शॉर्ट न्यूज़: 5 जनवरी, 2022
नियंत्रित हवाई वितरण प्रणाली
प्रवाल भित्तियों पर खतरा
जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग
वैश्विक असमानता को प्रमाणित करती रिपोर्ट
खुदरा प्रत्यक्ष योजना
मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की कवायद
नियंत्रित हवाई वितरण प्रणाली
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ‘हवाई वितरण अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान’ (ADRDE) ने 500 कि.ग्रा. क्षमता वाली ‘नियंत्रित हवाई वितरण प्रणाली’ (CADS-500) का परीक्षण किया।
प्रमुख बिंदु
- परीक्षण के दौरान ‘रैम एयर पैराशूट’ (RAP) के माध्यम से 500 कि.ग्रा. वज़नी पेलोड पूर्व-निर्धारित स्थान पर सटीकतापूर्वक पहुँचाया गया।
- उड़ान के दौरान निर्देशांक व ऊँचाई का अनुमान लगाने और सेंसर्स के संचालन के लिये ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम’ (GPS) का उपयोग किया गया।
- यह प्रणाली नेविगेशन का उपयोग करके अपने उड़ान पथ पर स्वायत्त रूप से संचालित होती है।
- विदित हो कि आगरा स्थित ए.डी.आर.डी.ई. ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) की एक अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है।
प्रवाल भित्तियों पर खतरा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ’ (IUCN) ने पिछले 35 वर्षों के आँकड़ों का विश्लेषण कर अनुमान लगाया कि आगामी 50 वर्षों के दौरान समुद्री सतह के तापमान की स्थिति क्या रहेगी और इस आधार पर प्रवाल भित्तियों की दशा क्या रहने वाली है। इस अध्ययन में अफ्रीका के पूर्वी तट और पूर्व में सेशेल्स और मॉरीशस द्वीपों को शामिल किया गया। यहाँ दुनिया की लगभग 5% प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं।
प्रमुख बिंदु
- पश्चिमी हिंद महासागर में द्वीपीय राष्ट्रों की प्रवाल भित्तियों के समक्ष ‘उच्च खतरा’ (HighThreat) है और महासागरीय तापन और अत्यधिक मत्स्यन के कारण आगामी पाँच दशकों में यहाँ की प्रवाल भित्तियाँ नष्ट हो जाएँगी।
- पूर्वी व दक्षिणी मेडागास्कर, कोमोरोस और मस्कारेने द्वीप में ये ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ (Critically Endangered) है, जबकि पश्चिमी व उत्तरी मेडागास्कर तथा सेशेल्स के बाहरी क्षेत्रों में ये ‘लुप्तप्राय’ (Endangered) हैं।
- उत्तरी सेशेल्स, दक्षिण अफ्रीका से केन्या तक की मुख्य भूमि तथा पूर्वी अफ्रीकी तट पर प्रवाल भित्तियाँ ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) हैं।
- ‘आई.यू.सी.एन.’ (The International Union for Conservation of Nature) सरकारों व नागरिकों का संघ है। यह पादप व जीव प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण की स्थिति दर्शाता है।
जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग गठित किया गया है। इसने विधानसभा की 16 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित करने का प्रस्ताव किया है।
प्रमुख बिंदु
- आयोग ने जम्मू संभाग के लिये 6 तथा कश्मीर संभाग के लिये 1 सीट बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। वर्तमान में जम्मू संभाग में 37 और कश्मीर संभाग में 46 विधानसभा सीटें हैं।
- आरक्षित सीटों में 7 सीटें अनुसूचित जाति और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिये होंगी।
- नई सीटों का निर्धारण वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, कश्मीर संभाग की जनसंख्या लगभग 68.8 लाख और जम्मू संभाग की जनसंख्या लगभग 53.5 लाख है।
- जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर वहाँ विधानसभा सीटों की संख्या 87 से बढ़ाकर 90 कर दी है।
वैश्विक असमानता को प्रमाणित करती रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
‘पेरिस स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स’ के शोध केंद्र ‘वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब’ द्वारा जारी की गई ‘विश्व असमानता रिपोर्ट, 2022’ के अनुसार, कोविड-19 महामारी के दौरान अमीर और गरीब के बीच विषमता बढ़ी है तथा गरीबों की दशा निरंतर खराब होती जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- वैश्विक आय का 52% हिस्सा वैश्विक जनसंख्या के शीर्ष 10% लोगों के पास है, जबकि निम्नतम 50% लोगों के पास वैश्विक आय का महज़ 8.5% हिस्सा ही है।
- शीर्ष 10% वैश्विक आबादी कुल वैश्विक संपत्ति का 76%, जबकि निम्नतम 50% वैश्विक आबादी कुल वैश्विक संपत्ति का मात्र 2% अपने पास रखती है।
- क्षेत्रवार दृष्टिकोण से देखें, तो यूरोप में शीर्ष 10% लोगों के पास कुल आय का 36%, जबकि पश्चिमी एशिया व उत्तरी अफ्रीका के शीर्ष 10% लोगों के पास कुल आय का 58% है।
असमानता के कारण
