New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

अफ्रीकन ग्रे पैरट : अवैध व्यापार का खतरा

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम; पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

‘द हिंदू’ समाचार पत्र समूह द्वारा दायर किए गए सूचना का अधिकार (RTI) आवेदनों से पता चला है कि भारत के किसी भी राज्य के वन विभाग के पास ‘अफ्रीकन ग्रे पैरट’ पक्षी के व्यापार या पंजीकृत ब्रीडर्स का कोई रिकॉर्ड नहीं है जबकि यह आसानी से देशभर के पालतू बाजारों में उपलब्ध है। 

अफ्रीकन ग्रे पैरट के बारे में

  • अफ्रीकन ग्रे पैरट (Psittacus erithacus) पश्चिम और मध्य अफ्रीका का मूल प्रजाति है और इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन ‘टॉकिंग पैरट’ माना जाता है।
  • सिल्वर-ग्रे पंख, नारंगी आँखें और चमकीली लाल या मैरून पूंछ इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं।
  • यह अत्यंत बुद्धिमान, सामाजिक एवं संवेदनशील प्रजाति है जिसे समृद्ध वातावरण, मानसिक उत्तेजना व प्रोटीन व विटामिन युक्त भोजन की आवश्यकता होती है।

African-Grey-Parrot

संरक्षण स्थिति

  • IUCN ने इसे संकटग्रस्त (Endangered) श्रेणी में रखा है क्योंकि बड़े पैमाने पर व्यापार ने इसकी प्राकृतिक आबादी को भारी नुकसान पहुँचाया है।
  • यह साइट्स (CITES) के परिशिष्ट (Appendix) I में सूचीबद्ध है जिसका अर्थ है कि इसके व्यापार पर लगभग पूर्ण प्रतिबंध है और किसी भी देश में लेन-देन के लिए विशेष परमिट अनिवार्य है।

वन्यजीव कानून और आवश्यक परमिट

अफ्रीकन ग्रे पैरट की कानूनी बिक्री या प्रजनन के लिए कई कड़े नियम हैं:

  • ब्रीडिंग के लिए ब्रीडर्स ऑफ स्पीशीज़ लाइसेंस रूल्स, 2023 के तहत अनुमति अनिवार्य है।
  • आवेदक को CITES का इम्पोर्ट परमिट, DGFT का लाइसेंस नंबर और राज्य के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन का NOC देना होता है।
  • लिविंग एनिमल प्रजाति नियम 2024 के अनुसार हर मालिक को परिवेश 2.0 (PARIVESH 2.0) पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य है।
  • हालाँकि, वास्तविकता यह है कि ये कागजात अधिकांश दुकानों व ब्रीडरों के पास नहीं होते हैं।

दक्षिण भारत : एक उभरता ट्रेड हब

  • वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों के अनुसार भारत में तीन राज्य- केरल, तमिलनाडु एवं कर्नाटक विदेशी प्रजातियों का केंद्र बन चुके हैं।
  • यहाँ पर बड़े-बड़े निजी एवियरी, ब्रीडिंग फार्म एवं व्यापार नेटवर्क सक्रिय हैं।
  • अफ्रीकन ग्रे पैरट, मार्मोसेट बंदर, एनाकोंडा, विदेशी कछुए सबका व्यापार इन राज्यों के माध्यम से पूरे देश में फैल रहा है।

निगरानी में चुनौतियाँ एवं जोखिम

  • अधिकारी घर-घर जाकर अवैध पालतू जानवरों की जांच नहीं कर सकते हैं क्योंकि मानव संसाधन व कानून की सीमाएँ हैं।
  • लोग बिना परमिट के विदेशी जानवर खरीदते और अवैध रूप से प्रजनन करवाते हैं।
  • विदेशी प्रजातियों का अनियंत्रित व्यापार जूनोटिक रोगों, आक्रामक प्रजातियों एवं पारिस्थितिक असंतुलन का बड़ा खतरा बन सकता है।
  • विशेषज्ञ मानते हैं कि अफ्रीकन ग्रे पैरट के अलावा इगुआना, मार्मोसेट, सांप और कछुए भी भविष्य में भारत के लिए आक्रामक प्रजाति के रूप में गंभीर समस्या बन सकते हैं।

आगे की राह

  • अफ्रीकन ग्रे पैरट का भारत में बिना रिकॉर्ड के व्यापार एक गंभीर वन्यजीव संरक्षण चुनौती है। यह न केवल अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है बल्कि देश के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरा पैदा करता है।
  • सख्त निगरानी, स्पष्ट डाटा रिकॉर्ड, कानूनी परमिट की अनिवार्यता और जनता में जागरूकता ये सभी कदम जरूरी हैं ताकि भारत विदेशी प्रजातियों के अवैध व्यापार का वैश्विक केंद्र न बन जाए।
  • किसी भी देश की जैव सुरक्षा उसके वन्यजीव कानूनों के पालन पर निर्भर करती है और अफ्रीकन ग्रे पैरट का मुद्दा इस आवश्यकता को मजबूती से रेखांकित करता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR