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भारत में 5G प्रौद्योगिकी की वस्तुस्थिति

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से नई प्रौद्योगिकी का विकास; सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर इत्यादि)

संदर्भ

जून 2019 में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ने कहा था कि दूरसंचार सेवाओं में क्रांति लाने के लिये सरकार 100 दिनों के अंदर पाँचवीं पीढ़ी (5G) के वायरलेस नेटवर्क के परीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर देगी। लेकिन किन्हीं कारणवश यह अभी तक शुरू नहीं हो सका है। 

विलंब के कारण

  • सरकार की घोषणा के बाद से ही पूरा विश्व कोविड-19 से प्रभावित रहा है, इससे सरकार की विभिन्न योजनाओं के साथ-साथ इस पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
  • इसी दौरान चीनी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों संबंधी सुरक्षा और विश्वसनीयता का विवाद भी उपजा और यह प्रक्रिया बाधित हई। इसके अलावा, भारत-चीन सीमा पर लंबे समय तक जारी रहे तनावपूर्ण सैन्य गतिरोध से भी योजना की गति मंद हुई। साथ ही, सरकार की अन्य घरेलू व्यस्तताओं से भी योजना में विलंब हुआ। 

वर्तमान स्थिति

  • सरकार ने मई के प्रथम सप्ताह में 5G परीक्षण की अनुमति दी थी, लेकिन अभी तक ऑपरेटर्स को इस कार्य हेतु स्पेक्ट्रम आवंटित नहीं किये गए हैं।
  • विशेषज्ञों ने भी कहा है कि इस परीक्षण के लिये भारत में आवश्यक ‘नेटवर्क अवसंरचना’ नहीं है, अतः इस परीक्षण में बाधा उत्पन्न होने की संभावना है।
  • इस प्रौद्योगिकी में ग्राहकों की गहरी दिलचस्पी है, लेकिन अभी तक भारत में 5G का कोई व्यावसायिक उपयोग आरंभ नहीं हुआ है।
  • ‘एरिक्सन कंज्यूमर लैब’ द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 40 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता इस प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोग के प्रथम वर्ष में 5G प्रौद्योगिकी को अपना सकते हैं।
  • रिपोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि भारत में स्मार्टफोन उपभोक्ता 5G मोड में डिजिटल सेवाएँ प्राप्त करने के लिये 50% अधिक भुगतान करने को भी तैयार हैं, जबकि ऐसी कनेक्टिविटी के लिये केवल 10 प्रतिशत प्रीमियम की आवश्यकता होती है।
  • ऑपरेटर्स द्वारा किये जा रहे ‘ऑन-ग्राउंड परीक्षण’ के बारे में अभी भी स्पष्टता का अभाव है। हालाँकि संसदीय स्थायी समिति को दूरसंचार विभाग (DoT) के सचिव ने बताया कि वर्ष 2021 के अंत तक या 2022 के प्रारंभ में 5G का चरणबद्ध शुभारंभ (Roll Out) किया जा सकता है।
  • यदि उक्त समय में योजना आरंभ होनी है, तो केंद्र सरकार को दिसंबर 2021 से पूर्व ही ‘महँगे स्पेक्ट्रम’ की नीलामी करनी होगी।
  • ‘भारती एयरटेल’ तथा ‘वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड’ जैसी दूरसंचार कंपनियाँ विभिन्न अवसरों पर कह चुकी हैं कि वे 5G सेवाओं की लॉन्चिंग के लिये तैयार हैं। इसके अलावा, ‘रिलायंस जियो’ ने यह दावा किया है कि उसने घरेलू स्तर पर 5G प्रौद्योगिकी तैयार की है, जिसे वह वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में लॉन्च करेगी।
  • वस्तुतः तीनों प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने अपनी 5G प्रौद्योगिकी संबंधी तैयारियों में विश्वास व्यक्त किया है। लेकिन क्या वास्तव में देश में इसके लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा विद्यमान है? इसकी पड़ताल करना आवश्यक है। 

