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मानव चिकित्सा में EEG के 100 वर्ष

(प्रारंभिक परीक्षा: सामान्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ 

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (Electroencephalography : EEG) भौतिक एवं तंत्रिका जीव विज्ञान में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह मानव मस्तिष्क की आंतरिक क्रिया-प्रतिक्रियाओं की जानकारी प्रदान करता है। वर्ष 2024 में जर्मन फिजियोलॉजिस्ट हैंस बर्जर द्वारा निर्मित पहली मानव EEG के 100 साल पूरे हो गए।

EEG का आविष्कार

  • सर्वप्रथम वर्ष 1875 में ब्रिटिश चिकित्सक रिचर्ड कैटन ने बंदरों एवं खरगोशों के मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि के साक्ष्य की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
  • वर्ष 1912 में व्लादिमीर प्रावदिच-नेमिंस्की ने कुत्ते के मस्तिष्क का पहला स्तनधारी EEG बनाया।
  • वर्ष 1924 में हैंस बर्जर ने मानव में EEG का प्रयोग किया।
  • हैंस बर्जर को EEG का आविष्कार करने, नामकरण करने और चिकित्सकीय प्रक्रिया में उपयोग प्रारंभ करने का श्रेय भी दिया जाता है।

EEG

क्या होता है EEG

  • EEG (Electroencephalography) को विद्युतमस्तिष्कलेखन भी कहते हैं। 'इलेक्ट्रो' (Electro) का अर्थ विद्युत, 'एन्सेफेलो' (encephalo) का अर्थ मस्तिष्क और 'ग्राफी' (graphy) एक प्रत्यय है जिसका अर्थ दिखाना या प्रतिनिधित्व करना है।
  • इस प्रक्रिया में मानव खोपड़ी पर इलेक्ट्रोड की सहायता से मस्तिष्क वैद्युत् तरंगो का ग्राफ तैयार किया जाता है।
  • इस प्रणाली में कई इलेक्ट्रोड होते हैं जिनमें से किसी दो निकटतम इलेक्ट्रोड के बीच की दूरी सिर पर दो बिंदुओं के बीच की कुल दूरी का 10% या 20% होती है।
  • इलेक्ट्रोड से जानकारी संदर्भ के चार सामान्य बिंदु होते हैं :  
    • नेजियन (Nasion) : नाक के ऊपर आंखों के बीच का संधि गर्त स्थल (Depression)  
    • इनियन (Inion) : खोपड़ी के पीछे का भाग
    • एक ट्रागस (Tragus) से दूसरे ट्रागस की ओर : ट्रागस बाहरी कान पर छोटा फ्लैप जैसा उभार होता है। जब तेज आवाज आती है तो मनुष्य अपने कान बंद करने के लिए इसे अंदर की ओर धकेलते हैं।

कैसे कार्य करता है EEG परीक्षण

  • मानव मस्तिष्क का निर्माण करने वाले न्यूरॉन्स लगातार अपने आस-पास के वातावरण के साथ परमाणुओं, अणुओं, प्रोटीन आदि का आदान-प्रदान करते रहते हैं।
  • कभी-कभी न्यूरॉन्स अपने बीच के स्थान में से आयनों को बाहर धकेल देते हैं। चूँकि समान आवेश वाले आयन एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं, इसलिए यह 'गति' अन्य आयनों को दूर धकेल सकती है, जो इसी तरह अन्य आयनों को भी दूर धकेलते हैं।
  • जब एक ही समय में बड़ी संख्या में न्यूरॉन्स इस प्रक्रिया को शुरू करते हैं तो मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि की एक वृहत लहर प्रवाहित होती है।
  • खोपड़ी पर लगे इलेक्ट्रोड धातु से बने होते हैं। ये तरंगों के इनके पास से गुजरने पर वोल्टेज में होने वाले बदलावों को ट्रैक करते हैं, जिससे इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (मस्तिष्क वैद्युत् तरंगो का ग्राफ) बनता है।

