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आदिवासियों की भील प्रदेश की मांग

चर्चा में क्यों

हाल ही में, पश्चिमी भारत में भील आदिवासी समुदाय द्वारा एक अलग राज्य 'भील प्रदेश' की मांग की गयी है। 

भील प्रदेश

  • गुजरात के एक राजनीतिक दल भारतीय ट्राइबल पार्टी की मांग है कि चार राज्यों में विस्तृत 39 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश को मान्यता दी जाए। 
  • इन भील आदिवासी बहुल ज़िलों में गुजरात के 16, राजस्थान के 10, मध्य प्रदेश के 7 और महाराष्ट्र के 6 ज़िलों को शामिल किया जाना चाहिये।
  • भील समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता गोविंद गुरु ने वर्ष 1913 में मानगढ़ नरसंहार के बाद सबसे पहले आदिवासियों के लिये अलग राज्य की मांग उठाई थी।  इस नरसंहार को 'आदिवासी जलियांवाला' भी कहा जाता है। 
  • इस नरसंहार के अंतर्गत राजस्थान और गुजरात की सीमा पर मानगढ़ की पहाड़ियों में सैकड़ों भील आदिवासियों को ब्रिटिश सेना द्वारा मार दिया गया था।

मांग के कारण

  • विदित है कि दशकों से केंद्र सरकार ने आदिवासियों पर विभिन्न 'कानून, योजनाएं, समिति की रिपोर्ट आदि जारी की है, लेकिन उनका निष्पादन और कार्यान्वयन बहुत ही धीमी गति से हुआ है।
  • संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के तहत पांचवीं अनुसूची के माध्यम से आदिवासी हितों की सुरक्षा जैसे कई उपाय किये गए, लेकिन इनमें से अधिकांश उपाय पूर्णत: लागू नहीं किये जा सके हैं।

भील जनजाति

  • भील जनजाति, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्यों में एक आदिवासी जातीय समूह हैं। इस जनजाति का पारंपरिक लोक नृत्य ‘घूमर’ है।
  • इस जनजाति ने वर्ष 2017 में राज्य सरकारों के सामने अपनी मांगों को मजबूती से रखने के लिये भारतीय ट्राइबल पार्टी का गठन किया था।
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