New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

14वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 

संदर्भ

हाल ही में, चीन की अध्यक्षता में 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान ‘बीजिंग घोषणा-पत्र’ को जारी किया गया।  

शिखर सम्मेलन के प्रमुख बिंदु 

  • यह शिखर सम्मेलन "उच्च गुणवत्ता वाले ब्रिक्स साझेदारी को बढ़ावा, वैश्विक विकास के लिये एक नए युग में प्रवेश" (Foster High-quality BRICS Partnership, Usher in a New Era for Global Development) के विषय के तहत आभासी प्रारूप में आयोजित किया जाएगा।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने आभासी रूप से भाग लेते हुए इस समूह को ‘वैश्विक शासन के लिये एकसमान दृष्टिकोण’ (a similar approach to global governance) के रूप में वर्णित किया है। 
  • इस शिखर सम्मेलन के दौरान समूह के पाँच देशों ने यह प्रदर्शित किया कि कुछ मतभेदों के बावजूद उनके मध्य हितों का एक मजबूत अभिसरण विद्यमान है।

बीजिंग घोषणा-पत्र

  • इस घोषणा-पत्र के अनुसार, ब्रिक्स समूह द्वारा विकासशील और कम विकसित देशों, विशेष रूप से अफ्रीका में अधिक से अधिक सार्थक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक प्रयासों को अधिक समावेशी बनाने का प्रयास करना होगा।
  • इस समूह ने बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों को इसकी अनिवार्य आधारशिला के रूप में शामिल किया गया है।
  • बहुपक्षीय संगठनों को अधिक उत्तरदायी, प्रभावी, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिये सार्वभौमिक स्वतंत्रता, समानता, पारस्परिक वैध हितों और चिंताओं का सम्मान करते हुए, सभी के लाभ के लिये समावेशी परामर्श और सहयोग पर आधारित होना चाहिये।
  • सतत विकास को बढ़ावा देने के लिये डिजिटल और तकनीकी उपकरणों सहित अभिनव और समावेशी समाधानों का उपयोग किया जाना चाहिये। 
  • आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग, साइबर क्षेत्र, सूचना विज्ञान और नकली समाचारों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों सहित नई और उभरती, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों का बेहतर ढंग से जवाब देने के लिये अलग-अलग राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की क्षमताओं को मजबूत किया जाना चाहिये।
  • अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा, सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, जन-केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना चाहिये।
  • समूह ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प 75/1 को याद करते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों में सुधार के आह्वान को दोहराया है। 
  • इस समूह ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सदस्यों के रूप में भारत और ब्राजील की भूमिका की सराहना की है। परिषद् में चार ब्रिक्स देशों की उपस्थिति अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर समूह के संवाद के महत्त्व को और बढ़ाने तथा पारस्परिक हित के क्षेत्रों में निरंतर सहयोग के लिये एक अवसर प्रदान करती है।
  • समूह ने रूस-यूक्रेन युद्ध, ईरान परमाणु मुद्दे, कोरियाई द्वीप विवाद आदि को वार्ता के माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से हल करने पर भी बल दिया है।

समूह में विद्यमान मतभेद

  • एक लंबे एजेंडे के बावजूद, ब्रिक्स समूह के देशों के मध्य आपस में मतभेद विद्यमान हैं। उदाहरण के लिये समूह के दो प्रमुख मुद्दों संयुक्त राष्ट्र में सुधार तथा आतंकवाद पर भारत एवं चीन के मध्य मतभेद विद्यमान हैं।
  • गौरतलब है कि भारत और ब्राजील ने एक विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् पर बल दिया है जबकि चीन परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के पक्ष में नहीं है। 
  • आतंकवाद पर भी चीन का दृष्टिकोण भारत के विपरीत रहा है। हाल ही में, लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् प्रतिबंध समिति में प्रतिबंधित करने के प्रयास को चीन द्वारा अवरुद्ध किया जाना इसी विपरीत दृष्टिकोणों को प्रदर्शित करता है।
  • हालांकि, इन मतभेदों के बावजूद भी समूह उन मुद्दों पर सहयोग कर  सकते हैं जिनमें  इनके हित समान है जैसे- न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना, अंतरिक्ष सहयोग आदि।

निष्कर्ष 

ब्रिक्स  देशों ने अभी तक अभूतपूर्व सहयोग के माध्यम से विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने पक्षों को रखा है। यद्यपि समूह के विभिन्न देशों के मध्य कुछ मतभेद भी विद्यमान है, हालाँकि इन मतभेदों को वार्ता के माध्यम से समाधान कर यह समूह अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने मुद्दों को और व्यापक रूप से प्रस्तुत कर सकता है तथा नवीन विश्व व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका  निभा सकता है।

ब्रिक्स (BRICS - Brazil, Russia, India, China, South Africa)

  • ब्रिक्स की शुरुआत वर्ष 2006 में ब्राजील, रूस, भारत तथा चीन के विदेश मंत्रियों की एक बैठक द्वारा ‘ब्रिक’ (BRIC) के रूप में की गई थी। वर्ष 2009 से नियमित शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है।
  • इसकी पहली शिखर बैठक रूस के येकातेरिनबर्ग में की गई थी, जबकि आगामी 15वीं बैठक की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका के द्वारा की जाएगी।
  • वर्ष 2010 के शिखर सम्मेलन में ‘दक्षिण अफ्रीका’ को संगठन में शामिल होने के पश्चात् ब्रिक, ब्रिक्स में परिवर्तित हो गया।  
  • ब्राजील, रूस, भारत, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका द्वारा इस बहुपक्षीय समूह की अध्यक्षता बारी-बारी से की जाती है। 
  • ब्रिक्स, दुनिया की आबादी का 42 प्रतिशत, भूमि क्षेत्र का 30 प्रतिशत, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24 प्रतिशत और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भारत ने वर्ष 2012 और वर्ष 2016 में ब्रिक्स की अध्यक्षता की है।

ब्रिक्स द्वारा किये गए कार्य

  • संगठन ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला पर एक सामान्य दृष्टिकोण को विकसित किया है।
  • इसने ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ की स्थापना की है।
  • ‘आकस्मिक रिज़र्व व्यवस्था’ के रूप में एक वित्तीय स्थिरता जाल का निर्माण किया गया।
  • साथ ही, संगठन द्वारा एक ‘ब्रिक्स टीका अनुसंधान एवं विकास केंद्र’ की स्थापना की गई है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X