जब कोई कंपनी, संस्था या सरकार अपने उत्पाद, सेवा या नीति को पर्यावरण के लिए अनुकूल बताने का भ्रामक दावा करती है, जबकि वास्तविकता में वह दावा झूठा या अतिशयोक्तिपूर्ण होता है — तो उसे “ग्रीनवाशिंग” कहा जाता है।
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मुद्दा |
विवरण |
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उपभोक्ताओं को भ्रमित करना |
लोग सोचते हैं कि वे पर्यावरण को बचा रहे हैं, जबकि वास्तविकता में नहीं। |
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जलवायु लक्ष्यों में बाधा |
यह “Net Zero” या “Paris Agreement” लक्ष्यों की प्रगति को धीमा करता है। |
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असमान प्रतिस्पर्धा |
वास्तविक रूप से ‘ग्रीन’ कंपनियाँ पीछे रह जाती हैं। |
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निवेश में विकृति |
निवेशक “ग्रीन” समझकर गलत परियोजनाओं में धन लगाते हैं। |
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क्षेत्र |
आवश्यक कदम |
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नीति स्तर पर |
स्पष्ट परिभाषाएँ और मानक तय किए जाएँ कि “ग्रीन” या “सस्टेनेबल” का अर्थ क्या है। |
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निगरानी एवं प्रमाणन |
स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा प्रमाणन (Third-party verification)। |
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पारदर्शी रिपोर्टिंग |
कंपनियों की ESG रिपोर्ट्स का नियमित ऑडिट। |
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उपभोक्ता शिक्षा |
जनता को यह सिखाया जाए कि “Green Claims” की सच्चाई कैसे परखें। |
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दंडात्मक प्रावधान |
झूठे पर्यावरणीय दावों पर जुर्माना और लाइसेंस निलंबन। |
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