(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सनस्क्रीन को अपनी मॉडल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन्स (Essential Medicines List) में शामिल किया है। यह निर्णय विशेष रूप से अफ्रीका और अन्य धूप वाले क्षेत्रों में रहने वाले एल्बिनिज़्म (Albinism) से पीड़ित लोगों के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है।
एल्बिनिज़्म (Albinism) के बारे में
- एल्बिनिज़्म एक आनुवंशिक स्थिति (Genetic Condition) है जिसमें शरीर में मेलानिन (Melanin) नामक पिगमेंट की कमी होती है।
- मेलानिन की कमी के कारण व्यक्ति की त्वचा, बाल एवं आंखें बहुत हल्के रंग की होती हैं।
- दुनिया भर में यह अनुमानित रूप से 20,000 लोगों में से 1 को प्रभावित करती है।
- यह जन्म से मौजूद स्थिति है और किसी भी लिंग, जाति या क्षेत्र में हो सकती है।
प्रकार
- ओकुलोक्यूटेनियस अल्बिनिज्म (OCA): यह त्वचा, बालों एवं आंखों को प्रभावित करता है।
- ओकुलर अल्बिनिज्म: यह सिर्फ आंखों को प्रभावित करता है।
विशेषताएँ
- त्वचा एवं बालों का रंग सामान्य से बहुत हल्का
- आंखों में रोशनी की संवेदनशीलता (Photophobia)
- सूरज की किरणों से जल्दी सनबर्न और स्किन डैमेज
- स्किन कैंसर का अधिक खतरा
वैश्विक प्रसार
- विश्व में एल्बिनिज़्म की औसत दर 1 प्रति 20,000 जन्म है।
- किंतु सब-सहारा अफ्रीका में इसकी दर 1 प्रति 5,000 से 1 प्रति 15,000 जन्म तक है।
- तंजानिया में यह दर और भी अधिक लगभग 1 प्रति 1,400 जन्म है।
- अफ्रीका में धूप अधिक होने के कारण इस स्थिति वाले लोगों में 90% तक स्किन कैंसर 30 वर्ष की आयु से पहले हो सकता है।
- अफ्रीका में इन लोगों को सामाजिक भेदभाव और कई बार हिंसा तथा अंधविश्वास से जुड़ी हत्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
भारत में स्थिति
- भारत में अल्बिनिज्म के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं किंतु विशेषज्ञों का अनुमान है कि देश में लगभग 1 से 2 लाख लोग इससे प्रभावित हैं।
- प्रचलन दर वैश्विक औसत के समान है जो लगभग 17,000 से 20,000 में से 1 है।
- मुख्य चुनौती सामाजिक भेदभाव और जागरूकता की कमी है।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सनस्क्रीन और आंखों की सुरक्षा का आसानी से उपलब्ध होना अभी भी चुनौती है।
WHO की हालिया पहल
- WHO ने सनस्क्रीन को कॉस्मेटिक से बदलकर ‘आवश्यक दवा’ (Essential Medicine) की श्रेणी में रखा है।
- इसका उद्देश्य उन लोगों को सुरक्षा देना है जो धूप से जल्दी प्रभावित होते हैं, खासकर एल्बिनिज़्म के रोगियों को।
- WHO की इस सूची का उपयोग दुनिया भर में सरकारें राष्ट्रीय स्तर पर दवाओं की प्राथमिकता तय करने में करती हैं।
इस पहल के लाभ
- एल्बिनिज़्म वाले लोगों को मुफ्त या सस्ती सनस्क्रीन उपलब्ध हो सकेगी।
- स्किन कैंसर के खतरे में कमी आएगी।
- जीवन प्रत्याशा बढ़ेगी और जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी।
- यह निर्णय स्वास्थ्य समानता (Health Equity) को बढ़ावा देगा।
पूर्वी अफ्रीका की प्रतिक्रिया
- केन्या, युगांडा एवं तंजानिया की एल्बिनिज़्म समुदायों ने WHO के निर्णय का स्वागत किया है।
- तंजानिया ने इसे स्वास्थ्य न्याय के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया है।
- स्थानीय संगठनों ने इसे ‘जीवन बदलने वाला फैसला’ कहा है और अपने देशों की सरकारों से इसे राष्ट्रीय दवा सूची में शामिल करने का आग्रह किया।
चुनौतियाँ
- अफ्रीका एवं एशिया के ग्रामीण क्षेत्रों में सनस्क्रीन की उपलब्धता व वितरण
- सामाजिक भेदभाव और अंधविश्वास पर रोक लगाना
- जागरूकता की कमी के कारण प्राय: उपचार और सुरक्षा उपाय अपनाने में देरी करना
- आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों के लिए नियमित सनस्क्रीन खरीदना कठिन
आगे की राह
- भारत एवं अन्य देशों को WHO के निर्णय को राष्ट्रीय नीति में शामिल करना
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सनस्क्रीन की मुफ्त आपूर्ति
- एल्बिनिज़्म पर जागरूकता अभियान, ताकि सामाजिक भेदभाव कम हो
- स्किन कैंसर के समय पर निदान और उपचार के लिए विशेष कार्यक्रम
- वैश्विक सहयोग से सनस्क्रीन के उत्पादन एवं वितरण को किफायती व व्यापक बनाना