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शॉर्ट न्यूज़: 06 नवंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 06 नवंबर, 2020


भारत और यू.ए.ई. के बीच उच्च स्तरीय बैठक

अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय

कावासाकी रोग

आर्मी एविएशन कोर (Army Aviation Corps)

भारत और विभिन्न देशों के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर


भारत और यू.ए.ई. के बीच उच्च स्तरीय बैठक

  • हाल ही में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच निवेश बढ़ाने के लिये 8वीं उच्च स्तरीय बैठक (संयुक्त कार्यदल) का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये भारत द्वारा किया गया।
  • दोनों देशों के बीच आर्थिक सम्बंधों को मज़बूत करने के लिये संयुक्त कार्यदल का गठन वर्ष 2012 में किया गया था। इस कार्यदल की सफलता का ही परिणाम था कि जनवरी, 2017 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने समग्र रणीनितक साझेदारी का समझौता किया।
  • इस बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने एंटी डम्पिंग शुल्क, टैरिफ और नियामक प्रतिबंध जैसी अड़चनों पर भी आपसी सहमती बनाने की बात की।
  • सिविल एविशन क्षेत्र (नागरिक उड्डयन क्षेत्र) को अहम क्षेत्र मानते हुए दोनों देशों ने आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ाने पर सहमति भी जताई है। दोनों देशों के नागरिक उड्डयन नियामक इस दिशा में काम करेंगे।
  • इन मुद्दों के अलावा दोनों देशों ने स्वास्थ्य सेवाओं, फॉर्मास्युटिकल, मोबिलिटी और लॉजिस्टिक, खाद्य व कृषि, ऊर्जा, उपयोगी सेवाओं सहित अन्य दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
  • ध्यातव्य है कि यू.ए.ई. भारत में दसवाँ सबसे बड़ा निवेशक है।

भारत-यू.ए.ई. सम्बंध

  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) की मित्रता वर्षों पुरानी सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक सम्बंधों पर आधारित है।
  • वर्ष 1966 में आबूधाबी के शासक के रूप में महामहिम शेख ज़ाएद बिन सुल्तान अल नहयान की ताज़पोशी तथा इसके बाद वर्ष 1971 में यू.ए.ई. परिसंघ के सृजन से सम्बंध मज़बूत हुए।
  • हाल के वर्षों में, दोनों देशों के सम्बंधों में और व्यापकता आई है तथा नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष और सुरक्षा सहयोग सहित अनेक क्षेत्रों में व्यापार एवं निवेश में वृद्धि हुई है।
  • संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है तथा भारत के लिये कच्चे तेल का 6वाँ बड़ा स्रोत भी है। जबकि भारत, यू.ए.ई. का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत के बाद चीन यू.ए.ई. का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में अमेरिका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय के दो उच्च अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने के बाद ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया सहित 72 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय को अपना अटूट समर्थन देने की बात कही है।
  • ध्यातव्य है कि आई.सी.सी. ने इस वर्ष की शुरुआत में अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य कर्मियों के खिलाफ युद्ध अपराधों की जांच शुरू की थी। अमेरिका ने इस जाँच को अनुचित बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया था।
    अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (International Criminal Court - ICC)
  • अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय का गठन 17 जुलाई, 1998 को अपनाए गए रोम संविधि (Rome Statute) के ज़रिये हुआ था तथा इसने 1 जुलाई 2002 से अपना कार्य प्रारंभ किया।
  • इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैंड्स) में है। अंग्रेजी और फ्रेंच इसकी 2 कार्यकारी भाषाएँ हैं, जबकि अरबी, चीनी, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, रूसी व स्पेनिश इसकी 6 आधिकारिक भाषाएँ हैं।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन (Intergovernmental Organisation) है तथा इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय अधिकरण (International Tribunal)’ का दर्ज़ा भी प्राप्त है।
  • जब कोई देश किसी अंतर्राष्ट्रीय अपराध में लिप्त अपने किसी नागरिक को दंड देने में विफल रहता है तो ‘अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय’ उस देश के न्यायिक तंत्र की मदद करता है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् द्वारा सौंपे गए मामलों की भी सुनवाई करता है तथा कोई राष्ट्र भी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों से सम्बंधित मामले स्वेच्छा से यहाँ स्थानांतरित कर सकता है।
  • आई.सी.सी. के 4 प्रमुख अंग (Organs) हैं-

i. अध्यक्ष पद (The Presidency)
ii. न्यायिक विभाग (The Judicial Divisions)
iii. अभियोजन कार्यालय (The Office of Prosecutor)
iv. रजिस्ट्री (The Registry)

