शॉर्ट न्यूज़: 15 मार्च , 2021
बामियान के बुद्ध
सूचकांक निगरानी सेल (Index Monitoring Cell)
बामियान के बुद्ध
संदर्भ
तालिबान द्वारा नष्ट किये जाने के लगभग दो दशक बाद बामियान की बुद्ध मूर्तियों को हाल ही में, "ए नाइट विद बुद्ध" नामक एक कार्यक्रम में 3D प्रस्तुति द्वारा पुनः जीवंत किया गया।
बामियान के बुद्ध
- दो अलग-अलग मुद्राओं में रोमन वस्त्र विन्यास वाली बामियान की बुद्ध मूर्तियाँ (जिन्हें ‘बामियान के बुद्ध’ भी कहा जाता है) गुप्तकाल, ससानी और हेलेनिस्टिक कलात्मक शैलियों के संगम का अद्वितीय उदाहरण थीं।
- ऐसा माना जाता है कि ये मूर्तियाँ 5वीं शताब्दी की थीं और बुद्ध की सबसे लंबी खड़ी प्रतिमाएँ थीं।
- बुद्ध की इन दो प्रतिमाओं को स्थानीय लोगों द्वारा सलसल (Salsal) और शमामा (Shamama) कहा जाता था। ये मूर्तियाँ क्रमशः 55 और 38 मीटर ऊँची थीं। इनका निर्माण 5वीं और 6वीं शताब्दी के मध्य कुषाणों द्वारा किया गया था।
- स्थानीय लोग सलसल को पुरुष व शमामा को महिला मानते थे।सलसल का अर्थ होता है ‘ब्रह्मांड के माध्यम से चमकने वाला प्रकाश’ (the light shines through the universe ) और शमामा का अर्थ है ‘रानी माँ’ (Queen Mother) है।
- इन मूर्तियों को एक चट्टान के दो छोरों के पर स्थापित किया गया था। बलुआ पत्थर से निर्मित ये मूर्तियाँ खड़ी मुद्रा में बनी बुद्ध की सबसे विशाल प्रतिमाएँ थीं।
- तालिबान द्वारा वर्ष 2001 में इन्हें नष्ट कर दिया गया था।
- इसके पूर्व भी बामियान में बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट करने की कोशिश हो चुकी है, 1221 ईसवी में चंगेज खान ने इन मूर्तियों को नष्ट करने की कोशिश की थी, किंतु वह असफल रहा था।इसके बाद औरंगज़ेब, नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली ने भी इन मूर्तियों को क्षति पहुँचाने कोशिश की थी।
बामियान के बारे में
- बामियान, काबुल से 130 किमी. दूर अफ़गानिस्तान में हिंदुकुश पर्वतों में अवस्थित है।
- शुरुआती दिनों में बामियान नदी घाटी रेशम मार्ग का एक अभिन्न अंग थी। यह घाटी न केवल व्यापारिक बल्कि सांस्कृतिक व धार्मिक आदान-प्रदान के लिये भी महत्त्वपूर्ण थी।कुषाण साम्राज्य के उत्कर्ष के समय बामियान एक प्रमुख व्यापारिक, सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र बन गया था।
- चीन, भारत और रोम तीनों ही बामियान के माध्यम से व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान प्रदान करते थे। कुषाणों ने इन तीनों सभ्यताओं को अपनी संस्कृति में समाहित किया था।
सूचकांक निगरानी सेल (Index Monitoring Cell)
संदर्भ
हाल ही में, सूचकांक निगरानी सेल ने केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें
- इस रिपोर्ट में मानहानि को ग़ैर-आपराधिक घोषित किये जाने की बात की गई है। विदित है कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहाँ मानहानि को आपराधिक कृत्य माना जाता है।
- मीडिया या पब्लिकेशन के विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने से पूर्व प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया की सहमति को अनिवार्य बनाए जाने की भी सिफारिश की गई है।
सूचकांक निगरानी सेल (Index Monitoring Cell)
- इसकी स्थापना सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में की गई।
- इसका गठन ‘विश्व प्रेस सूचकांक’ में भारत की रैंक सुधारने और मीडिया की स्वतंत्रता को मापने के लिये निष्पक्ष मापदंड विकसित करने के उद्देश्य से किया गया है। उल्लेखनीय है कि ‘विश्व प्रेस सूचकांक, 2020’ में भारत को 180 देशों में 142वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
- साथ ही, यह प्रेस स्वतंत्रता में राज्यों की रैंकिंग निर्धारण के लिये एक तंत्र को विकसित करेगा।
संरचना
- आई.एम.सी. एक 15 सदस्यीय समिति है, जिसके अध्यक्ष कुलदीप सिंह धतवालिया (प्रेस सूचना ब्यूरो के प्रधान महानिदेशक) हैं।
- इसमें भारतीय समाचार पत्र, आउटरीच एवं संचार ब्यूरो तथा प्रेस सुविधा इकाई के रजिस्ट्रार अधिकारियों के अतिरिक्त भारतीय प्रेस परिषद् तथा नीति आयोग के सचिव भी शामिल हैं।