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मनरेगा में वित्तीय अनियमितता की स्थिति

(प्रारंभिक परीक्षा- राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण तथा उसकी चुनौतियाँ)

संदर्भ

हाल ही में, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने मनरेगा में विद्यमान अनियमितता के संबंध में लोकसभा में आँकड़े प्रस्तुत किये हैं।

नवीनतम आँकड़े

  • देश भर में वित्तीय अनियमितता के दर्ज किये गए कुल 4.92 लाख मामलों में से 4.18 लाख मामलों में दक्षिण के चार राज्य आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना उत्तरदायी हैं ।
  • आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में वित्तीय अनियमितता के सर्वाधिक मामले दर्ज किये गए हैं, उसके बाद कर्नाटक और तेलंगाना का स्थान है।

सरकारी प्रयास

  • ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मनरेगा के तहत सामाजिक लेखा परीक्षण प्रणाली को मजबूत करने के लिये विभिन्न कदम उठाए हैं।
  • मंत्रालय द्वारा लेखापरीक्षण मानकों को जारी किया गया था और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को स्वतंत्र सामाजिक लेखा परीक्षण इकाइयां (Social Audit Unit : SAU) स्थापित करने की सलाह दी गई थी। 
  • साथ ही, लेखा परीक्षा योजना नियम, 2011 के अनुसार सामाजिक लेखा परीक्षण आयोजित करने और सामाजिक लेखा परीक्षण आयोजित करने के लिये ग्राम संसाधन व्यक्तियों के प्रशिक्षण की सलाह दी गई थी।
  • राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को सामाजिक लेखा परीक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये एस.ए.यू. के तहत पर्याप्त जनशक्ति की भर्ती करने की सलाह दी गई थी।

अन्य पहलें

  • मनरेगा के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिये वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की वार्षिक कार्य योजना और श्रम बजट के अनुमोदन के लिये कुछ पूर्व-आवश्यकताएं निर्धारित करने का निर्णय लिया गया। 
  • इनमें एक स्वतंत्र निदेशक के अधीन स्वतंत्र एस.ए.यू. का गठन, उन सभी ग्राम पंचायतों का ऑडिट करना जिनका सामाजिक ऑडिट नहीं किया गया था। साथ ही, यह सुनिश्चित करना कि कम-से-कम 50% वसूली देय हो, जिसे सोशल ऑडिट के तहत लाया जाए। 
  • राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के श्रम बजटों को सामाजिक लेखा परीक्षा पर उनके प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए अनुमोदित किया गया था।

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम)  

  • राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (NREGA) वर्ष 2005 में अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम को 2 फ़रवरी 2006 से लागू किया गया तथा पहले चरण में इसे 200 ज़िलों में अधिसूचित किया गया।
  • वर्ष 2007 में इसके तहत 130 अन्य ज़िलों को सम्मिलित किया गया। 1 अप्रैल, 2008 को इसमें शेष ज़िलों को भी शामिल कर लिया गया। 
  • वर्तमान में इस योजना को शत-प्रतिशत शहरी आबादी वाले ज़िलों को छोड़कर पूरे देश में लागू किया गया है। 
  • भारत सरकार द्वारा 31 दिसंबर, 2009 को इस अधिनियम में संशोधन कर इसका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम कर दिया गया है।     

योजना का उद्देश्य

  • प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों का गारंटी युक्त रोज़गार प्रदान कर ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना तथा सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना।
  • कानूनी प्रक्रिया से सामाजिक रूप से वंचित वर्ग; विशेषकर महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय को अधिकार संपन्न बनाना।
  •  पंचायती राज संस्थाओं को मज़बूत कर ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र को सुदृढ़ करना।
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