चुनौतियाँ

  • भारत को 5G सेवाओं की दृष्टि से सक्षम बनाने के लिये अभी ‘फाइबरीकरण’ की प्रक्रिया से गुजरना होगा, अर्थात् ‘कॉपर आधारित दूरसंचार नेटवर्क’ को ‘सघन ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क’ से विस्थापित करना होगा। इसके लिये टॉवरों के बीच की दूरी कम करके एक सघन नेटवर्क तैयार करना होता है।
  • भारत में लगभग 30% टावर ही फाइबर नेटवर्क के संपर्क में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 5G आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये इसे 60-70% तक विस्तृत करने की आवश्यकता है। दिसंबर 2019 में शुरू किये गए ‘राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन’ का उद्देश्य वर्ष 2024 तक देश के लगभग 70 प्रतिशत टावरों को फाइबरीकृत करना, 20 लाख कि.मी. ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना तथा टावर घनत्व को42 से बढ़ाकर प्रति 1,000 लोगों पर एक टावर स्थापित करना है।
  • भारत को 5G से युक्त करने के लिये फाइबरीकरण करना अनिवार्य है क्योंकि 2G/3G/4G सेवाओं के लिये प्रति टावर की वर्तमान क्षमता लगभग 200 मेगाबाइट्स प्रति सेकंड (mbps) है, जबकि 5G सेवा के लिये प्रति टावर 1-5 गीगाबाइट्स प्रति सेकंड (gbps) की क्षमता आवश्यक होगी।
  • केंद्र सरकार ने नवंबर 2016 में ‘राइट ऑफ वे’ (RoW) नीति लागू की थी। इसका उद्देश्य टावर स्थापित करना, फाइबर केबल बिछाना, विवादों का समयबद्ध निपटान करना तथा निजी कंपनियों और राज्य प्रशासन व नगर निकायों के मध्य समन्वय स्थापित करना था। अर्थात् यह नीति दूरसंचार संबंधी बुनियादी ढाँचे के सुदृढ़ीकरण तथा प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर केंद्रित थी।
  • दूरसंचार संबंधी बुनियादी ढाँचा प्रदाताओं को अन्य विभिन्न समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इनमें असमान या अत्यधिक मूल्य निर्धारण, आधिकारिक अनुमति में विलंब, मानकों की कमी, भूमि और भवनों की अनुपलब्धता इत्यादि शामिल हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य

  • 5G नेटवर्क नीति के क्रियान्वयन को चीनी ‘नेटवर्क संबंधी उपकरण’ विक्रेताओं से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं ने और भी जटिल बना दिया है। हुवावे, जेड.टी.ई. आदि उन मुट्ठी भर वैश्विक कंपनियों में से हैं, जो भारतीय ऑपरेटर्स को वायरलेस दूरसंचार उपकरणों की आपूर्ति करती हैं। चीनी उत्पादों की अनदेखी करने से लागत बढ़ सकती है तथा 5G के व्यावहारिक अनुप्रयोग में और भी विलंब हो सकता है।
  • कई प्रमुख देशों ने चीनी दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनियों को लेकर चिंता व्यक्त की है। उदाहरणार्थ, ‘यूनाइटेड किंगडम’ ने सितंबर 2021 से हुवावे के 5G गियर की नई स्थापना को प्रतिबंधित कर दिया है तथा वर्ष 2027 तक हुवावे के सभी नेटवर्क को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने की घोषणा की है। ‘अमेरिका’ ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में मई 2021 तक हुवावे गियर पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • हालाँकि ‘भारत’ ने अभी तक चीनी विक्रेताओं पर आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है, किंतु इसके हालिया कदम उन्हें भविष्य में प्रतिबंधित करने के संकेत देते हैं। केंद्र सरकार साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताओं के आलोक में ‘अनुमोदित दूरसंचार उपकरण विक्रेताओं’ की सूची तैयार कर रही है।
  • नोकिया इंडिया ने कहा कि “वे 5G एंटीना का निर्माण कर रहे हैं, लेकिन भारतीय ऑपरेटर्स को इसकी आपूर्ति नहीं की जा सकती क्योंकि उनके पास ‘डब्ल्यू.पी.सी.-अधिकृत स्पेक्ट्रम’ नहीं है। अतः अभी इसे वह उन देशों को निर्यात कर रही है, जिन्होंने 5G को रोल आउट कर दिया है।” 

