(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 & 3: न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।) |
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय की केंद्रीय एम्पावर्ड कमिटी (CEC) ने गोवा में टाइगर रिज़र्व बनाने की सिफारिश की है, लेकिन इसे चरणबद्ध तरीके से करने को कहा है ताकि मानव बस्तियों पर कम से कम असर पड़े।
हालिया मुद्दा क्या है
- गोवा सरकार लंबे समय से इन क्षेत्रों को टाइगर रिज़र्व घोषित करने के विरोध में है। उसका मुख्य तर्क है कि इससे हजारों स्थानीय लोग प्रभावित होंगे और गोवा में कोई “स्थायी बाघ” नहीं हैं, बल्कि सिर्फ़ “ट्रांज़िट” (आते-जाते) बाघ हैं।
- वहीं पर्यावरण संगठन और विशेषज्ञ इसे पश्चिमी घाट के महत्वपूर्ण बाघ कॉरिडोर को बचाने के लिए ज़रूरी बता रहे हैं।
पृष्ठभूमि
- जनवरी 2020: महदेई वन्यजीव अभयारण्य में एक मादा बाघ और उसके तीन शावकों की संदिग्ध ज़हर से मौत।
- इसके बाद गोवा फाउंडेशन ने बॉम्बे हाईकोर्ट (गोवा बेंच) में याचिका दायर की।
- जुलाई 2023: हाईकोर्ट ने गोवा सरकार को 3 महीने में 5 संरक्षित क्षेत्रों महदेई, भगवान महावीर, नेत्रावली, कोटिगाव और भगवान महावीर नेशनल पार्क; को मिलाकर टाइगर रिज़र्व घोषित करने का आदेश दिया।
- गोवा सरकार ने इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। कोर्ट ने CEC से जांच कर रिपोर्ट देने को कहा।
- CEC ने मौके पर दौरा किया, वनवासियों, अधिकारियों और NGO से बात की और अपनी रिपोर्ट सौंपी।

टाइगर रिज़र्व स्थापना के प्रभाव
- पश्चिमी घाट में बाघों के लिए महत्वपूर्ण कॉरिडोर बचेगा।
- कर्नाटक के काली टाइगर रिज़र्व से गोवा तक बाघों की निर्बाध आवाजाही संभव।
- केंद्र से ज्यादा फंड, रिसर्च और संरक्षण गतिविधियाँ।
- लंबे समय में बाघों की आबादी बढ़ने की संभावना।
संबंधित चिंताएं
- पहले चरण में 102 परिवारों और दूसरे चरण में 612 परिवारों पर विस्थापन का बड़ा असर होगा।
- गोवा सरकार का बार-बार बदलता रुख – कभी कहती है “लाखों लोग प्रभावित होंगे”, कभी केवल 1,274 प्रभावित घर मानती है।
- गोवा में बाघों को “ट्रांज़िट” बताकर रिज़र्व बनाने से इनकार।
- स्थानीय लोगों के अधिकारों का निर्धारण और उचित मुआवजा।
आगे की राह
- राज्य सरकार को सबसे पहले वनवासियों का डर दूर करना होगा और भरोसा दिलाना होगा कि जबरन विस्थापन नहीं होगा।
- पहले चरण को जल्द अधिसूचित कर कोर-बफर ज़ोन बनाना।
- महदेई अभयारण्य को दूसरे चरण में शामिल करने से पहले स्थानीय लोगों से विस्तृत परामर्श।
- टाइगर कंज़र्वेशन प्लान तैयार करना और अनुसूचित जनजाति/वनवासियों के अधिकार तय करना।
- कर्नाटक के काली टाइगर रिज़र्व के साथ समन्वय बढ़ाकर एक बड़ा लैंडस्केप संरक्षण मॉडल बनाना।