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तलाश कार्यक्रम

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम एवं योजनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ)

संदर्भ 

  • 10 जुलाई, 2025 को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन ‘राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा सोसाइटी (NESTS)’ ने संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) इंडिया के साथ साझेदारी में ‘तलाश (TALASH)’ कार्यक्रम शुरू किया है। 
  • यह एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (EMRS) में छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहयोग के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। यह आदिवासी छात्रों को शिक्षा एवं करियर के अवसर प्रदान करके सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

तलाश कार्यक्रम के बारे में

  • पूर्ण नाम : Tribal Aptitude, Life Skills, and Self-Esteem Hub: TALASH (आदिवासी योग्यता, जीवन कौशल एवं आत्म-सम्मान केंद्र)
  • क्या है : यह एक नवाचारी डिजिटल मंच (प्लेटफॉर्म) है जो एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों (EMRS) के छात्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • लक्षित लाभार्थी : देशभर के 470 से अधिक एकलव्य स्कूलों में पढ़ने वाले 1.38 लाख आदिवासी छात्र
  • लक्ष्य : देशभर में आदिवासी छात्रों की शिक्षा एवं व्यक्तिगत विकास दोनों में सुधार लाना
  • प्रमुख घटक
    • साइकोमेट्रिक मूल्यांकन (Psychometric Assessment)
    • करियर परामर्श (Career Counselling)
    • जीवन कौशल प्रशिक्षण (Life Skills Training)
    • आत्म-सम्मान निर्माण (Self-Esteem Building)
  • संस्थाएँ : राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (NESTS) एवं यूनिसेफ (UNICEF) भारत द्वारा
  • सहयोगी :
    • टाटा मोटर्स : कौशल विकास एवं रोजगार के लिए
    • एक्स-नवोदय फाउंडेशन : IIT-JEE एवं NEET जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए कोचिंग

उद्देश्य

  • छात्रों को उनकी रुचियों एवं ताकत को समझने में मदद करना
  • समस्या समाधान, संचार एवं भावनात्मक प्रबंधन जैसे कौशलों को विकसित करना
  • आत्म-सम्मान एवं नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा देना
  • आदिवासी छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा व रोजगार के अवसरों से जोड़ना

कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ

  • साइकोमेट्रिक मूल्यांकन : NCERT के ‘तमन्ना’ पहल से प्रेरित, यह मूल्यांकन छात्रों की योग्यताओं एवं रुचियों की पहचान करता है जिसके आधार पर प्रत्येक छात्र के लिए एक ‘करियर कार्ड’ तैयार किया जाता है।
  • करियर परामर्श : छात्रों को उनकी योग्यता के अनुसार करियर विकल्पों पर मार्गदर्शन।
  • जीवन कौशल प्रशिक्षण : समस्या समाधान, संचार एवं भावनात्मक प्रबंधन जैसे कौशलों का प्रशिक्षण
  • शिक्षक प्रशिक्षण : 75 एकलव्य स्कूलों के 189 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है और वर्ष 2025 के अंत तक सभी स्कूलों में विस्तार की योजना
  • ई-लर्निंग पोर्टल : शिक्षकों के लिए संसाधन उपलब्ध कराने वाला एक डिजिटल मंच, जो शैक्षणिक एवं व्यक्तिगत मार्गदर्शन में मदद करता है।
  • प्रतिस्पर्धी परीक्षा कोचिंग : टाटा मोटर्स और एक्स-नवोदय फाउंडेशन के साथ MoU के तहत IIT-JEE व NEET की तैयारी।
  • कौशल विकास एवं रोजगार : कक्षा 12 के बाद टाटा मोटर्स के साथ सहयोग से रोजगार के अवसर
  • चरणबद्ध कार्यान्वयन : चुनिंदा शहरों से शुरू होकर सभी EMRS में विस्तार की योजना

कार्यक्रम का महत्व

  • आदिवासी सशक्तिकरण : आदिवासी छात्रों को आत्मनिर्भर बनाकर सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करने में 
  • शिक्षा में समावेशिता : दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व करियर मार्गदर्शन प्रदान करने में 
  • राष्ट्रीय विकास में योगदान : आदिवासी युवाओं को नेतृत्व और पेशेवर क्षेत्रों में अवसर देकर भारत के समग्र विकास में योगदान देने में 
  • प्रतिस्पर्धी सफलता : IIT-JEE एवं NEET जैसी परीक्षाओं में सफलता के लिए लक्षित कोचिंग में, जैसा कि 600 छात्रों की उपलब्धि से स्पष्ट है।
  • वैश्विक मॉडल : यूनिसेफ के सहयोग से वैश्विक स्तर पर समावेशी शिक्षा के लिए एक मॉडल बन सकने में 

एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल (EMRS) के बारे में

  • स्थापना : आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिएवर्ष 1997-98 में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा शुरू
  • संख्या : देशभर में 470+ स्कूल और 1.38 लाख छात्र
  • लक्ष्य : कक्षा 6 से 12 तक नि:शुल्क शिक्षा, जिसमें ट्यूशन, किताबें, भोजन एवं आवास शामिल हैं।
  • वित्तपोषण : भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान, प्रति स्कूल 30 लाख प्रारंभिक और वार्षिक अनुदान
  • उपलब्धियां : 600 छात्रों ने IIT-JEE व NEET उत्तीर्ण किए; झारखंड में आदिवासी भाषाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।
  • चुनौतियां : दूरदराज के स्थानों में निर्माण में देरी, शिक्षकों की कमी और सांस्कृतिक एकीकरण का संतुलन
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