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चरण |
विवरण |
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कैप्चर (Capture) |
CO₂ को स्रोत (उद्योग, बिजली संयंत्र, सीमेंट/इस्पात फैक्ट्री) से निकाला जाता है। |
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ट्रांसपोर्ट (Transport) |
पाइपलाइन, ट्रक या जहाज द्वारा CO₂ को उपयोग स्थल तक पहुँचाया जाता है। |
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यूटिलाइजेशन (Utilisation) |
पकड़ी गई CO₂ को उत्पादों या प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है। |
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क्षेत्र |
उपयोग का तरीका |
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रसायन उद्योग |
मेथनॉल, यूरिया, मिथेन जैसे रसायनों के निर्माण में CO₂ का कच्चे माल की तरह उपयोग। |
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ऊर्जा क्षेत्र |
CO₂ से सिंथेटिक ईंधन, ग्रीन हाइड्रोजन या ई-फ्यूल तैयार किए जा सकते हैं। |
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निर्माण क्षेत्र |
सीमेंट और कंक्रीट में CO₂ को ठोस रूप में बाँधकर निर्माण सामग्री बनाई जाती है। |
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खाद्य उद्योग |
पेय पदार्थों (Soda, Soft Drinks) में CO₂ का उपयोग। |
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बायोटेक्नोलॉजी |
शैवाल (Algae) द्वारा CO₂ को जैव ईंधन (Biofuel) में परिवर्तित करना। |
1. नीति एवं संस्थागत पहल
2. औद्योगिक प्रयास
3. सरकारी निवेश
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चुनौती |
विवरण |
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उच्च लागत |
कार्बन कैप्चर की लागत $50–100 प्रति टन तक होती है, जो विकासशील देशों के लिए कठिन है। |
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प्रौद्योगिकी अवसंरचना |
ट्रांसपोर्ट पाइपलाइन, स्टोरेज साइट्स, निगरानी प्रणाली का अभाव। |
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ऊर्जा खपत |
कैप्चर और कन्वर्ज़न प्रक्रिया ऊर्जा-गहन है। |
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नीतिगत स्पष्टता का अभाव |
CCU के लिए अलग कानूनी और वित्तीय ढांचा अभी विकासशील है। |
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दीर्घकालिक व्यवहार्यता |
उत्पादित ईंधन या रसायन अंततः CO₂ पुनः उत्सर्जित करते हैं — इसलिए “Net benefit” सीमित हो सकता है। |
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