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ध्वनिक हथियार : कार्यप्रणाली, प्रकार एवं स्वास्थ्य पर प्रभाव

(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।)

संदर्भ 

  • सर्बिया में तीन महीने से ज़्यादा समय से न्याय, आज़ादी और लोकतंत्र के लिए सत्ता के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सरकार द्वारा ध्वनिक हथियार (SonicWeapon) का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है।
  • मानव शरीर पर गंभीर प्रभावों के कारण देश के पुलिस कानून के तहत ऐसे हथियार का इस्तेमाल अवैध है। सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक ने इस घटना से इनकार किया है।

ध्वनिक हथियार के बारे में

  • यह ऐसे उपकरण हैं जो लंबी दूरी तक बहुत तेज़ आवाज़ उत्पन्न करते हैं।
  • इन्हें दर्दनाक श्रव्य या अश्रव्य ध्वनि तरंगें उत्पन्न करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है।
  • इन उपकरणों का उपयोग ध्वनि संदेश या अन्य ध्वनि एम्पलीफायरों की तरह भी किया जा सकता है।
  • हालाँकि ध्वनि प्रवर्धक सदियों से मौजूद हैं, भीड़ नियंत्रण उद्देश्यों के लिए इस तकनीक का उपयोग 1990 के दशक की शुरुआत में हुआ था।
  • वर्ष 2004 में, अमेरिका की सेना ने पहली बार विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किया जो इराक में बहुत लंबी दूरी तक तेज़ आवाज़ें प्रक्षेपित करने में सक्षम थे।

कार्यप्रणाली

  • अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संगठन फिजिशियन फॉर ह्यूमन राइट्स (PHR) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे हथियारों में सामान्यत: सैकड़ों आधुनिक ट्रांसड्यूसर होते हैं, जिससे अत्यधिक केंद्रित और प्रवर्धित ध्वनि उत्पन्न होती है।
    • ट्रांसड्यूसर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है,जो ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित करता है।
  • यह हथियार काफी संकीर्ण एवं प्रवर्धित किरण, विशिष्ट लक्षित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकतेहैं। जैसे, कार की हेडलाइट द्वारा प्रकाश किरणों को केन्द्रित किया जाता है।
  • हथियार कीध्वनि को पुलिस अधिकारियों द्वारा नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है जो इसकी आवृत्ति, स्तर, गुणवत्ता और अवधि को बदल सकते हैं।

ध्वनिक हथियारों के तीन मुख्य प्रकार

  • लंबी दूरी की ध्वनिक डिवाइस (LRAD): यह डिवाइस अमेरिका स्थित जेनासिस इंक द्वारा निर्मित है, जिसे पहले LRAD कॉर्पोरेशन के नाम से जाना जाता था। इसमें स्पष्ट ध्वनि  के लिए 8,900 मीटर की रेंज है, और यह अत्यधिक तेज़ ध्वनि की एक दिशात्मक "बीम" उत्पन्न करता है जो 160 डेसिबल (dB) तक जा सकती है।
    • तुलना के लिए, उड़ान भरते समय जेट इंजन के ठीक पीछे खड़े होने पर 130-140dB की ध्वनि और पास में गोली चलने पर लगभग 150dB की ध्वनि उत्पन्न होती है। 
    • 140dBसे अधिक की ध्वनि अधिकांश लोगों के लिए दर्द का कारण बनेगी, लेकिन 120 डीबी से अधिक की ध्वनि भी स्थायी श्रवण क्षति का कारण बन सकती है।
  • मॉस्कीटो (Mosquito) : यह डिवाइस बहुत तेज़ आवाज़ उत्पन्न करती है जो सिर्फ़ युवा (किशोर व 20 वर्ष से अधिक आयु) लोगों को ही सुनाई देती है। यह बड़े लोगों (30 वर्ष और उससे ज़्यादा आयु) को प्रभावित नहीं करता।
  • इन्फ्रासोनिक हथियार (Infrasonic weapon) : यह एक नई तकनीक है और यह बहुत कम आवृत्ति एवं न सुनाई देने वाली ध्वनियाँ उत्पन्न करती है। हालाँकि यह दर्द और भटकाव जैसे प्रभाव उत्पन्न कर सकती हैं।
    • विशेषज्ञ अभी भी इसकी क्षमताओं की जाँच कर रहे हैं। 

