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अमोनिया चालित ठोस ऑक्साइड फ्यूल सेल

शोधकर्ताओं ने एक ऐसा फ्यूल सेल विकसित किया है जो अमोनिया से सीधे हाइड्रोजन का निष्कर्षण कर इसका उपयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए कर सकता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • यह नवाचार फ्यूल सेल को बाह्य क्रैकिंग इकाइयों की आवश्यकता के बिना अमोनिया को हाइड्रोजन में विखंडित करने की अनुमति देता है।
  • शोधकर्ताओं ने फ्यूल सेल को एक प्लाज़्मा रिएक्टर के साथ जोड़ा जो अमोनिया को सेल में पहुँचने से पहले ही हाइड्रोजन एवं नाइट्रोजन में विघटित कर देता है।
    • जिससे 800ºC पर फ्यूल सेल की शक्ति 60% बढ़ जाती है।
  • प्लाज्मा प्रक्रिया कमरे के तापमान पर तेज़ी से प्रतिक्रिया करने के साथ ही अपशिष्ट ऊष्मा का पुनर्चक्रण कर सकती है। यह खोज अमोनिया को स्वच्छ ईंधन के रूप में उपयोग करने का एक व्यावहारिक तरीका प्रदान करती है।

चुनौतियाँ

  • अमोनिया क्रैकिंग के दौरान NOx उत्सर्जन को रोकने के लिए कुशल उत्प्रेरकों का विकास
  • फ्यूल सेल प्रौद्योगिकी की उच्च लागत
  • बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण की आवश्यकता

अमोनिया के प्रयोग का कारण 

  • शुद्ध हाइड्रोजन की तुलना में अमोनिया (NH₃) का भंडारण एवं परिवहन आसान व सुरक्षित है।
  • इसका ऊर्जा घनत्व अधिक होता है।
  • उर्वरकों के लिए इसका पहले से ही व्यापक रूप से उत्पादन किया जा रहा है, जिससे बुनियादी ढाँचा आंशिक रूप से उपलब्ध है।

भारत के लिए प्रासंगिकता

  • भारत ने वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 5 एमएमटी हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (2023) की शुरूआत की है।
  • अमोनिया-आधारित हाइड्रोजन फ्यूल सेल निम्नलिखित में सहायक हो सकते हैं:
    • स्वच्छ गतिशीलता (विशेषकर भारी परिवहन और शिपिंग)
    • उद्योग का कार्बन-मुक्तिकरण
    • ऊर्जा भंडारण समाधान
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