| (GS Paper 3 — Environment) |
रेत (Sand) — जिसे अक्सर “छोटी चीज़” समझा जाता है — वास्तव में आधुनिक सभ्यता की रीढ़ है। यह निर्माण उद्योग (Construction Sector), कंक्रीट, ग्लास, सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की मूलभूत सामग्री है।लेकिन बढ़ती मांग और सीमित प्राकृतिक आपूर्ति ने रेत को “सफेद सोना (White Gold)” बना दिया है। भारत सहित कई देशों में यह अब अवैध खनन (Illegal Sand Mining), माफिया नेटवर्क, और पर्यावरणीय विनाश का प्रतीक बन चुकी है।
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पहलू |
वैध खनन |
अवैध खनन |
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लाइसेंसिंग |
सरकार द्वारा अनुमोदित खदानें और कोटा प्रणाली |
बिना अनुमति या लाइसेंस के खनन |
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राजस्व |
राज्य सरकार को रॉयल्टी और टैक्स मिलता है |
कोई राजस्व नहीं; सीधा नुकसान |
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पर्यावरणीय प्रबंधन |
पर्यावरण मंजूरी (EC) और पुनर्भरण नियम |
बिना EIA या संरक्षण उपायों के खनन |
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निगरानी |
जिला खनन अधिकारी, SPCB, पुलिस |
स्थानीय नेटवर्क, रात में खनन, हिंसा और रिश्वत |
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राज्य |
प्रमुख प्रभावित क्षेत्र |
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उत्तर प्रदेश |
यमुना, केन, बेतवा, सोन, गंगा नदी घाटी |
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मध्य प्रदेश |
नर्मदा, चंबल और ताप्ती घाटी |
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महाराष्ट्र |
गोदावरी, भीमा नदी |
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तमिलनाडु |
वेल्लार, कोलार, कावेरी नदी तट |
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बिहार |
सोन और गंडक नदी |
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ओडिशा |
ब्राह्मणी और महानदी क्षेत्र |
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हरियाणा-पंजाब |
यमुना और सतलुज घाटी |
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प्रभाव |
विवरण |
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नदी पारिस्थितिकी का क्षरण |
नदी तलों की गहराई बढ़ने से भूजल स्तर घटता है, जलधाराएँ सूखती हैं। |
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कटाव और तटीय क्षरण |
नदी किनारे बस्तियाँ और कृषि भूमि कटाव का शिकार। |
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जैव विविधता को नुकसान |
मछलियों, कछुओं, पक्षियों के आवास नष्ट। |
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जल प्रदूषण |
नदी में गाद (silt) असंतुलन, पारदर्शिता घटती है। |
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जलवायु प्रभाव |
नमी घटने से स्थानीय तापमान और धूल प्रदूषण बढ़ता है। |
चंबल अभयारण्य, जो घड़ियालों का घर है, अवैध खनन से गंभीर संकट में है।
1. नीतिगत उपाय
2. तकनीकी पहल
3. कानूनी कार्रवाई
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वर्ष |
प्रकरण |
न्यायालय का निर्देश |
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2013 |
Deepak Kumar v. State of Haryana (SC) |
पर्यावरणीय मंजूरी के बिना खनन पूर्णतः अवैध। |
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2018 |
NGT बनाम TN Sand Mining Case |
रेत परिवहन की डिजिटल मॉनिटरिंग अनिवार्य। |
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2022 |
UP Sand Mining PIL |
राज्य सरकार को ई-लाइसेंस प्रणाली लागू करने का निर्देश। |
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आयाम |
विश्लेषण |
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पर्यावरणीय |
अवैध रेत खनन जलवायु संतुलन, जैव विविधता और नदी पारिस्थितिकी पर गंभीर खतरा है। |
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आर्थिक |
अवैध खनन से सरकार को राजस्व हानि, परंतु माफिया अर्थव्यवस्था का विस्तार। |
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शासन |
नीति-क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार और निगरानी की कमी। |
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सामाजिक |
स्थानीय हिंसा, मानवाधिकार उल्लंघन और पत्रकारों की सुरक्षा का प्रश्न। |
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संविधानिक आयाम |
अनुच्छेद 48A: पर्यावरण संरक्षण का राज्य का दायित्व; 51A(g): नागरिकों का पर्यावरणीय कर्तव्य। |
अवैध रेत खनन केवल एक पर्यावरणीय अपराध नहीं, बल्कि यह प्रशासनिक विफलता, सामाजिक हिंसा और आर्थिक असमानता का भी प्रतीक बन चुका है। जब तक सरकार, स्थानीय समुदाय और न्यायपालिका मिलकर पारदर्शी, तकनीक-आधारित और जवाबदेह प्रणाली नहीं बनाते, तब तक यह “रेत की चोरी” हमारी नदियों और समाज दोनों को खोखला करती रहेगी।
“नदियाँ हमारी सभ्यता की आत्मा हैं — और रेत उनका शरीर; यदि शरीर खोखला होगा, तो आत्मा कब तक टिकेगी?”
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UPSC MAINS QUESTIONS
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