ध्वनिक हथियारों के स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • ये हथियार कान के पर्दों और कानों के नाजुक अंगों को काफी नुकसान पहुँचा सकते हैं और स्थायी श्रवण ह्रास का कारण बन सकते हैं।
    • हालाँकि इयरप्लग का उपयोग करने से ध्वनि 20-30dB तक कम हो सकती है, लेकिन यह घातक क्षति से बचने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है।
    • मनुष्यों के लिए, लगभग 120dB  की ध्वनि सीमा को दर्दनाक माना जाता है जबकि यह हथियार 162dB तक की आवृत्ति की ध्वनि उत्सर्जित करते हैं।
  • इन हथियारों का प्रभाव उत्सर्जित ध्वनि से व्यक्ति की दूरी, जोखिम की अवधि और पहले से मौजूद शारीरिक स्थितियों पर निर्भर करता है।
    • उदाहरण के लिए, LRAD द्वारा उत्सर्जित तेज़ आवाज़ कानों में बजने की अनुभूति उत्पन्न कर सकती हैं, जिसे टिनिटस (Tinnitus) भी कहा जाता है, जो एक्सपोज़र के बाद कई मिनटों या दिनों तक रह सकता है।
  • सामान्य ध्वनि चोट के लक्षणों में सिरदर्द, मतली, पसीना आना, चक्कर आना और संतुलन खोना शामिल हैं। अधिक गंभीर चोट के लक्षणों में उल्टी और कानों से बलगम या खून आना शामिल है।
  • पी.एच.आर. जैसे मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ध्वनिक हथियारों के प्रभावों पर पर्याप्त शोधकार्य उपलब्ध नहीं है।
    • ये हथियार अंधाधुंध एवं मनमानी प्रकृति के हैं, जो प्रदर्शनकारियों को नुकसान या दर्द पहुंचाते हैं, भले ही ध्वनि की किरणें संकीर्ण हों।

उपयोग की वैधता

  • अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून सभा स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करते हैं, जिसमें सार्वजनिक या निजी बैठकें, मार्च, जुलूस, प्रदर्शन और धरना आयोजित करने का अधिकार भी शामिल है।
  • राज्य का यह कर्तव्य है कि वह शांतिपूर्ण सभा के अपने अधिकार का प्रयोग करने वालों को किसी भी प्रकार की हिंसा से बचाए, जिसमें कानून प्रवर्तन एजेंटों और प्रति-प्रदर्शनकारियों की हिंसा भी शामिल है। 
  • जब तक सभा का उद्देश्य शांतिपूर्ण है, आकस्मिक हिंसा राज्य को सुरक्षा के इस दायित्व से मुक्त नहीं करती है।
  • भारत में विरोध प्रदर्शन का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 19(1)(b) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा बिना हथियार के शांतिपूर्वक एकत्रित होने के अधिकार से प्राप्त होता है। 
  • भारत में कश्मीर में विरोध प्रदर्शनऔरकिसान आन्दोलन के विरुद्ध सरकारों द्वारा ध्वनिक हथियारों का प्रयोग किया गया है, जिसका मानवाधिकार संगठनों द्वारा विरोध किया गया।

आगे की राह

अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों के अनुसार सरकारों को निम्नलिखित मानदंडों के अंतर्गत बल प्रयोग के लिए नियम और विनियम अपनाने होंगे :

  • बल का प्रयोग न्यूनतम, लक्षित, आनुपातिक तथा हिंसा को कम करने पर केंद्रित होना चाहिए।
  • गैर-घातक हथियारों के उपयोग को सावधानीपूर्वक और  इस तरह से उपयोग किया जाना चाहिए कि इसमें शामिल न होने वाले व्यक्तियों को खतरे में डालने का जोखिम न्यूनतम हो।
  • कानून प्रवर्तन एजेंटों द्वारा बल के प्रयोग में संयम दिखाया जाना चाहिए, ताकि चोट और जीवन की हानि को न्यूनतम किया जा सके।
  • इसके अतिरिक्त, राज्य का यह दायित्व भी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि किसी भी घायल या प्रभावित व्यक्ति को यथाशीघ्र सहायता और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाए।

निष्कर्ष

  • हाल के वर्षों में ध्वनिक हथियारों के बढ़ते उपयोग के बावजूद, उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में उचित शोध और साक्ष्य का अभी भी अभाव है। ऐसी स्थिति में विरोध प्रदर्शनों में ध्वनिक हथियारों के प्रयोग को कम से कम तब तक निलंबित किया जाना चाहिए जब तक कि इसके प्रयोग से संबंधित स्वास्थ्य चिंताओं का समाधान नहीं हो जाता।
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