चर्चा में क्यों ?
भारतीय सेना ने लद्दाख में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्वदेशी विकसित आकाश प्राइम वायु रक्षा प्रणाली का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण भारत की उच्च-ऊंचाई युद्ध क्षमता, रक्षा आत्मनिर्भरता और सीमावर्ती हवाई सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आकाश प्राइम बारे में:
- आकाश प्राइम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है।
- यह सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणाली है।
- यह आकाश मिसाइल प्रणाली का उन्नत संस्करण है।
- इसे भारतीय वायु सेना और थल सेना दोनों द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में हवाई खतरों से निपटने के लिए तैनात किया गया है।
- इसका मुख्य लक्ष्य ड्रोन, लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर और क्रूज़ मिसाइल जैसे हवाई खतरों को नष्ट करना है।
लद्दाख परीक्षण का महत्व
- परीक्षण लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्र में 15,000 फीट की ऊंचाई पर किया गया।
- यह ऊँचाई पर कम ऑक्सीजन, तेज ठंड और कठिन मौसम परिस्थितियों में मिसाइल की सटीक मारक क्षमता और विश्वसनीयता को दर्शाता है।
- यह LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) और LOC (नियंत्रण रेखा) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारत की हवाई रक्षा तैयारियों को मजबूत करता है।
तकनीकी विशेषताएँ और क्षमताएँ
- इसमें एक अत्याधुनिक और सभी मौसमों में कार्य करने वाला सीकर सिस्टम (लक्ष्य खोज प्रणाली) लगा है।
- यह फेज़्ड ऐरे रडार और कमांड गाइडेंस प्रणाली पर आधारित है, जो इसे एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता प्रदान करता है।
- यह प्रणाली स्वचालित (ऑटोनॉमस) और समूह (ग्रुप मोड) दोनों मोड में संचालित हो सकती है।
- यह 360 डिग्री कवरेज के साथ हवाई सुरक्षा प्रदान करती है।
- यह प्रणाली सीमावर्ती सैन्य ठिकानों और गतिशील सैन्य स्तंभों की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।
प्रश्न. आकाश प्राइम वायु रक्षा प्रणाली का विकास किसने किया है?
(a) HAL
(b) ISRO
(c) DRDO
(d) BEL
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