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संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य रिपोर्ट, 2025

संदर्भ

14 जुलाई, 2025 को संयुक्त राष्ट्र ने 10वीं सतत विकास लक्ष्य रिपोर्ट (UN SDG Report 2025) जारी की है। 

संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य रिपोर्ट, 2025 के बारे में

  • यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक कार्य विभाग (UN DESA) और 50 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंसियों के सहयोग से तैयार की गई है। 
  • यह 200 से अधिक देशों एवं क्षेत्रों से एकत्रित आंकड़ों पर आधारित है। 
  • इस वर्ष की रिपोर्ट 2025 हाई-लेवल पॉलिटिकल फोरम (HLPF) के संदर्भ में महत्वपूर्ण है जो SDG 8 (उचित कार्य एवं आर्थिक विकास) और SDG 14 (जल के नीचे जीवन) सहित पांच लक्ष्यों की समीक्षा कर रहा है।

मुख्य निष्कर्ष

  • 35% लक्ष्यों में ठहराव या रिवर्सल : 17 में से 14 लक्ष्यों के तहत 35% उप-लक्ष्य ठहराव की स्थिति में हैं या रिवर्स/पीछे (ऋणात्मक स्थिति में) जा रहे हैं।
  • प्रमुख लक्ष्यों पर प्रभाव : शून्य भूख (SDG 2), गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (SDG 4), स्वच्छ जल एवं स्वच्छता (SDG 6), उचित कार्य व आर्थिक विकास (SDG 8) और असमानताओं में कमी (SDG 10) में 50-57% लक्ष्य ठहराव की स्थिति में या ऋणात्मक स्थिति में रहे हैं।
  • खाद्य असुरक्षा एवं भूख : वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर 9.1% आबादी (713-757 मिलियन लोग) भूख से प्रभावित थी, जो वर्ष 2019 के 7.5% से अधिक है।
  • आर्थिक चुनौतियाँ : अनौपचारिक रोजगार में 57.8% वैश्विक कार्यबल और युवा बेरोजगारी (12.9%) जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं।
  • जलवायु संकट : वर्ष 2024 सबसे गर्म वर्ष था, जिसमें वैश्विक तापमान औद्योगिक-पूर्व स्तर से 1.55 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
  • वित्तीय अंतर : विकासशील देशों को वर्ष 2030 तक एस.डी.जी. हासिल करने के लिए प्रतिवर्ष 4 ट्रिलियन डॉलर की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
  • सकारात्मक प्रगति : HIV के नए संक्रमण में 40% कमी और मलेरिया रोकथाम से 2.2 बिलियन मामले रोके गए। सामाजिक सुरक्षा कवरेज भी बढ़कर वैश्विक आबादी के आधे से अधिक तक पहुँच गया है।

विभिन्न SDG’s की स्थिति

  • शून्य भूख (SDG2) : सात में से ट्रैक किए गए चार लक्ष्य पीछे की ओर जा रहे हैं। वर्ष 2023 में 2.33 बिलियन लोग मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा से प्रभावित थे, जो वर्ष 2019 की तुलना में 383 मिलियन अधिक है। उप-सहारा अफ्रीका में 23.2% आबादी भूख से प्रभावित है जबकि दक्षिणी एशिया में 281 मिलियन लोग भूखमरी का सामना कर रहे हैं।
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (SDG4) : वर्ष 2023 तक 272 मिलियन बच्चे स्कूल से बाहर थे। शिक्षा तक पहुँच में प्रगति हुई है किंतु गुणवत्ता एवं समावेशिता में कमी बनी हुई है।
  • स्वच्छ जल एवं स्वच्छता (SDG6) : वर्ष 2024 में 2.2 बिलियन लोगों को सुरक्षित पेयजल, 3.4 बिलियन को सुरक्षित स्वच्छता और 1.7 बिलियन को बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं की कमी थी।
  • उचित कार्य और आर्थिक विकास (SDG8) : आधे लक्ष्य ठहराव की स्थिति में या ऋणात्मक स्थिति में हैं। अनौपचारिक रोजगार में 57.8% कार्यबल और युवा बेरोजगारी (12.9%) प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
  • असमानताओं में कमी (SDG10) : वैश्विक असमानताएँ बढ़ रही हैं, विशेष रूप से निम्न-आय वाले देशों में, जहाँ प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. वृद्धि विकसित अर्थव्यवस्थाओं से कम है।
  • अन्य लक्ष्य : उत्तरदायी उपभोग एवं उत्पादन (SDG12), जल के नीचे जीवन (SDG14), भूमि पर जीवन (SDG15) और शांति, न्याय व मजबूत संस्थान (SDG16) में 40-42% लक्ष्य गलत दिशा में जा रहे हैं। SDG14 सबसे कम वित्त पोषित लक्ष्य है।