- सरकार की आय पुनर्वितरण नीतियों की विफलता
- कुछ देशों में संसाधनों पर सरकार की अपेक्षा निजी क्षेत्र का अधिक नियंत्रण
- अर्थव्यवस्था में महिलाओं की अपर्याप्त भागीदारी
समाधान
- आय पुनर्वितरण नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन हो
- शिक्षा के अवसरों में वृद्धि हो
- धन-संग्रहण हतोत्साहित किया जाए
कुज़नेट्स सिद्धांत
अमेरिकी अर्थशास्त्री और सांख्यिकीविद् साइमन स्मिथ कुज़नेट्स ने कई अर्थव्यवस्थाओं का अध्ययन कर ‘आय असमानता’ और ‘आर्थिक विकास’ में संबंध स्थापित किया और उल्टे यू-आकार (U) का वक्र प्राप्त किया, इसे ‘कुज़नेट्स वक्र’ कहते हैं।
निष्कर्ष
- आर्थिक विकास के कारण गरीब देशों में आय असमानता बढ़ी, जबकि अमीर देशों में घटी।
- आर्थिक विकास होने पर पहले आय असमानता में वृद्धि और फिर कमी होती है।
- आर्थिक विकास के लिये अर्थव्यवस्थाएँ ‘कृषि’ से ‘उद्योगों’ की ओर अग्रसर होती हैं। ‘औद्योगिक अर्थव्यवस्था’ की अपेक्षा ‘कृषि अर्थव्यवस्था’ में आय-विषमता बहुत कम होती है, इसलिये आर्थिक विकास होने पर आय-विषमता बढ़ती है।
- आर्थिक असमानता का चक्र बाज़ार की ताकतों द्वारा भी संचालित होता है।
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खुदरा प्रत्यक्ष योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ (RBI) ने ‘खुदरा प्रत्यक्ष योजना’ (RDS) लॉन्च की थी। इसके तहत खुदरा निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों में सीधे निवेश करने की अनुमति प्रदान की गई। पूर्व में खुदरा निवेशक सिर्फ म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से ही सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते थे।
उद्देश्य
खुदरा निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों में प्रत्यक्ष निवेश करने का अवसर उपलब्ध कराना तथा सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ाना।
प्रमुख बिंदु
- सेबी के अनुसार, किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में 2 लाख रुपए से कम का निवेश करने वाले सभी व्यक्ति ‘खुदरा निवेशक’ माने जाते हैं।
- खुदरा निवेशक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय कर सकेंगे और इसके लिये उन्हें एक ‘रिटेल डायरेक्ट गिल्ट’ (RDG) खाते की आवश्यक होगी।
- इसके लिये लाभार्थी के पास भारत में बचत खाता, पैन कार्ड, के.वाई.सी. के लिये वैध दस्तावेज़, वैध ई-मेल आई.डी. व पंजीकृत मोबाइल नंबर होना आवश्यक है।
क्रय-योग्य सरकारी प्रतिभूतियाँ
- ट्रेज़री बिल (T-Bill)
- भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियाँ
- राज्य विकास ऋण (SDL)
योजना से लाभ
- इससे खुदरा निवेशकों की प्राथमिक व द्वितीयक, दोनों बाज़ारों तक पहुँच सुनिश्चित होगी।
- सरकार को सरकारी प्रतिभूतियों के माध्यम से उधार लेने में आसानी होगी।
- इससे निवेशकों की संख्या बढ़ेगी, अतः सरकार प्रतिभूतियों के प्रतिफल या ब्याज दर को कम कर सकेगी।
मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की कवायद
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, संसद ने ‘चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021’ पारित किया।
प्रमुख बिंदु
- इस विधेयक में मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत मतदाता पंजीकरण अधिकारी ‘स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के इच्छुक आवेदकों’ से आधार नंबर मांग सकता है।
- पंजीकरण अधिकारी पहले से मतदाता सूची में शामिल लोगों से भी आधार संख्या मांग सकते हैं।
- इससे किसी मतदाता के एकाधिक बार नामांकन होने की समस्या समाप्त होगी।
- आधार संख्या प्रस्तुत न किये जाने की स्थिति में किसी भी नागरिक का नाम मतदाता सूची से नहीं निकाला जाएगा।
- किसी कारणवश आधार नंबर प्रस्तुत ना कर पाने की स्थिति में नागरिक को पहचान के साक्ष्य के रूप में अन्य दस्तावेज़ पेश करने की अनुमति होगी।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियमों में संशोधन
- ‘आर.पी.ए., 1950’ की धारा-23 में संशोधन कर ‘एक ही व्यक्ति के कई जगह नामांकन’ को रोका जाएगा।
- ‘आर.पी.ए., 1950’ की धारा-14 में संशोधन कर ‘स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के लिये’ एक वर्ष में चार तिथियाँ – जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीनों की पहली तारीख – निर्धारित की गई हैं।
- ‘आर.पी.ए., 1950’ की धारा-20 और ‘आर.पी.ए., 1951’ की धारा-60 में संशोधन कर लैंगिक विभेद दूर करने का प्रयास किया गया है।
- वर्तमान में एकमात्र योग्यता तिथि ‘1 जनवरी’ है। अर्थात् 1 जनवरी को या उससे पहले 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले लोग स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत करा सकते हैं।