EEG के सकारात्मक पक्ष 

  • EEG मस्तिष्क में अपेक्षाकृत तेज़ विद्युत गतिविधि को मिलीसेकंड के क्रम में ट्रैक करने में अन्य नैदानिक ​​उपकरणों से बेहतर है।
  • मेट्रोलॉजिकल एवं डायग्नोस्टिक क्षमताओं के साथ-साथ EEG सेटअप अपेक्षाकृत सरल एवं लागत प्रभावी भी है।
  • इसमें शामिल उपकरण ज़्यादा स्थान नहीं लेते है और उच्च-ऊर्जा विकिरण या ध्वनि उत्सर्जित नहीं करते है। यह एम.आर.आई. की तरह रोगियों को छोटी जगहों तक सीमित नहीं रखता है। यह पोर्टेबल हैं और सर्जरी रहित (Non-invasive) भी है। 
    • EEG के सर्जरी (Invasive) युक्त एवं उन्नत संस्करण को इलेक्ट्रोकॉर्टिकोग्राफी (ECOG) कहा जाता है।

EEG के नकारात्मक पक्ष 

  • यह कॉर्टेक्स की सतह के करीब उत्पन्न विद्युत संकेतों की ओर पक्षपाती है, और न्यूरॉन्स के डेंड्राइट्स एवं एक्सॉन द्वारा उत्पन्न धाराओं के विरुद्ध है।
  • इसमें मस्तिष्क के भीतर विद्युत गतिविधि के स्रोत का पता लगाने की प्रक्रिया भी अन्य नैदानिक ​​उपकरणों से कम है जिससे कुछ विद्युत डाटा प्राप्त होता है।
    • इन चुनौतियों के समाधान के लिए शोधकर्ताओं ने EEG को अन्य परीक्षणों, जैसे- चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) के साथ प्रयोग किया है, तथा परिष्कृत डाटा अधिग्रहण, प्रसंस्करण व पुनर्निर्माण विधियों का विकास किया है।
  • इसके निदान संबंधी कमियों के अलावा EEG परीक्षण की तैयारी में समय लगता है, जिसमें सिर पर जेल लगाना और जटिल प्रणाली के अनुसार इलेक्ट्रोड को सटीक स्थानों पर लगाना शामिल है।
  •  व्यक्ति के बाल बहुत अधिक घने होने पर इसकी रीडिंग प्रभावित हो सकती है।

EEG के अनुप्रयोग 

  • मस्तिष्क में न्यूरॉन्स विद्युत आवेशित कणों, जैसे- आयनों को गति देकर विभिन्न कार्य करते हैं।
  • इन कणों की गति विद्युत गतिविधि को जन्म देती है जिसे देखने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता EEG परीक्षण का उपयोग कर सकते हैं।
  • शोधकर्ता EEG से प्राप्त डाटा को मस्तिष्क गतिविधि के विभिन्न स्तरों एवं तरीकों से जोड़ने में भी सक्षम हैं और इसका उपयोग सामान्य और असामान्य स्थितियों के बीच विश्वसनीय रूप से अंतर करने के लिए कर सकते हैं।
  • यह मिर्गी के निदान के लिए संदर्भ मानक एवं उपलब्ध सर्वोत्तम परीक्षण है।
  • EEG परीक्षण एनेस्थीसिया के प्रभावों, नींद के पैटर्न, कोमा के दौरान न्यूरोलॉजिकल गतिविधि एवं ऑक्सीजन की उपलब्धता का भी पता लगा सकता है।
  • EEG मस्तिष्क के निष्क्रिय होने की पुष्टि करने में भी मदद कर सकता है, जो भारत में मृत्यु के दो कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त रूपों में से एक है।
  • अनुसंधान में वैज्ञानिक तंत्रिका विज्ञान, संज्ञानात्मक मनोविज्ञान, तंत्रिका भाषा विज्ञान और तंत्रिका विपणन अध्ययनों के लिए तथा मस्तिष्क-कम्प्यूटर इंटरफेस विकसित करने के लिए ई.ई.जी. का उपयोग करते हैं।
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