शॉर्ट न्यूज़: 19 मई, 2022
भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र
तेलंगाना में मिले प्रागैतिहासिक शैल चित्र
शिगेला
नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट 2020
भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र
चर्चा में क्यों
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लुंबिनी की एक दिवसीय यात्रा के दौरान ‘भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र (India International Centre for Buddhist Culture and Heritage)' के निर्माण का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस केंद्र का संचालन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) द्वारा किया जाएगा, जो भारत के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक 'अनुदान निकाय' (Grantee Body) है। उल्लेखनीय है कि यह विरासत केंद्र नेपाल में पहला 'शुद्ध शून्य उत्सर्जन' भवन होगा।
- विदित है कि आई.बी.सी. को 2 नवंबर, 2012 में पंजीकृत किया गया था। इसका उद्देश्य दुनिया भर में और विशेष रूप से भारत के पड़ोसी देशों में बुद्ध की शिक्षाओं और विरासत का प्रचार एवं संरक्षण करना है।
बौद्ध सर्किट
- बौद्ध सर्किट एक मार्ग है जो महात्मा बुद्ध के जीवन वृतांत पर आधारित है। भारत सरकार द्वारा इस परियोजना को स्वदेश दर्शन योजना के तहत वर्ष 2016 में शुरू किया गया। इसके अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं के लिये 343 करोड़ रुपये स्वीकृत किये जा चुके हैं।
- इस सर्किट के अंतर्गत पर्यटन मंत्रालय ने बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य के निम्नलिखित बौद्ध स्थलों- बोधगया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, सारनाथ, श्रावस्ती, कुशीनगर, कौशाम्बी, संकिसा और कपिलवस्तु को शामिल करने और विकसित करने की योजना बनाई है।
तेलंगाना में मिले प्रागैतिहासिक शैल चित्र
चर्चा में क्यों
हाल ही में, तेलंगाना के यादाद्री भुवनागिरी ज़िले के कासिपेटा में एक प्रागैतिहासिक शैल चित्रकला स्थल की खोज की गई है। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार ये शैल चित्र कम से कम 10,000 से 30,000 वर्ष पुराने हैं।
प्रमुख बिंदु
- मध्यपाषाणकालीन यह स्थल एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। पहाड़ी के अंदरूनी हिस्से में लाल गेरू रंग से निर्मित कई चित्र पाए गए हैं।
- खोजकर्ताओं ने इन चित्रों में चार भैसों, दो पुरुषों और एक घोड़े की तरह दिखने वाले जानवर की पहचान की है।
- भैसों के पीछे की मानव आकृति को एक्स पैटर्न (X pattern) का उपयोग करके बनाया गया था। भैंस के पास खड़े मानव आकृति का चित्र रेगोंडा स्थल (पूर्व में खोजा गया स्थल) से प्राप्त किये गए चित्र के समान है।
- खोजकर्ताओं को इस स्थल की एक अन्य गुफा से लोहे के स्लैग और लोहे के टुकड़ों के प्रमाण भी मिले हैं। इसके अतिरिक्त, इस स्थल से लघुपाषाणिक (माइक्रोलिथिक) उपकरण भी प्राप्त हुए हैं।
शिगेला
चर्चा में क्यों
हाल ही में, केरल के कासरगोड में खाद्य पदार्थों में शिगेला जीवाणु की पहचान की गई है। यह एक वैश्विक समस्या है, जो अधिकांशत: विकासशील देशों में संक्रमण का कारण बनती है।
शिगेला जीवाणु
- शिगेला (Shigella) एक प्रकार का जीवाणु है जो एंटरोबैक्टर (Enterobacter) परिवार से संबंधित है। इससे आँतों में गंभीर संक्रमण होता है। शिगेला संक्रमण को शिगेलोसिस (Shigellosis) भी कहते हैं।
