New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

बोरींडो

यूनेस्को ने हाल ही में पाकिस्तान के पारंपरिक वाद्य यंत्र ‘बोरींडो’ (Boreendo) को अपनी ‘तत्काल संरक्षण आवश्यकता वाली अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ में स्थान दिया है। 

बोरींडो: सिंध की वर्षों पुरानी संगीत परंपरा

बोरींडो (या भोरिंडो) सिंध प्रांत का मिट्टी से बना एक गोलाकार लोक वाद्य यंत्र है जिसकी ऐतिहासिक जड़ें लगभग 5,000 वर्ष पुरानी मानी जाती हैं। इसकी उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता (विशेष रूप से मोहनजोदड़ो) से संबद्ध मानी जाती है।

वाद्य यंत्र की संरचना एवं निर्माण

  • बोरींडो का आकार प्राय: गोलाकार एवं खोखला (कोटरयुक्त) होता है जिसमें ध्वनि निकालने के लिए कई छिद्र बनाए जाते हैं। यह धूप में सुखाई गई तथा भट्टी में पकाई गई मिट्टी से तैयार किया जाता है।
  • पारंपरिक रूप से पुरुष इस वाद्य यंत्र का वादन करते हैं जबकि महिलाएँ इसे रंगीन मिट्टी एवं डिज़ाइनों से सजाती हैं। 

ध्वनि एवं वादन तकनीक

  • इसमें हवा फूंकने पर संगीत (लयबद्ध ध्वनि) उत्पन्न होता है। कलाकार मुखपत्र को थोड़ा झुकाकर या कोण बदलकर स्वर एवं ध्वनि की गुणवत्ता को नियंत्रित कर सकते हैं।
  • इसके आकार और छिद्रों की संख्या का सीधा प्रभाव इसकी संगीतमय सीमा पर पड़ता है। हाल के वर्षों में बोरींडो के डिज़ाइन में अतिरिक्त छिद्र जोड़कर इसकी संगीतिक रेंज को बढ़ाया गया है। 

सांस्कृतिक महत्त्व 

  • यह वाद्य यंत्र मुख्यत: शीतकाल के अतिरिक्त सभा, विवाह समारोह व स्थानीय त्योहारों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
  • बोरींडो सिंध की लोक-संस्कृति एवं सामुदायिक उत्सवों का एक प्रतीकात्मक स्वरूप माना जाता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR