| (मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन पेपर - 3 पर्यावरण और जैव विविधता) |
चर्चा में क्यों ?
भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र अपनी असाधारण जैव विविधता और एंडेमिक प्रजातियों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसी श्रंखला में हाल ही में एक नई उष्णकटिबंधीय पौध प्रजाति होया डावोडिएंसिस की खोज की गई है, जो भारत की वनस्पति विविधता में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है। यह खोज विशेष रूप से संरक्षण, अनुसंधान तथा क्षेत्रीय जैविक विरासत की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

कहाँ मिली यह नई प्रजाति ?
- यह प्रजाति अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के विजयनगर क्षेत्र में पाई गई।
- विजयनगर एक दूरस्थ और कम खोजा गया क्षेत्र है।
- यहाँ केवल हवाई मार्ग या कई दिनों की पैदल यात्रा द्वारा पहुँचा जा सकता है।
- यह इलाका घने वर्षावनों और उच्च जैविक-समृद्धि के कारण वैज्ञानिकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
होया डावोडिएंसिस क्या है?
- यह होया जीनस की एक नई एपिफाइटिक (अन्य पेड़ों पर उगने वाली) प्रजाति है।
- इसके फूल मोमी और चमकदार लगते हैं।
- इसलिए लोग इन्हें Wax Plant / Porcelain Flower के रूप में भी पहचानते हैं।
- इनके फूलों की morphology और ecological role इस जीनस के अध्ययन में नया दृष्टिकोण प्रदान करती है।
होया पौधों की विशेषताएँ
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विशेषता
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विवरण
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वनस्पतिक समूह
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उष्णकटिबंधीय पुष्पीय पौधे (Tropical Flowering Plants)
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सामान्य नाम
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Wax Plants / Porcelain Flowers
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वितरण
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एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत द्वीप समूह
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बढ़ने का स्थान
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उज्ज्वल, अप्रत्यक्ष प्रकाश
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मिट्टी
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अच्छी जल–निकासी और हवादार
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आर्द्रता
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उच्च आर्द्र वातावरण पसंद, लेकिन मोमी पत्तियाँ सूखे में भी सहनशील
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पारिस्थितिक महत्व
- परागण तंत्र की विविधता में योगदान
- उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के सूक्ष्म पारिस्थितिकी (Micro-ecology) के लिए आवश्यक
- कई कीट/परागणकर्ता प्रजातियों के लिए संसाधन।
खोज के संदर्भ में चुनौतियाँ
- विजयनगर क्षेत्र की पहुंच अत्यंत सीमित
- जलवायु व सतत वर्षा के कारण अन्वेषण कठिन
- संसाधन सीमित - संरक्षण के प्रयास चुनौतीपूर्ण
पूर्वोत्तर भारत की जैव विविधता:
- भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र जैव विविधता का वैश्विक हॉटस्पॉट है। यह क्षेत्र हिमालय, इंडो-बर्मा और दक्षिण-पूर्व एशिया की पारिस्थितिक प्रणालियों का मिलन बिंदु है।
- यहाँ की जलवायु विविधता, घने वर्षावन, पर्वतीय भूस्थलाकृति और आदिवासी संरक्षण परंपराएँ इसे विशिष्ट बनाती हैं।
पूर्वोत्तर भारत - भौगोलिक और पर्यावरणीय अवलोकन
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विशेषताएँ
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विवरण
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शामिल राज्य
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अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा + सिक्किम
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पाई जाने वाली बायोज़ोन
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पूर्वी हिमालय, इंडो-बर्मा हॉटस्पॉट
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प्रमुख पारिस्थितिक तंत्र
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वर्षावन (Tropical Rainforest), अल्पाइन वनस्पति, दलदली/जल-आधारित तंत्र
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औसत वर्षा
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विश्व के सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में से एक
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जनजातीय संरक्षण अभ्यास
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Sacred Groves, Community Forest System
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जैव विविधता की विशेषताएँ
- पूर्वोत्तर भारत में पाया जाता है -
- भारत की 70% से अधिक पक्षी और स्तनधारी प्रजातियाँ
- 5000+ फूलदार पौधों की प्रजातियाँ
- कई एंडेमिक (स्थानिक) प्रजातियाँ केवल यहीं पाई जाती हैं
प्रमुख स्थानिक एवं महत्वपूर्ण प्रजातियाँ
- स्तनधारी: रेड पांडा, हूलॉक गिबन, गोल्डन लंगूर, टाकिन
- पक्षी: हॉर्नबिल प्रजातियाँ, ब्लाइथ्स ट्रैगोपन, वाइट-विंग्ड वुड डक
- कछुए: बंगाल फ्लोरिकन, असम रूफ्ड टर्टल
- पौधे: ऑर्किड्स, कैना, रॉडोडेंड्रॉन, कैनबिस इंडिका की विविध प्रजातियाँ
- पूर्वोत्तर भारत विश्व-स्तर पर ऑर्किड्स की प्रमुख विविधता का केंद्र है।
पारिस्थितिक महत्व
- जलवायु नियंत्रण - भारत के मानसून चक्र को संतुलित करने में भूमिका
- परागण एवं खाद्य सुरक्षा - दुर्लभ परागणकर्ता प्रजातियों का आश्रय
- औषधीय संसाधन - पूर्वोत्तर को “Herbal Treasure House” कहा जाता है
- कार्बन सिंक - बड़े पैमाने पर कार्बन अवशोषण
संकट और चुनौतियाँ
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प्रमुख खतरे
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प्रभाव
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वनों की कटाई व भूमि उपयोग परिवर्तन
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आवास विनाश, जैव विविधता हानि
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अवैध वन्यजीव व्यापार
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लुप्तप्राय प्रजातियों पर गंभीर असर
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बाँध-परियोजनाएँ और अवसंरचना विकास
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पारिस्थितिकी में व्यवधान
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सीमा क्षेत्र में सैन्य गतिविधियाँ
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संवेदनशील आवासों पर दबाव
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क्लाइमेट चेंज
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वर्षावन और पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र को खतरा
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संरक्षण प्रयास
- सरकारी कार्यक्रम
- जीव जन्तु संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षण
- कई राष्ट्रीय उद्यान एवं बायोस्फीयर रिज़र्व-
- नामदाफा, काजीरंगा, मानस, नेोरा वैली, मोल्लिंग इत्यादि
- National Mission on Himalayan Studies
- CAMPA, वन संरक्षण अधिनियम पर जोर
समुदाय द्वारा संरक्षण
- Sacred Groves (मेघालय, नागालैंड)
- Home Garden Biodiversity Model
- जनजातीय पारंपरिक ज्ञान का उपयोग
निष्कर्ष
पूर्वोत्तर भारत सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि भारत की जैविक पहचान का जीवित खजाना है। वैज्ञानिक अध्ययन, पारिस्थितिक संतुलन एवं राष्ट्र की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र का संरक्षण सर्वोपरि है।
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प्रश्न. भारत के किस क्षेत्र में असाधारण जैव विविधता और एंडेमिक प्रजातियों की अत्यधिक उपस्थिति पाई जाती है ?
(a) पश्चिमी तट क्षेत्र
(b) पूर्वोत्तर भारत
(c) थार मरुस्थल क्षेत्र
(d) दक्कन पठार
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