापना, किसी भी प्रकार के हथियारों का परीक्षण और खगोलीय पिंडों पर सैन्य युद्धाभ्यास करना निषिद्ध होगा। 
    • हालाँकि, वैज्ञानिक अनुसंधान या किसी अन्य शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए सैन्य कर्मियों का उपयोग निषिद्ध नहीं है। 
    • चंद्रमा एवं अन्य खगोलीय पिंडों का शांतिपूर्ण अन्वेषण करने के लिए आवश्यक किसी भी उपकरण या सुविधा का उपयोग भी निषिद्ध नहीं है (अनुच्छेद IV)।
  • गोल्डन डोम के इंटरसेप्टर को सामूहिक विनाश के हथियारों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है, इसलिए वे अनुच्छेद IV के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करते हैं। 
    • हालाँकि, शस्त्र नियंत्रण में किसी हथियार के तकनीकी विवरण या आधिकारिक वर्गीकरण पर व्यावहारिक परिणाम को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। 
    • इसका अर्थ है कि किसी हथियार का नाम उसके वास्तविक सामरिक प्रभाव से कम मायने रखता है।
  • यदि गतिज इंटरसेप्टर का उपयोग मिसाइलों या उपग्रहों को निष्क्रिय या नष्ट करने के लिए किया जाता है तो उनका प्रभाव अंतरिक्ष में शक्ति संतुलन को मौलिक रूप से बदल सकता है।
    • यह बाह्य अंतरिक्ष में शक्ति की गतिशीलता में एक महत्वपूर्ण एवं अस्थिरकारी बदलाव को जन्म दे सकता है।

दोहरे उपयोग वाली प्रणाली 

यह प्रणाली दोहरे उपयोग की अस्पष्टता से ग्रस्त हैं। एक गतिज इंटरसेप्टर स्पष्ट रूप से मिसाइल सुरक्षा के लिए है, जिसमें यह अंतर्निहित क्षमता होती है कि उसे तुरंत किसी विरोधी के महत्वपूर्ण संचार या निगरानी उपग्रहों को निष्क्रिय करने के लिए पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

अंतरिक्ष में सैन्य प्रतिस्पर्धा 

  • यदि अमेरिका बाह्य अंतरिक्ष संधि का उल्लंघन करता है, तो चीन, रूस एवं अन्य देश भी ऐसा ही कर सकते हैं। 
    • इससे कक्षीय हथियारों की होड़ का एक अस्थिर चक्र शुरू हो सकता है जिससे छोटे देशों को साइबर हमलों, जैमिंग या यहाँ तक कि जानबूझकर कक्षा में मलबा उत्पन्न करने जैसी असममित क्षमताओं का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

भारत पर प्रभाव 

  • एक उभरती हुई अंतरिक्ष शक्ति एवं उपग्रह ट्रैकिंग तथा अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता में एक प्रमुख अमेरिकी भागीदार होने के कारण भारत अब स्वयं को सामरिक रूप से एकजुट किंतु मानदंडों के मामले में संघर्षरत पाता है।
  • मलबे की निगरानी जैसे क्षेत्रों में मौन सहयोग भारत को गोल्डन डोम के रणनीतिक पारिस्थितिकी तंत्र की मौन स्वीकृति को दर्शा सकता है। 
    • हालाँकि, भारत शांतिपूर्ण अंतरिक्ष उपयोग का मुखर समर्थक है। इसने लगातार समतापूर्ण एवं विसैन्यीकृत अंतरिक्ष शासन की वकालत करते हुए खुद को वैश्विक दक्षिण के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया है।
  • गोल्डन डोम का समर्थन करना उस विश्वसनीयता को कम कर सकता है, जिससे एक जिम्मेदार राष्ट्र एवं भविष्य की अंतरिक्ष संधि वार्ताओं में एक संभावित मानदंड-निर्धारक के रूप में भारत की छवि को नुकसान पहुँच सकता है। 
  • भारत के लंबित अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक के संदर्भ में यह दुविधा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह विधेयक दोहरे उपयोग वाले प्लेटफार्मों, निजी क्षेत्र की भागीदारी और संधि अनुपालन को परिभाषित एवं विनियमित करता है।
  • इस प्रकार गोल्डन डोम एक अमेरिकी नीतिगत मुद्दे से कहीं अधिक है। यह भारत की अपनी कानूनी एवं कूटनीतिक स्थिति के लिए एक अग्निपरीक्षा है और अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक की दिशा तथा विषय-वस्तु को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।

आगे की राह 

  • भारत जैसे रणनीतिक साझेदारों को, समान विचारधारा वाले देशों के साथ, विशेष रूप से  बाह्य अंतरिक्ष संधि के दोहरे उपयोग व पारंपरिक अंतरिक्ष-आधारित हथियारों से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट व आधुनिक बनाने पर ज़ोर देना चाहिए। 
  • अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती न करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरणों की वकालत अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिशा में अस्पष्टता तथा अविश्वास को कम करने के लिए सैन्य अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिए व्यापक पारदर्शिता तंत्र स्थापित करके इसे और भी मज़बूत किया जाना चाहिए।
  • भारत के अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक जैसे राष्ट्रीय कानूनों में अंतरिक्ष में रक्षा सहयोग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश शामिल होने चाहिए, जिससे घरेलू व वैश्विक स्तर पर उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार को बढ़ावा मिले।
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