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रेलवे इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम

प्रारंभिक परीक्षा - इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।

सन्दर्भ 

  • हाल ही में, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा कहा गया कि बालासोर रेल दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव के कारण हुई है। 

बालासोर रेल हादसा

Interlocking-system

  • 2 जून को ओडिशा के बालासोर जिले में कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हो गई थी।
  • बालासोर जिले के एक स्टेशन के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस की टक्कर एक मालगाड़ी से हो गई थी।
  • चूंकि मालगाड़ी लौह अयस्क ले जा रही थी, इसलिए सबसे ज्यादा नुकसान कोरोमंडल एक्सप्रेस को हुआ।
  • कोरोमंडल एक्सप्रेस की पटरी से उतरी बोगियां डाउन लाइन पर आ गईं और डाउन लाइन से गुजर रही यशवंतपुर एक्सप्रेस की दो बोगियों से टकरा गईं।

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम क्या है और यह कैसे काम करता है?

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  • इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम, एक सुरक्षा प्रणाली है, जो ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सिग्नल और स्विच के बीच ऑपरेटिंग सिस्टम को नियंत्रित करती है। 
  • इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नल अरेंजमेंट की एक व्यवस्था है, जो लाइन और ट्रेनों के बीच एक ऐसा सिस्टम तैयार करती है, जो ट्रेनों की टक्कर होने से बचाती है।
  • जब एक ट्रेन रेल नेटवर्क पर चलती है, तो उसके पास एक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम द्वारा प्रशिक्षित संकेतक (trained sensor) होते हैं।
    • ये सेंसर ट्रेन की स्थिति, गति और अन्य जानकारी को मापते हैं और इस जानकारी को सिग्नलिंग सिस्टम को भेजते हैं।
  • सिग्नलिंग सिस्टम फिर उस ट्रेन के लिए उचित संकेत जारी करता है, जिससे ट्रेन की गति, रुकावट और दूसरे सेंसर को कंट्रोल किया जाता है। 
  • यह प्रक्रिया लगातार होती रहती है, जिससे ट्रेनों को उचित संकेत प्राप्त होते रहते हैं और ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित होती रहती है। 
  • इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की वजह से किसी भी ट्रेन को तब तक आगे बढ़ने का सिग्नल नहीं मिलता जब तक लाइन क्लियर ना हो।
  • अगर लूप लाइन सेट है, तो लोको पायलट को मेन लाइन का सिग्नल नहीं मिलेगा, वहीं, अगर मेन लाइन सेट है, तो लूप लाइन का सिग्नल नहीं मिलेगा।

कवच प्रणाली

  • कवच, अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (Automatic Train Protection : ATP) प्रणाली है।  
  • यह लोकोमोटिव में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान उपकरणों का एक सेट है, जो सिग्नलिंग सिस्टम के साथ-साथ पटरियों पर भी लगाया जाता है। 
  • यह ट्रेनों के ब्रेक को नियंत्रित करने के लिये अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है।
  • यह प्रणाली ट्रेनों को लाल सिग्नल पार करने, दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकने और चालक गति सीमा के अनुसार ट्रेन को नियंत्रित करने के लिये ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को स्वचालित रूप से सक्रिय करने में सक्षम है।   

कवच की विशेषताएं

  • खतरे में सिग्नल पार करने से रोकना (Signal Passed at Danger)
  • ओवर स्पीडिंग की रोकथाम के लिये स्वचालित ब्रेक प्रक्रिया।
  • समपार फाटकों (Level Crossing Gates) के पास पहुँचते समय स्वत: सीटी बजना।
  • कवच प्रणाली से युक्त दो इंजनों के बीच टकराव की रोकथाम।
  • आपातकालीन स्थितियों के दौरान एस.ओ.एस. (SOS) संदेश भेजना।
  • नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी।
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