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राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न का आवंटन

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, चुनाव आयोग, प्रतीक आदेश नियम 10B
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 (विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व)

चर्चा में क्यों:

हाल ही में चुनाव आयोग ने तमिलनाडु के तमिलर काची (NTK) को एक नया सामान्य प्रतीक (माइक) आवंटित किया, जबकि विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK) को सामान्य प्रतीक (पॉट) से वंचित कर दिया

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मुख्य बिंदु:

  • चुनाव आयोग के इस निर्णय के कारण 'पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलोंके चुनाव चिन्ह आवंटन पर प्रश्नचिंह लग गए हैं।
  • NTK को तमिलनाडु में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 3.9%  और वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में  6.5% वोट मिले थे
    • इन चुनावों में उसे सामान्य प्रतीक 'गन्ना किसान' मिला था।
  • NTK ने फरवरी 2024 में 'गन्ना किसान'  प्रतीक के लिए आवेदन किया था, किंतु चुनाव आयोग ने 'पहले आओ-पहले पाओ' नियम के आधार पर उसेभारतीय प्रजा ऐक्यता पार्टी (Bharatiya Praja Aikyata Party- BPAP) को आवंटित कर दिया
  • NTK को यह प्रतीक चिंह नहीं मिला
  • BPAP ने इस प्रतीक के लिए पहले आवेदन किया था। 
    • इसने पहले कभी भी तमिलनाडु में चुनाव नहीं लड़ा है। 
  • चुनाव आयोग ने VCK को एक सामान्य प्रतीक के आवंटन से इनकार कर दिया। 
    • VCK को तमिलनाडु में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.09% वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में  0.99% वोट मिले थे
    • राज्य विधान सभा के चुनावों में डाले गए कुल मतदान का 1% मत प्राप्त नहीं हुआ। 
    • VCK के पास तमिलनाडु में एक लोकसभा सांसद और चार विधायक हैं, जिन्होंने वर्ष 2019 के लोकसभा और वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों में 'पॉट' चुनाव चिंह से लड़ा था। 

चुनाव आयोग:

  • इसका गठन 25 जनवरी 1950 को किया गया था
  • यह एक संवैधानिक संस्था है, जो देश में चुनावों को संपन्न कराती है। 
  • संविधान के अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक चुनाव आयोग के बारे में प्रावधान किया गया है।
  • वर्तमान में भारत के चुनाव आयोग में तीन सदस्य होते हैं।
    • एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त 
  • चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 

नियम

  • चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 (प्रतीक आदेश)’ के तहत किसी पार्टी को 'राष्ट्रीय' या 'राज्य' पार्टी के रूप में मान्यता दी जाती है।
  • राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए मानदंड; 
    • राजनीतिक दल को तीन अलग-अलग राज्‍यों की लोकसभा की 2% सीटें प्राप्‍त हुई हों।
    • या लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में उस राजनीतिक दल को 4 राज्‍यों के कुल मतों में से 6% मत प्राप्‍त हुए हों और उसने लोकसभा की 4 सीटें जीती हों।
    • या किसी राजनीतिक दल को 4 या अधिक राज्‍यों में राज्‍य स्‍तरीय दल के रूप में मान्‍यता प्राप्‍त हो।
  • राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए किसी पार्टी को निम्नलिखित मानदंड पूरे करने होते हैं;
    • लोकसभा के लिए प्रत्येक 25 सीटों पर एक सीट जीतना। 
    • या विधान सभा की 3% सीटें जीतना
    • या कुल मतदान के 6% मत प्राप्त करने के साथ लोकसभा की एक या विधानसभा सीटें की दो जीतना। 
    • या लोकसभा के कुल मतदान का 8% मत प्राप्त करना। 
  • चुनाव आयोग द्वारा प्रतीक आदेशों के प्रावधानों के अनुसार राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को प्रतीक चिंह आवंटित किए जाते हैं
  • मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल का एक आरक्षित प्रतीक होता है जो किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में किसी अन्य उम्मीदवार को आवंटित नहीं किया जाता है।
  • पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी के लिए नियम:
  • कोई पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल लोकसभा के दो सीटों पर या किसी राज्य की विधानसभा में 5% सीटों पर चुनाव लड़ती है, तो उसे चुनाव के दौरान किसी खाली पड़े प्रतीक को सामान्य प्रतीक के रूप में आवंटित किया जाता है।
  • प्रतीक आदेश नियम 10B के अनुसार, खाली पड़े सामान्य प्रतीक की रियायत किसी 'पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी' को दो लोकसभा चुनावों के लिए प्रदान की जाएगी
  • कोई पार्टी किसी आगामी लोकसभा चुनाव में एक सामान्य प्रतीक के लिए पात्र होगी
    • उसने पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य में कम से कम 1% वोट हासिल किए हो
    • जिस लोकसभा चुनाव में पार्टी ने प्रतीक चिंह का लाभ उठाया था।
    • ऐसी गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी को हर बार निर्धारित प्रारूप में प्रतीक चिन्ह के लिए आवेदन करना होगा
    • यह आवेदन लोकसभा या राज्य विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति से छह महीने पहले किसी भी समय किया जा सकता है। 
  • इसके बाद प्रतीकों को 'पहले आओ-पहले पाओ' के आधार पर आवंटित किया जाता है।

प्रतीक का महत्व:

  • भारत दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र है, किंतु यहां की आबादी का एक बड़ा भाग आज भी निरक्षर है 
  • इस स्थिति में मतदान प्रक्रिया में प्रतीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

आगे की राह:

  • चुनाव आयोग ने नियमों के अनुसार NTK और VCK के आवेदनों पर निर्णय लिया है। 
  • मान्यता प्राप्त दलों द्वारा चयनित उम्मीदवारों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में मतपत्र के शीर्ष पर सूचीबद्ध होने का लाभ मिलता है।
  • चुनाव आयोग नियमों में कुछ संशोधनों पर विचार कर सकता है
    • जो पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी पिछले चुनाव में कुल मतदान का कम से कम 1% मत प्राप्त करते हैं। 
    • या उस पार्टी के निर्वाचित प्रतिनिधि लोकसभा या राज्य विधानसभा में हैं
    • उनके पास उनकी पसंद का एक सामान्य प्रतीक प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए। 
    • इससे यह सुनिश्चित होगा कि उनके पिछले चुनावी प्रदर्शन को उचित महत्व दिया गया है
    • इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होगी।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न:

प्रश्न: चुनाव आयोग के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1. इसका गठन वर्ष 1952 में किया गया था
  2. चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

   नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए

(a) केवल 1

 (b) केवल 2

  (c) 1 और 2 दोनों

 (d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:

प्रश्न: चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को प्रदान किए जाने वाले प्रतीक चिन्हों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए। हाल ही में इसको लेकर विवाद क्यों उत्पन्न हुए हैं? विवेचना कीजिए

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