New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

सार्वभौमिक सुरक्षा योजना की आवश्यकता

(प्रारम्भिक परीक्षा: विभिन्न सरकारी योजनाएँ, गरीबी, समावेशन, सतत विकास तथा सामाजिक क्षेत्र में की गई प्रमुख पहल से संबंधित विषय)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: गरीबी एवं विकासात्मक विषय; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप, गरीबी तथा भूख से सम्बंधित विषय; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: समावेशी विकास तथा इससे संबंधित मुद्दे) 

संदर्भ

भारत दुनिया के सबसे बड़े कल्याणकारी राज्यों में से एक है, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य अपने सबसे कमजोर नागरिकों को सुविधाएँ देने में विफल रहा है।

महामारी का प्रभाव

  • इस महामारी के पहले भी भारत में समय-समय पर कई संकट देखे गए हैं जिनमें बड़े पैमाने पर आंतरिक प्रवासन, खाद्य असुरक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे का विफल होना शामिल है।
  • कोविड-19 महामारी में लुप्त होती योजनाओं ने भारत में लगभग 75 मिलियन लोगों को गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया है। साथ ही, इस महामारी की दूसरी लहर ने मध्यम तथा उच्च दोनों वर्गों को असहाय बनाकर खड़ा कर दिया है।
  • आर्थिक तथा सामाजिक पूँजी के अभाव में स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच अपर्याप्त सिद्ध हुई है। भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ सार्वभौमिक नहीं हैं जबकि यह महामारी सार्वभौमिक है।
  • भारत में केंद्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों के माध्यम से 500 से भी अधिक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजनायें संचालित की जा रही हैं। हालाँकि, इन योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुँच पा रहा है।
  • इस महामारी से यह ज्ञात हुआ है कि मौजूदा योजनाओं का लाभ उठाना तथा एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा को लागू करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। जिससे यह कमजोर तबके की आबादी पर होने वाले बाहरी आघातों से बचाने में उनकी मदद कर सकेगा।

सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के उदाहरण

  • 19वीं सदी में आयरलैंड में भारी गरीबी तथा अकाल का दौर था। जिससे बाहर निकलने के लिए एक 'गरीब कानून प्रणाली' को लागू किया गया।
  • इसके द्वारा स्थानीय संपत्ति करों के माध्यम से वित्तीय राहत प्रदान की गई। जिसने समय पर न केवल सहायता प्रदान की बल्कि गरीबों के सम्मान तथा उनकी गरिमा को भी बनाये रखा।
  • आयरलैंड की यह सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजना 4 आयामों पर आधारित थी। जिसमें सामाजिक बीमा, सामाजिक सहायता, सार्वभौमिक योजनाएँ तथा अतिरिक्त लाभ शामिल थे।
  • इसी प्रकार भारत के परिपेक्ष्य में 'पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम' को एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।
  • परिणामस्वरूप, भारत को वर्ष 2014 में पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया। अतः ये उदाहरण यह स्पष्ट करते हैं कि ज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ एक सार्वभौमिक योजना के माध्यम से कम समयांतराल में सामाजिक कल्याण को सुनिश्चित किया जा सकता है।

भारतीय संदर्भ में सार्वभौमिक सुरक्षा

  • वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) का शुभारंभ किया गया। जिसके माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), गैस सिलेंडर तथा मनरेगा के अंतर्गत रोजगार प्रदान किया जा रहा है।
  • महामारी के दौरान इस योजना में कुछ नए प्रावधानों को भी जोड़ा गया है, जैसे-
  • महिलाओं के जन-धन खाते में प्रतिमाह 500 रुपए की वित्तीय सहायता। साथ ही, मनरेगा-कर्मियों की दैनिक मज़दूरी 182 रुपए से बढ़ाकर 202 रुपए कर दी गई है।
  • प्रत्येक चिकित्साकर्मी को 50 लाख रुपए का बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री अन्न योजना के तहत, 80 करोड़ लाभार्थियों को पहले से मिल रहे लाभ के अतिरिक्त, प्रतिमाह 5 किग्रा. गेंहूँ/चावल के साथ 1 किग्रा. दाल निःशुल्क प्रदान की जाएगी।
  • दीनदयाल योजना के तहत, स्वयं सहायता समूह (SHG) अब 20 लाख रुपए तक का लोन ले सकेंगे।
  • कर्मचारी अपने PPF खाते से कुल जमा का 75% निकाल सकेंगे। साथ ही, अगले 3 माह तक EPF खाते में कर्मचारी व कम्पनी के अंशदान का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा।
  • वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों तथा विधवाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपए की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।
  • ध्यातव्य है कि PMGKY की शुरुआत, वर्ष 2016 में कालेधन पर रोक लगाने के उद्देश्य से की गई थी।

सुझाव

  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को ओर अधिक मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है। जिसके माध्यम से पूरे देश में एक ही सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजना को सुनिश्चित किया जा सके।
  • साथ ही, एक सार्वभौमिक पहचान पत्र की उपलब्धता को सुनिश्चित करना चाहिए। जिससे राशन कार्ड की अनुपस्थिति में भी लोगों को देश के किसी भी हिस्से में इन योजनाओं का लाभ मिल सके।
  • सार्वभौमिक पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड या मतदाता कार्ड को मान्यता दी जा सकती है।
  • सार्वभौमिक प्रणाली के प्रारंभ होने से एक ही डेटाबेस के तहत सभी पात्र लाभार्थियों के डेटा को समेकित कर योजनाओं में सुधार किया जा सकता है।

लाभ

  • एक सार्वभौमिक प्रणाली के तहत योजनाओं का लाभ उन लोगों तक पहुँचेगा जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है।
  • इस प्रणाली का सर्वाधिक लाभ उन प्रवासी मजदूरों को होगा, जिन्हें अपने गृह राज्य से दूर होने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
  • इसके अंतर्गत अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे- शिक्षा, मातृत्व लाभ, विकलांगता लाभ आदि को भी सार्वभौमिक बनाकर लोगों के लिए एक बेहतर जीवन स्तर को सुनिश्चित किया जा सकता है।

निष्कर्ष

वर्तमान में चल रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को समाप्त कर एक सार्वभौमिक योजना की शुरुआत करना चुनौतीपूर्ण कार्य है किंतु केंद्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों को इस संदर्भ में अवश्य विचार करना चाहिए। जिससे इन योजनाओं के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सके तथा विभिन्न योजनाओं में होने वाले धन के अपव्यय को भी कम किया जा सके।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X