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शॉर्ट न्यूज़: 15 मार्च, 2022

शॉर्ट न्यूज़: 15 मार्च, 2022


डिजिटल खरीदारी में वैश्विक निवेश

जैविक एवं विषाक्त हथियार अभिसमय

कैप्टिव रोज़गार नीति

उद्योग आधारित डिज़ाइन एवं विकास


डिजिटल खरीदारी में वैश्विक निवेश

चर्चा में क्यों

हाल ही में जारी एक आधिकारिक विश्लेषण के अनुसार भारत डिजिटल शॉपिंग कंपनियों के लिये दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक उद्यम पूंजी (वेंचर कैपिटल) निवेश केंद्र बन गया है। वर्ष 2020 में यह निवेश 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021 में 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

प्रमुख बिंदु

  • विगत वर्ष 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश अमेरिका पहले और 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ भारत दूसरे स्थान पर रहा। इसके बाद 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ चीन तीसरे तथा 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ यू.के. चौथे स्थान पर रहा।
  • भारत में डिजिटल खरीदारी के मामले में वैश्विक स्तर पर बेंगलुरू वर्ष 2021 में 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के वेंचर कैपिटल निवेश के साथ शीर्ष स्थान पर है। इसके बाद गुरुग्राम और मुंबई क्रमशः 7वें और 10वें स्थान पर हैं।
  • इसके अलावा, वेंचर कैपिटल निवेश में बेंगलुरू के बाद विश्व के अन्य प्रमुख शहरों में न्यूयॉर्क (दूसरा), सैन फ्रांसिस्को (तीसरा), लंदन (चौथा) और बर्लिन (पाँचवां) का स्थान रहा।
  • इस विश्लेषण के अनुसार, यू.के. और भारत उच्च स्तर के वैश्विक निवेश और यूनिकॉर्न के साथ डिजिटल शॉपिंग कंपनियों के लिये विश्व के दो प्रमुख केंद्र हैं। साथ ही, बेंगलुरू भविष्य में यूनिकॉर्न की संभावना वाले शहरों में लंदन के बाद 5वें स्थान पर है। 
  • वर्तमान यूनिकॉर्न की उच्चतम संख्या वाले 15 वैश्विक शहरों में से तीन भारत में हैं। वर्ष 2021 में 19 यूनिकॉर्न के साथ बेंगलुरू छठें नंबर पर, 13 यूनिकॉर्न के साथ गुरुग्राम सातवें नंबर पर और 7 यूनिकॉर्न के साथ मुंबई 14वें नंबर पर है। 

जैविक एवं विषाक्त हथियार अभिसमय

चर्चा में क्यों

हाल ही में रूस ने यूक्रेन में जैविक प्रयोगशालाओं के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद् की बैठक बुलाई है। रूस ने यूक्रेन में यू.एस. द्वारा समर्थित रासायनिक और जैविक हथियार प्रयोगशालाओं के दावों पर चर्चा करने के लिये इस बैठक का अनुरोध किया था।

जैविक एवं विषाक्त हथियार अभिसमय

  • यह सामूहिक विनाश के हथियारों (Weapon of Mass Destruction : WMD) की एक पूरी श्रेणी पर प्रतिबंध लगाने वाली पहली बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण संधि है, यह जैविक एवं विषाक्त हथियारों के विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, हस्तांतरण, भंडारण और उपयोग पर रोक लगाकर प्रभावी रूप से प्रतिबंधित करती है।
  • डब्ल्यू.एम.डी. प्रसार को संबोधित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों में जैविक एवं विषाक्त हथियार अभिसमय एक प्रमुख तत्व है। इसने जैविक हथियारों के विरुद्ध एक मज़बूत मानदंड स्थापित किया है। यह 26 मार्च, 1975 को लागू हुआ तथा जनवरी 2022 तक 183 राज्य इसके पक्षकार बन गए हैं।
  • जैविक हथियार एक जीवाणु, वायरस, प्रोटोजोआ, परजीवी, कवक, रसायन या विष है, जिसे उद्देश्यपूर्ण ढंग से जैव आतंकवाद या जैविक युद्ध में हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • उपर्युक्त मुद्दे के संदर्भ में भारत का मत है कि ‘जैविक एवं विषाक्त हथियार अभिसमय’ (Biological and Toxin Weapons Convention : BTWC) का अक्षरश: पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना आवश्यक है। बी.टी.डब्ल्यू.सी. के तहत दायित्वों से संबंधित किसी भी मामले को संबंधित पक्षों के बीच परामर्श और सहयोग के माध्यम से हल किया जाना चाहिये।

कैप्टिव रोज़गार नीति

चर्चा में क्यों

हाल ही में, ग्रामीण विकास मंत्रालय की ‘दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्या योजना’ (DDU-GKY) के तहत ‘कैप्टिव नियोक्ता’ पहल को बढ़ावा देने पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।