- इन रोगाणुओं से मुख्यतः दस्त एवं अतिसार (Diarrhea) की समस्या होती है। यह रोग विशेष रूप से अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में बच्चों को प्रभावित करता है।
- यह रोगाणु बड़ी आँत (Colon) के उपकला अस्तर (Epithelial Lining) को प्रभावित करता है। इसके परिणामस्वरूप कोशिकाओं में सूजन व जलन प्रारंभ हो जाती है और गंभीर मामलों में कोशिकाएँ भी नष्ट हो जाती है।
सामान्य लक्षण
- इस रोग का सामान्य लक्षण दस्त (अधिकतर खूनी एवं पीड़ायुक्त), पेट दर्द, बुखार, मतली (Nausea) और उल्टी हैं।
- कुछ संक्रमितों में इसका कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है किंतु वे बीमारी का प्रसार कर सकते हैं। इससे किसी भी आयु के लोग संक्रमित हो सकते हैं लेकिन 10 वर्ष से कम आयु वालों को शिगेला के संक्रमण का सर्वाधिक खतरा रहता है।
- यह भोजन और पानी से होने वाला संक्रमण है, जो बिना धुले फल, सब्जियों और दूषित भोजन का सेवन करने से होता है। यह दूषित पानी से स्नान करने से भी फ़ैल सकता है।
शिगेला बैक्टीरिया के प्रकार
- शिगेला सोनेई (Shigella sonnei)
- शिगेला फ्लेक्सनेरी (Shigella flexneri)
- शिगेला बॉयडी (Shigella boydii)
- शिगेला डीसेनटेरिया (Shigella dysenteriae)
- चौथा प्रकार सबसे गंभीर बीमारी का कारण बनता है क्योंकि यह विष पैदा करता है।
नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट 2020
चर्चा में क्यों
हाल ही में, केंद्र सरकार ने जन्म एवं मृत्यु रिपोर्ट के आधार पर नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) रिपोर्ट 2020 जारी की है।
सी.आर.एस. (CRS)
नागरिक पंजीकरण प्रणाली जन्म, मृत्यु और मृत जन्म (Stillbirth) को अभिलेखबद्ध करने की एक सार्वभौमिक, निरंतर, अनिवार्य और स्थायी प्रक्रिया है। जन्म और मृत्यु का पंजीकरण 'जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969' के अंतर्गत किया जाता है।
मृत्यु दर पंजीकरण
- सी.आर.एस. की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में वर्ष 2019 की तुलना में मृत्यु पंजीकरण में 4.75 लाख की वृद्धि हुई है। इनमें कोविड-19 से होने वाली मौतें भी शामिल हैं।
- आंकड़ों के अनुसार पंजीकृत मौतों की संख्या वर्ष 2019 में 76.4 लाख से बढ़कर 2020 में 81.2 लाख हो गई है। कुल पंजीकृत मौतों में से पुरुषों की हिस्सेदारी 60.2% है।
मृत्यु दर पंजीकरण की स्थिति
- रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 18.3 प्रतिशत के साथ मृत्यु दर में सर्वाधिक वृद्धि देखी गई है, जिसके बाद महाराष्ट्र और असम का स्थान है।
- इस बीच मणिपुर, चंडीगढ़, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पुडुचेरी, अरुणाचल प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में मृत्यु दर में कमी देखी गई है। सर्वाधिक कमी मणिपुर में देखी गई है।
जन्म दर पंजीकरण
- पंजीकृत जन्मों की संख्या वर्ष 2019 में 2.48 करोड़ से घटकर वर्ष 2020 में 2.42 करोड़ हो गई है। इसमें महिला जन्म की हिस्सेदारी 48% है।
- लक्षद्वीप में 14.3% के साथ जन्म दर में अधिकतम परिवर्तन दर्ज किया गया, इसके बाद हरियाणा और बिहार का स्थान है।
- नागालैंड, पुडुचेरी, तेलंगाना, मणिपुर, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, तमिलनाडु, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, मिजोरम और चंडीगढ़ जैसे राज्यों में जन्म पंजीकरण में गिरावट दर्ज की गई है।