चर्चा में क्यों ?
भारत इलेक्ट्रिक वाहन (ई.वी.) मालिकों को उपयोग में लाई जा रही बैटरियों के बारे में विस्तृत डिजिटल जानकारी देने के लिए "बैटरी पासपोर्ट" प्रणाली शुरू करने जा रहा है।

भारत की "बैटरी पासपोर्ट" प्रणाली के बारे में:
- बैटरी पासपोर्ट एक डिजिटल दस्तावेज़ है जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में प्रयुक्त प्रत्येक बैटरी के बारे में पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है।
- यह जानकारी एक क्यूआर कोड में समाहित होती है जिसे बैटरी पर छापा जाएगा।
उद्देश्य :
- उपभोक्ताओं को बैटरी से संबंधित सटीक, पारदर्शी और प्रमाणित जानकारी देना।
- EV बाजार में गुणवत्ता, सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ाना।
- EV उद्योग में निर्यात और निवेश को प्रोत्साहन देना।
बैटरी पासपोर्ट में क्या-क्या जानकारी होगी?
- यह प्रणाली प्रत्येक बैटरी के निम्नलिखित तकनीकी और व्यावसायिक विवरण को रिकॉर्ड करती है:
- बैटरी का स्रोत: यह किस कंपनी या संयंत्र में बनी है।
- संरचना: सेल्स, केमिकल कॉम्पोज़िशन, क्षमता आदि।
- प्रदर्शन: बैटरी का चार्ज-डिस्चार्ज साइकिल, दक्षता।
- जीवनचक्र: कितनी अवधि तक बैटरी कार्यक्षम रहेगी।
- आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain): इसमें प्रयुक्त धातु व कच्चे माल की उत्पत्ति।
क्यूआर कोड आधारित पहचान:
- प्रत्येक बैटरी पर एक QR Code चस्पा होगा।
- उपभोक्ता इसे स्कैन करके सारी जानकारी देख सकेंगे।
- यह प्रणाली एक तरह से ‘बैटरी का आधार कार्ड’ है।
बैटरी स्वैपिंग में योगदान:
- आगामी बैटरी-स्वैपिंग नीति में यह प्रणाली महत्वपूर्ण होगी।
- उपभोक्ता किसी भी स्वैपिंग स्टेशन पर जाकर बैटरी का विवरण देख सकेंगे, जैसे:
बैटरी कब बनी?
- उसकी वर्तमान स्थिति क्या है?
- वह कितने चक्रों तक इस्तेमाल हो चुकी है?
भारत के लिए वैश्विक अवसर:
- यह प्रणाली भारत को EV तकनीक में अग्रणी राष्ट्र बना सकती है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की ईवी बैटरी की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
- निर्यात क्षमता को बल मिलेगा।
भावी दिशा :
- बैटरी पासपोर्ट प्रणाली को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की योजना है।
- इसका उपयोग 2-व्हीलर, 3-व्हीलर और 4-व्हीलर सभी ईवी में होगा।
- इससे ईवी अपनाने की गति और पारिस्थितिक लाभ में तेजी आएगी।
प्रश्न.भारत की "बैटरी पासपोर्ट प्रणाली" किस क्षेत्र से संबंधित है?
(a) स्वास्थ्य
(b) इलेक्ट्रिक वाहन
(c) बैंकिंग
(d) अंतरिक्ष विज्ञान
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