  • यह निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय अपराधों में लिप्त किसी व्यक्ति (Individual) को भी दण्डित करने के लिये अधिकृत है। अर्थात इसका क्षेत्राधिकार निम्नलिखित विषयों पर है-

i. नरसंहार से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय अपराध (International Crime of Genocide)
ii. युद्ध अपराध (War Crime)
iii. मानवता के विरुद्ध अपराध (Crime against Humanity)
iv. आक्रमण का अपराध (Crime of Aggression)

  • ध्यातव्य है कि ‘अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय (आई.सी.जे.)’ तथा ‘अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायलय (आई.सी.सी.)’ दोनों एक-दूसरे से पृथक निकाय हैं, मगर दोनों का मुख्यालय ‘हेग, नीदरलैंड्स’ में ही अवस्थित है।

रोम संविधि (Rome Statute)

यह अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय के लिये ‘आधारभूत व अभिशासी दस्तावेज़ (Fundamental and Governing Document)’ है। ‘रोम संविधि’ वास्तव में एक बहुपक्षीय संधि है, इसका अनुसमर्थन करने वाले देश स्वतः ही आई.सी.सी. के सदस्य बन जाते हैं।


कावासाकी रोग

कोविड-19 महामारी के दौरान बंद स्कूलों के फिर से शुरू होने के बाद से विश्व भर में बच्चों को कावासाकी रोग (के.डी.) से प्रभावित देखा जा रहा है।

कावासाकी रोग क्या है?

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  • कावासाकी रोग को म्यूकोस्यूटियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है।
  • इस बीमारी के कारण छोटे बच्चों (मुख्यतः 5 वर्ष से कम) की रक्त वाहिकाओं में हमेशा के लिये सूजन आ जाती है। यह बीमारी तेज़ी से आती है और इसके लक्षण चरणों में दिखाई देते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, लाल आखें, हाथों-पैरों में सूजन, होंठ और गले में जलन व सूजन आदि शामिल हैं।
  • इस बीमारी के दूसरे चरण के लक्षणों में जोड़ों का दर्द, पेट की दिक्कतें, जैसे- दस्त और उल्टी, हाथों व पैरों की त्वचा का छिलना आदि शामिल हैं।
  • यद्यपि कोविड-19 के बाद इस रोग से बड़े उम्र के बच्चे भी ग्रस्त पाए जा रहे हैं।
  • इस रोग का कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। यह बच्चों में होने वाले हृदय रोग के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • यदि इसके लक्ष्ण जल्दी पता चल जाए तो इसका इलाज सम्भव है। इलाज के बाद ज़्यादातर बच्चे बिना किसी समस्या के ठीक हो जाते हैं।
  • सर्वप्रथम वर्ष 1967 में जापान के बाल रोग विशेषज्ञ ‘टोमीसाकू कावासाकी’ (Tomisaku Kawasaki) ने इस बीमारी की पहचान की थी और जापान से बाहर पहला मामला वर्ष 1976 में अमेरिका के ‘हवाई’ (Hawaii) राज्य में देखा गया था।

आर्मी एविएशन कोर (Army Aviation Corps)

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, भारतीय सेना की सबसे बाद में गठित आर्मी एविएशन कोर द्वारा 35वाँ स्थापना दिवस मनाया गया है। आर्मी एविएशन कोर भारतीय सेना का एक घटक है, जिसका गठन 1 नवम्बर 1986 को एक अलग संगठन के रूप में किया गया था।

