(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।) |
संदर्भ
नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब ने गांधीनगर, गुजरात में “Reimagining Agriculture: A Roadmap for Frontier Technology Led Transformation” नामक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत के कृषि क्षेत्र को 2047 तक तकनीकी रूप से सशक्त, टिकाऊ और समावेशी बनाने का रोडमैप प्रस्तुत किया गया है।
रिपोर्ट के बारे में
यह रिपोर्ट भारत की कृषि प्रणाली में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), IoT, ड्रोन, डिजिटल ट्विन्स, एजेंटिक AI और बायो-इनोवेशन जैसी उन्नत तकनीकों के प्रयोग से उत्पादकता, स्थिरता और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक रणनीतिक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
मुख्य उद्देश्य
- कृषि में तकनीकी एकीकरण के माध्यम से उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाना।
- छोटे और बड़े किसानों के लिए अनुकूल समाधान विकसित करना।
- सतत कृषि को प्रोत्साहित कर विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को साकार करना।
तीन स्तंभों पर आधारित ढांचा
रिपोर्ट ने “डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन 2.0” के तहत तीन प्रमुख स्तंभ प्रस्तावित किए हैं –
- डाटा ईकोसिस्टम का विकास: कृषि क्षेत्र में डिजिटल और डाटा-आधारित निर्णय प्रणाली को मजबूत करना।
- R&D और कौशल विकास: अनुसंधान, नवाचार और किसानों की डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।
- नीति और उद्योग का समन्वय: उद्योग ज्ञान और नीति-निर्माण को जोड़कर कृषि परिवर्तन को गति देना।
किसानों का वर्गीकरण
रिपोर्ट में भारत के किसानों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है –
- आकांक्षी कृषक (70–80%) : छोटे किसान जिन्हें तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
- परिवर्तनशील कृषक (15–20%) : जो धीरे-धीरे आधुनिक कृषि अपनाने की दिशा में अग्रसर हैं।
- उन्नत कृषक (1–2%) : व्यावसायिक स्तर पर उच्च तकनीक का उपयोग करने वाले किसान।
भारत की वर्तमान कृषि स्थिति
- कृषि क्षेत्र 45.8% कार्यबल को रोजगार देता है और हर वर्ष लगभग 1 अरब टन खाद्य उत्पादन करता है।
- मुख्य समस्याएँ:
- 86% छोटे जोत वाले किसान जिनके पास 1 हेक्टेयर से भी कम भूमि है।
- कम मशीनीकरण और उच्च लागत।
- पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस; लगभग 18 अरब डॉलर का वार्षिक नुकसान।
- डिजिटल और वित्तीय संसाधनों की सीमित पहुँच।
- जलवायु परिवर्तन के कारण फसल उत्पादकता पर दबाव।
फ्रंटियर टेक्नोलॉजी के अवसर
- AI और Predictive Analytics: मौसम, रोग, और फसल अनुमान के लिए सटीक सलाह, जैसे तेलंगाना के पायलट प्रोजेक्ट में 21% उत्पादकता वृद्धि।
- जलवायु-प्रतिरोधी बीज : CRISPR जैसी जीन एडिटिंग तकनीकों से सूखा, गर्मी और कीट प्रतिरोधी फसलें।
- स्मार्ट मशीनीकरण : ड्रोन, सेंसर और डिजिटल ट्विन्स से संसाधनों का कुशल उपयोग।
- ब्लॉकचेन : फसल से उपभोक्ता तक पारदर्शिता और किसान डेटा की सुरक्षा।
- एग्रीटेक स्टार्टअप्स : 1000+ भारतीय स्टार्टअप्स जो AI और फिनटेक के माध्यम से कृषि को आधुनिक बना रहे हैं।
सरकारी प्रयास
- डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (2021–25): किसानों का एकीकृत डिजिटल डाटाबेस।
- राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन: जलवायु-स्मार्ट खेती को बढ़ावा।
- किसान ड्रोन योजना: ड्रोन से फसल छिड़काव और मानचित्रण।
- PM-किसान और eNAM: सीधी आय सहायता और डिजिटल कृषि बाजार।
- एग्रीस्टैक और एग्री एक्सेलेरेटर फंड: स्टार्टअप्स को बढ़ावा और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास।
मुख्य चुनौतियाँ
- डाटा असंगति: विभिन्न प्रणालियों के बीच डेटा का असंगठित होना।
- डिजिटल साक्षरता की कमी: छोटे किसानों में तकनीक पर भरोसे की कमी।
- डिजिटल असमानता : ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क और तकनीकी ढाँचे की कमी।
- कौशल अंतर: कृषि और AI के बीच समन्वय की कमी।
- वित्तीय सीमाएँ: तकनीकी नवाचारों के लिए पूँजी की कमी।
नीति आयोग की प्रमुख सिफारिशें
- डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन 2.0: AI आधारित सलाह, डिजिटल ट्विन्स और स्टार्टअप एक्सेलेरेटर को जोड़ना।
- अनुसंधान और नवाचार : प्रयोगशालाओं से खेतों तक तकनीक का तेज़ी से स्थानांतरण।
- कृषि प्रतिभा विकास : किसानों और युवाओं को AI और डिजिटल कौशल में प्रशिक्षित करना।
- संस्थागत सहयोग : नीति, उद्योग और अकादमिक क्षेत्र का समन्वय।
- समावेशी वित्तीय मॉडल : वैकल्पिक डेटा के माध्यम से क्रेडिट और बीमा की पहुँच बढ़ाना।
निष्कर्ष
निति आयोग की यह रिपोर्ट भारत को “बुद्धिमत्तापूर्ण कृषि क्रांति (Intelligent Agricultural Revolution)” की दिशा में अग्रसर करती है, जहाँ डाटा नई मिट्टी है और AI उसका तंत्रिका तंत्र। यदि नीति, नवाचार और समावेशन को साथ लाया जाए, तो भारत की कृषि परंपरागत से तकनीकी-सक्षम बन सकती है, जिससे उत्पादकता, स्थिरता और समृद्धि तीनों का संतुलित विकास होगा।