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अफ्रीकी स्वाइन फीवर

चर्चा में क्यों ?

  • केरल के कोट्टायम जिले के दो गांवों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर  फैल गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • केरल के कोट्टायम जिले की कूट्टिकल और वझूर ग्राम पंचायतों में स्थित दो सूअर फार्म में अफ्रीकी स्वाइन का प्रकोप पाया गया।
  • कोट्टायम के जिलाधिकारी जॉन वी सैमुअल ने प्रभावित फार्म के सूअरों को मारने का आदेश दिया है।
  • केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार प्रभावित फार्म और एक किलोमीटर के दायरे में सभी सूअरों को मार दिया जाएगा
  • इनका निपटान भी निर्धारित मानकों के मुताबिक किया जाएगा। 
  • जिला पशुपालन अधिकारी को इस प्रक्रिया की देखरेख करने का काम सौंपा गया है।
  • जिला प्रशासन ने प्रभावित फार्म के एक किलोमीटर के दायरे को संक्रमित क्षेत्र और 10 किलोमीटर के दायरे को निगरानी क्षेत्र घोषित किया है।

मिजोरम में भी फैल चुका है अफ्रीकी स्वाइन फीवर  

  • इससे पहले इसी साल सितंबर में मिजोरम में अफ्रीकी स्वाइन फीवर  फैलने की खबर सामने आई थी।
  • मिजोरम में स्वाइन बुखार के प्रकोप के कारण 57,000 से अधिक सूअरों की मौत हो गई। 
  • जबकि 43,000 से अधिक सूअरों को प्रशासन ने मारने का फैसला लिया।
  • मिजोरम की राज्य सरकार ने इसे ‘राज्य आपदा’ घोषित कर दिया था।
  • मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के असर के चलते सरकार ने लोगों से सूअर के मांस का सेवन करने से मना किया था।

अफ्रीकी स्वाइन फीवर  

  • यह एक घातक संक्रमण है जो पालतू और जंगली सूअरों को प्रभावित करता है। 
  • इस बीमारी की मृत्यु दर 100% है यानी इससे संक्रमित होने पर किसी भी सूअर की जान नहीं बच पाती। 
  • अन्य पशुओं में यह बीमारी न फैले इसके लिए संक्रमित जानवरों को मारना ही इसका एक उपचार है।
  • यह एक जानवर से दूसरे जानवर में छूने या बॉडी फ्लुइड के जरिए फैलता है।
  • सूअरों को कच्चा खाना खिलाने की वजह से भी इस वायरस का संक्रमण फैल सकता है। 
  • अफ्रीकी स्वाइन बुखार किसी भी तरह से मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता 
  • मानव स्वास्थ्य के लिए इससे कोई खतरा नहीं है। भले ही वे एक संक्रमित सूकर के संपर्क में आते हैं या सूकर का मांस उत्पाद खाते हैं।
  • यह पहली बार वर्ष 1920 में अफ्रीका में पाया गया था।
  • भारत में इसकी पुष्टि सबसे पहले फरवरी-मार्च 2020 में अरुणाचल प्रदेश और असम में हुई थी

लक्षण 

  • तेज बुखार
  • भूख न लगना
  • कमजोरी
  • त्वचा में लालिमा
  • दस्त
  • उल्टी
  • खांसी और सांस लेने में परेशानी 

प्रश्न  - अफ्रीकी स्वाइन फीवर  पहली बार कहाँ पाया गया था ?

(a) अमेरिका 

(b) अफ्रीका 

(c) रूस 

(d) कनाडा 

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