आर्मी एविएशन कोर की भूमिका

  • इसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी द्वारा किया जाता है। साथ ही इसके अन्य अधिकारियों व कर्मियों की भर्ती सेना के विभिन्न अंगो से की जाती है।
  • भारतीय सेना ने विभिन्न समर्पित विमानन इकाईयों, जैसे- परिचालन कोर और कमांड संरचनाओं के साथ आर्मी एविएशन कोर को जोड़कर इसकी भूमिका को और बढ़ा दिया है। वर्तमान में ये कोर चेतक, चीता, लांसर, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव, ए.एल.एच. इंटीग्रेटेड वेपन सिस्टम (रुद्र भी कहा जाता है) आदि को संचालित करती है।
  • इनके हेलिकॉप्टर सामान्यतः एयरबोर्न कमांड पोस्ट के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर इन्हें ज़मीनी कमान पोस्ट की जगह उपयोग किया जा सकता है।
  • आर्मी एविएशन कोर के हेलिकॉप्टर शांति काल में मानवीय सहायता पहुँचाने तथा आपदा के समय राहत अभियानों में भी सहयोग प्रदान करते हैं। ये हेलीकॉप्टर मुख्य रूप से सैन्य परीक्षणों, अवलोकन प्रक्रिया, आपदा के समय निकासी, आवश्यक वस्तुओं को ले जाने, युद्धक खोज व बचाव आदि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन’ (1987) के दौरान आर्मी एविएशन कोर ने अपनी युद्ध क्षमताओं का जबरदस्त प्रदर्शन किया था, साथ ही पूर्व में सियाचिन ग्लेशियर की अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी इसके जवानों और पायलेटों ने अभूतपूर्व कौशल और समर्पण का प्रदर्शन किया है।


भारत और विभिन्न देशों के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

  • हाल ही में, ‘भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरू’ और स्पेन के ‘इंस्टीट्यूटो डी एस्ट्रोफिजिका डी कानरियास’ तथा ग्रानटिकान, स्पेन के मध्य खगोल विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग विकसित करने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियों पर ध्यान दिया जाएगा :

a) नए वैज्ञानिक परिणाम
b) नई तकनीकें
c) वैज्ञानिक संवाद और प्रशिक्षण द्वारा क्षमता निर्माण
d) संयुक्त वैज्ञानिक परियोजनाएँ इत्यादि

  • इसके अतिरिक्त भारत सरकार के ‘संचार मंत्रालय’ और ब्रिटेन के ‘डिजिटल, संस्कृति, मीडिया एवं खेल विभाग’ के मध्य दूरसंचार/सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी.) के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • इस समझौता ज्ञापन का लक्ष्य दोनों देशों के मध्य सहयोग और अवसरों को बढ़ावा देना है। इसके अनुसार दोनों पक्षों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं :

a) दूरसंचार/आई.सी.टी. नीति एवं विनियमन तथा स्पेक्ट्रम प्रबंधन
b) मोबाइल रोमिंग समेत दूरसंचार कनेक्टिविटी
c) दूरसंचार/आई.सी.टी. तकनीकी मानकीकरण एवं टेस्टिंग व प्रमाणन
d) वायरलेस संचार
e) 5जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्लाउड कम्प्यूटिंग, बिग डेटा आदि सहित दूरसंचार/आई.सी.टी. के क्षेत्र में तकनीकी विकास
f) दूरसंचार सम्बंधी आधारभूत ढाँचे की सुरक्षा और दूरसंचार सेवाओं की उपलब्धता तथा इनके प्रयोग में सुरक्षा
g) उच्च तकनीकी क्षेत्र में क्षमता निर्माण करना और जहाँ तक सम्भव हो, विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करना आदि।

  • इसी दौरान भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और यूनाइटेड किंगडम चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल उत्पादन विनियामक एजेंसी के बीच चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को भी मंज़ूरी प्रदान की गई है।
  • साथ ही भारत तथा इज़रायल के बीच स्‍वास्‍थ्‍य एवं दवा के क्षेत्र में सहयोग के बारे में समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर करने की मंज़ूरी दी गई है। इसमें चिकित्सकों और अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवरों का आदान-प्रदान व प्रशिक्षण, जलवायु सम्बंधी खतरे के समक्ष नागरिकों के स्वास्थ्य की नाज़ुकता का आकलन, नियंत्रण एवं अनुकूलन के उद्देश्य से जन-स्वास्थ्य सम्बंधी कार्रवाइयों के बारे में विशेषज्ञता को साझा करना शामिल है। जलवायु सहनीय अवसंरचना के साथ-साथ ‘ग्रीन हेल्‍थकेयर’ (विषम जलवायु के अनुरूप अस्‍पताल) के विकास के लिये सहायता उपलब्‍ध कराने हेतु विशेषज्ञता को साझा करना भी इसमें शामिल है।

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