कैप्टिव नियोक्ता

  • ‘कैप्टिव नियोक्ता’ अपनी तरह की पहली पहल है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के निर्धन युवाओं के लिये स्थायी प्लेसमेंट सुनिश्चित करने वाले उद्योग भागीदारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ एक गतिशील तथा मांग आधारित कौशल निर्माण पारितंत्र के दृष्टिकोण को साकार करना है।
  • यह मॉडल उद्योग के माध्यम से राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सक्रिय सहायता के साथ उनकी आवश्यकता के अनुरूप प्रशिक्षुओं को भी उपलब्ध कराएगा। साथ ही, उन्हें आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षित करेगा एवं सुनिश्चित प्लेसमेंट प्रदान करेगा।
  • यह नियोक्ताओं को ग्रामीण युवाओं और कौशल का चयन करने तथा अपने प्रतिष्ठान एवं सहायक कंपनियों में नियुक्त करने की भी अनुमति देता है।

दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्या योजना 

  • यह ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित एक राष्ट्रव्यापी प्लेसमेंट-लिंक्ड कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसे 25 सितंबर, 2014 में शुरू किया गया।
  • इसका उद्देश्य निर्धन ग्रामीण युवाओं में प्लेसमेंट से जुड़े कौशलों का विकास करना तथा उन्हें अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार उपलब्ध कराना है। यह कार्यक्रम कम से कम 70% प्रशिक्षित उम्मीदवारों के लिये गारंटीकृत प्लेसमेंट के साथ अनिवार्य प्रमाणन को न्यूनतम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।  
  • यह कार्यक्रम 27 राज्यों तथा 3 केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 31 जनवरी, 2022 तक लगभग 11.44 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण तथा 7.15 लाख युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराया जा चुका है।  

उद्योग आधारित डिज़ाइन एवं विकास

चर्चा में क्यों

रक्षा क्षेत्र में उद्योग आधारित डिज़ाइन और विकास के लिये रक्षा मंत्रालय ने 18 प्रमुख प्लेटफॉर्मों की पहचान की है। विदित है कि केंद्रीय बजट 2022-23 में उद्योगों के नेतृत्व वाले अनुसंधान एवं विकास के लिये रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25% आवंटित किया गया है।

मेक-1 श्रेणी

  • इस श्रेणी के अंतर्गत अनुसंधान एवं विकास के उद्देश्य से 14 परियोजनाओं की पहचान की गई है। इनमें हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन, नौसेना जहाज से उत्पन्न मानवरहित वायु संबंधी प्रणाली, हल्के भार वाले टैंक,  मानवरहित ऑटोनोमस ए.आई. आधारित लैंड रोबोट, जहाजों के लिये इलेक्ट्रिक प्रोपल्सन (इंजन), स्टैंड ऑफ एयरबोर्न जैमर, अत्यधिक ऊँचाई पर तैनात सैनिकों के लिये प्लग एंड प्ले ‘आवास एवं बुनियादी ढाँचा’ शामिल हैं।
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 के तहत इस श्रेणी का लक्ष्य भारतीय उद्योग की अधिक भागीदारी के द्वारा आत्म निर्भरता प्राप्त करना है। उद्योग द्वारा उपकरणों, प्रणालियों, प्रमुख प्लेटफॉर्मों या उनके उन्नयन के डिज़ाइन एवं विकास से संबंधित परियोजनाओं को इस श्रेणी के तहत शामिल किया जा सकता है।
  • रक्षा मंत्रालय मेक-I उप-श्रेणी के तहत परियोजनाओं के लिये प्रोटोटाइप विकास की कुल लागत के 70% तक वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।

विशेष प्रयोजन वाहन मॉडल श्रेणी

  • विशेष प्रयोजन वाहन मॉडल (एस.पी.वी. मॉडल) श्रेणी के तहत निजी उद्योग को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा अन्य संगठनों के सहयोग से सैन्य प्लेटफॉर्मों तथा उपकरणों के डिज़ाइन और विकास के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • इसके तहत लंबी दूरी के मानव रहित हवाई वाहन और भारतीय मल्टी रोल हेलीकॉप्टर नामक दो प्लेटफॉर्मों की पहचान की गई है।

मेक-द्वितीय श्रेणी

मेक-II श्रेणी के तहत विभिन्न प्लेटफार्मों के लिये एंटी-जैमिंग सिस्टम की पहचान की गई है। इसे सुनिश्चित खरीद के साथ उद्योग द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। 

आईडेक्स श्रेणी

इसके तहत निम्न कक्षा वाले छद्म उपग्रह प्लेटफॉर्मों का चयन किया गया है, जिसका उद्देश्य स्टार्ट अप, एम.एस.एम.ई. आदि की हाई-एंड इनोवेशन परियोजनाओं को आगे बढ़ाना है। 

निष्कर्ष 

इन परियोजनाओं के स्वदेशी विकास से घरेलू रक्षा उद्योगों की डिज़ाइन क्षमताओं का दोहन करने में मदद मिलेगी तथा भारत को वैश्विक स्तर पर इन प्रौद्योगिकियों में डिज़ाइन नेतृत्व के रूप में स्थान प्राप्त होगा। 


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