चर्चा में क्यों?
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘कार्नैक ब्रिज’ का नाम बदलकर ‘सिंदूर पुल’ रखा गया।

प्रमुख बिंदु:
- नाम परिवर्तन का उद्देश्य
- ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के सम्मान में नामकरण।
- औपनिवेशिक गवर्नर जेम्स रिवेट-कार्नैक की स्मृति को हटाना,जिन पर भारतीयों पर अत्याचार के आरोप लगे थे।
- भारतीय सैन्य बलों की वीरता और राष्ट्रवादी भावना को सम्मान देना।
- ऑपरेशन सिंदूर
- जुलाई 2025 में भारत द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों पर चलाया गया सैन्य अभियान।
- यह मिशन आतंकवाद के विरुद्ध सशक्त सैन्य प्रतिकार का प्रतीक बन गया।
- इस अभियान की सफलता को ‘सिंदूर पुल’ के माध्यम से अमर किया गया।
पुल का उद्घाटन और निर्माण विवरण
विशेषता
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विवरण
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उद्घाटन
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10 जुलाई, 2025 – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा
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पूर्व नाम
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कार्नैक ब्रिज (निर्माण – 1868)
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नया नाम
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सिंदूर पुल
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लंबाई
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328 मीटर
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लेन
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चार लेन, भारी यातायात के लिए उपयुक्त
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स्थान
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मुंबई – क्रॉफर्ड मार्केट, कालबादेवी, धोबी तालाब से जुड़ा क्षेत्र
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औपनिवेशिक पृष्ठभूमि: जेम्स रिवेट-कार्नैक
- 1839-1841 के बीच बॉम्बे प्रेसीडेंसी के गवर्नर रहे।
- प्रबोधनकार ठाकरे द्वारा लिखे लेखों में उन पर छत्रपति प्रताप सिंह राजे और रंगो बापूजी के खिलाफ षड्यंत्र के आरोप।
- ऐसे नामों को मिटाना भारत के इतिहास के पुनर्लेखन का भाग है।
प्रश्न. ‘कार्नैक ब्रिज’ का नाम बदलकर किस नाम से रखा गया है?
(a) विजय सेतु
(b) वीर सेना पुल
(c) सिंदूर पुल
(d) स्वतंत्रता सेतु
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