भारत की स्थिति 

  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पहली बार 167 देशों में 99वां स्थान हासिल किया है, जिसका स्कोर 67 है। यह वर्ष 2024 में 109वें स्थान से उल्लेखनीय सुधार है। 
  • भारत ने गरीबी उन्मूलन (SDG1), स्वास्थ्य (SDG3), स्वच्छ ऊर्जा (SDG7) और डिजिटल बुनियादी ढांचे (SDG9) में प्रगति दिखाई है। 
  • हालाँकि, शून्य भूख (SDG2), लैंगिक समानता (SDG5) और जलवायु कार्रवाई (SDG13) जैसे क्षेत्रों में चुनौतियाँ विद्यमान हैं।

चुनौतियाँ

  • संघर्ष एवं जलवायु परिवर्तन : संघर्ष, जलवायु परिवर्तन एवं आर्थिक अस्थिरता से भूख व खाद्य असुरक्षा में वृद्धि हो रही है। वर्ष 2023 में 50% देशों में खाद्य कीमतें मध्यम से असामान्य रूप से उच्च थीं।
  • वित्तीय बाधाएँ : विकासशील देशों में ऋण बोझ एवं किफायती पूंजी तक सीमित पहुँच के कारण एसडीजी के लिए अपर्याप्त निवेश हो रहा है। आधिकारिक विकास सहायता (ODA) 2024 में 7.1% कम हो गई।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा में कमियाँ : कोविड-19 महामारी के बाद स्वास्थ्य प्रणालियाँ दबाव में हैं और मातृ मृत्यु दर एवं सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज जैसे लक्ष्य ठहराव की स्थिति में हैं। शिक्षा में भी समान प्रगति नहीं हुई।
  • पर्यावरणीय संकट : समुद्री प्रदूषण, मत्स्य भंडार में कमी और जैव विविधता हानि SDG14 एवं SDG15 को प्रभावित कर रही है।
  • डाटा की कमी : कई एस.डी.जी. संकेतकों में डाटा की कमी और ‘सतत’ जैसे शब्दों की अस्पष्ट परिभाषाएँ प्रगति को ट्रैक करने में बाधा डाल रही हैं।

आगे की राह

  • खाद्य प्रणालियों का परिवर्तन: टिकाऊ, समावेशी और लचीली खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना, छोटे पैमाने के किसानों को समर्थन देना और खाद्य कीमतों की अस्थिरता को कम करना।
  • ऊर्जा और डिजिटल पहुँच का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देना ताकि समावेशी विकास सुनिश्चित हो।
  • शिक्षा और रोजगार: समावेशी शिक्षा और उचित रोजगार सृजन पर ध्यान देना, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र और युवाओं के लिए।
  • वित्तीय सुधार: वैश्विक वित्तीय संरचना में सुधार, जैसे ऋण राहत, हरित बांड, और मिश्रित वित्तपोषण, ताकि विकासशील देशों को किफायती पूंजी मिल सके।
  • मजबूत डाटा प्रणालियाँ: मेडेलिन फ्रेमवर्क फॉर एक्शन को अपनाकर समय पर और सटीक डाटा सुनिश्चित करना, जो नीति निर्माण को निर्देशित करेगा।
  • बहुपक्षीय सहयोग: 2025 की सेविला कमिटमेंट और चौथी अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण सम्मेलन (FfD4) के माध्यम से वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र की सतत विकास लक्ष्य रिपोर्ट 2025 एक गंभीर चेतावनी देती है कि 35% लक्ष्यों में प्रगति रुकी हुई है या पीछे जा रही है। संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, और वित्तीय बाधाएँ प्रमुख चुनौतियाँ हैं। तत्काल बहुपक्षीय कार्रवाई, वित्तीय सुधार, और मजबूत डाटा प्रणालियों के माध्यम से, वैश्विक समुदाय वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को तेज कर सकता है। यह एकजुटता और साझा जिम्मेदारी का समय है ताकि कोई भी पीछे न छूटे।

मेडेलिन फ्रेमवर्क फॉर एक्शन के बारे में

  • यह एक वैश्विक पहल है, जिसे संयुक्त राष्ट्र विश्व डाटा फोरम 2024 में मेडेलिन, कोलंबिया में 12-15 नवंबर, 2024 को लॉन्च किया गया। 
  • यह फ्रेमवर्क केप टाउन ग्लोबल एक्शन प्लान (CTGAP) का एक अद्यतन और दूसरी पीढ़ी का दस्तावेज है, जिसे वर्ष 2017 में पहली बार प्रस्तुत किया गया था। 
  • इसका उद्देश्य डाटा नवाचार, समावेशी डाटा प्रथाओं, और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देकर एजेंडा 2030 और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में तेजी लाना है। 
  • यह डाटा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने, विश्वास बढ़ाने, और डेटा के उपयोग को अधिक प्रभावी बनाने पर केंद्रित है।
  • यह डिजिटल कॉम्पैक्ट और समिट ऑफ द फ्यूचर (सितंबर 2024) जैसे वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है
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