दूरसंचार विभाग और 5G नेटवर्क

  • ‘वायरलेस प्लानिंग एंड को-ऑर्डिनेशन विंग’ (WPC) दूरसंचार विभाग (DoT) का निकाय है। यह रेडियो लाइसेंस जारी करने, स्पेक्ट्रम आवंटित करने तथा उसकी निगरानी के लिये ज़िम्मेदार है।
  • हालाँकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने अगस्त 2018 में सिफारिश की थी कि 4G तथा 5G सेवाओं के लिये ‘एयरवेव्स’ की न्यूनतम कीमत निर्धारित की जाए।
  • ऐसे में, उम्मीद थी कि सरकार एक ही समय में सभी आवृत्तियों के लिये एक स्पेक्ट्रम नीलामी आयोजित करेगी, लेकिन डी.ओ.टी. ने उन बैंड्स को बाहर कर दिया, जिन्हें 2 मार्च, 2021 को संपन्न हुई बिक्री में 5G के लिये चिह्नित किया गया था।
  • दूरसंचार विभाग ने कहा कि 5G सेवाओं के लिये अगली बिक्री में 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के प्रयोग की संभावना है। 700 मेगाहर्ट्ज बैंड अपनी उच्च दक्षता के कारण 5G के लिये सहायक है, इसलिये यह विक्रय-योग्य सात बैंडों में सबसे महँगा है। 

महँगे स्पेक्ट्रम

  • दूरसंचार ऑपरेटर्स का कहना है कि ट्राई द्वारा अनुशंसित स्पेक्ट्रम का न्यूनतम मूल्य ‘अवहनीय’ है तथा यह भारत में 5G सेवाओं की शुरुआत को प्रभावित कर सकता है।
  • समय-समय पर आर.ओ.डब्ल्यू. के संबंध में होने वाले मतभेद, उपकरणों की आपूर्ति के लिये अर्हता तथा स्पेक्ट्रम आगामी महीनों में तनाव के प्रमुख बिंदु हो सकते हैं।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, 5G के शुभारंभ के लिये स्पेक्ट्रम, साइटों तथा फाइबर केबल के लिये लगभग 3-2.3 ट्रिलियन रुपए के पूँजीगत व्यय का अनुमान है, जिसमें से 78,800-1.3 ट्रिलियन रुपए का व्यय केवल महानगरों तथा सर्कल्स के लिये अपेक्षित है।
  • विशेषज्ञों का मत है कि यदि डी.ओ.टी. ‘ट्राई’ की ‘एक्टिव इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग पॉलिसी’ अपनाता है, तो इस क्षेत्रक के वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है। बेस स्टेशनों में लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तथा मोबाइल नेटवर्क संबंधी अन्य उपकरण, जैसे– एक्सेस नोड स्विच, फाइबर नेटवर्क प्रबंधन प्रणाली आदि एक्टिव इंफ्रास्ट्रक्चर के भाग हैं।
  • वर्तमान में, दूरसंचार कंपनियों के मध्य ‘एक्टिव इंफ्रास्ट्रक्चर’ की साझेदारी एंटीना, फीडर केबल, रेडियो एक्सेस नेटवर्क (RAN) तथा ट्रांसमिशन सिस्टम तक सीमित है। दूरसंचार अवसंरचना निर्माता ‘एक्टिव इंफ्रास्ट्रक्चर’ को स्थापित करते हैं तथा इन्हें दूरसंचार ऑपरेटरों को लीज़ पर देते हैं, जो प्रयोगानुसार भुगतान करते हैं।
  • ट्राई द्वारा अनुशंसित और समर्थित ‘एक्टिव इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग पॉलिसी’ से ऑपरेटर्स की लागत में उल्लेखनीय कमी होगी। इसके अतिरिक्त, नेटवर्क की गुणवत्ता व कवरेज में भी सुधार होगा और अंततः उपभोक्ता लाभान्वित होंगे। 

निष्कर्ष

  • दूरसंचार क्षेत्रक के विकास और विस्तार के लिये वृहत् निवेश की आवश्यकता है। ट्राई की सिफारिशों को स्वीकार करने से देश में फाइबरीकरण तथा डिजिटल अवसंरचना को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • 5G संबंधी बुनियादी ढाँचे के सहज विकास के लिये दूरसंचार ऑपरेटर्स, उपकरण प्रदाताओं तथा सरकार, तीनों में समन्वय की आवश्यकता है।
  • वैश्विक स्तर पर भी सरकारें इस दृष्टिकोण को तैयार करने तथा बुनियादी ढाँचे में निवेश करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
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