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COP30: बेलेम स्वास्थ्य कार्य योजना और जलवायु-स्वास्थ्य सहयोग

(प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी; समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ

ब्राज़ील के बेलेम शहर में आयोजित COP30 सम्मेलन में दुनिया भर की 35 से अधिक प्रमुख वैश्विक परोपकारी संस्थाओं ने ‘जलवायु संबंधी स्वास्थ्य’ (climate-linked health) चुनौतियों से निपटने के लिए 300 मिलियन डॉलर की प्रारंभिक प्रतिबद्धता की। इसी अवसर पर बेलेम हेल्थ एक्शन प्लान (BHAP) भी लॉन्च किया गया, जो आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य-केन्द्रित जलवायु नीतियों की नींव बनेगा।

COP30 के बारे में

  • आयोजन : संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत बेलेम, ब्राज़ील में 10 से 21 नवंबर के मध्य आयोजित।
  • उद्देश्य : जलवायु परिवर्तन, अनुकूलन (Adaptation), शमन (Mitigation), वित्त, और जलवायु न्याय को आगे बढ़ाना।
  • यह सम्मेलन विशेष रूप से मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित करने के लिए जाना गया।

प्रमुख मुद्दे

  • वैश्विक तापमान में वृद्धि और हीटवेव
  • वायु प्रदूषण और जंगली आग एवं धुएं से होने वाली मौतें
  • डेंगू, मलेरिया जैसी जलवायु-संवेदी बीमारियों का बढ़ता प्रसार
  • जलवायु वित्त की भारी कमी, विशेषकर स्वास्थ्य-अनुकूलन में
  • विकासशील देशों की बढ़ती संवेदनशीलता और स्वास्थ्य असमानता
  • मजबूत, लचीली और समावेशी स्वास्थ्य प्रणालियों की आवश्यकता

मुख्य परिणाम

  • बेलेम स्वास्थ्य कार्य योजना का शुभारम्भ
  • ‘जलवायु-संबंधी स्वास्थ्य’ पर काम करने के लिए $300 मिलियन की बड़े स्तर पर परोपकारी फंडिंग
  • लगभग 80 देशों और संस्थाओं का स्वास्थ्य-केंद्रित जलवायु अनुकूलन पर सहयोग
  • अत्यधिक गर्मी, वायु प्रदूषण, संक्रमणीय बीमारियों पर नीति, नवाचार और वित्त को बढ़ावा
  • जलवायु-संबंधी डाटा और स्वास्थ्य डाटा के एकीकरण को प्राथमिकता
  • वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य असमानता दूर करने पर जोर

भारत की भागीदारी

  • भारत ने COP30 में अनुकूलन वित्त को बढ़ाने की वकालत की।
  • भारत ने बताया कि वर्ष 2030 तक जलवायु अनुकूलन के लिए $643 बिलियन की आवश्यकता होगी।
  • भारत ने वर्ष 2021–22 में ही $146 बिलियन (GDP का 5.6%) खर्च कर स्वास्थ्य और जलवायु संवेदनशील अवसंरचना को मजबूत किया है।
  • भारत ने जलवायु-स्वास्थ्य संबंधी नीतियों में दक्षिण एशिया के सबसे बड़े अनुभव को साझा किया, विशेष रूप से हीट-एक्शन प्लान और बाढ़-प्रबंधन पर।

बेलेम स्वास्थ्य कार्य योजना (BHAP) के बारे में 

  • BHAP एक वैश्विक ढांचा है जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य प्रणालियों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाना है। 
  • इसके प्रमुख तत्व 
    • जलवायु-संवेदी बीमारियों के लिए मजबूत स्वास्थ्य निगरानी तंत्र
    • अत्यधिक गर्मी और आपदाओं के लिए डाटा आधारित नीति और शीघ्र प्रतिक्रिया क्षमता
    • अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और अवसंरचना में निवेश
    • स्वास्थ्य समानता और न्याय को नीति के केंद्र में रखना
    • समुदाय-आधारित अनुकूलन पर बल

लाभ

  • स्वास्थ्य और जलवायु को एकीकृत करने वाले वैश्विक प्रयासों में तेजी
  • गरीब और संवेदनशील समुदायों की सुरक्षा
  • हीटवेव, वायु प्रदूषण और संक्रमणीय बीमारियों से लाखों जानें बचाने की संभावना
  • मजबूत, टिकाऊ और डेटा-आधारित स्वास्थ्य प्रणालियों का विकास
  • विकासशील देशों के लिए नया जलवायु वित्त मार्ग

चुनौतियाँ

  • अनुकूलन वित्त का भारी अंतर, उपलब्ध फंड की तुलना में आवश्यक वित्त कई गुना अधिक
  • स्वास्थ्य-केंद्रित जलवायु नीतियाँ अभी भी कई देशों में प्राथमिकता नहीं
  • विकासशील देशों में कमजोर स्वास्थ्य अवसंरचना
  • डाटा, तकनीक और विशेषज्ञता की कमी
  • वैश्विक प्रतिबद्धताओं पर क्रियान्वयन की धीमी गति

आगे की राह

  • देशों को स्वास्थ्य-आधारित जलवायु नीतियों में निवेश बढ़ाना होगा
  • अनुकूलन वित्त को मजबूत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत आवश्यक
  • स्वास्थ्य निगरानी और आपदा-प्रतिक्रिया प्रणालियों को डिजिटल तकनीक से जोड़ना
  • स्थानीय समुदायों और आदिवासी समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी
  • जलवायु परिवर्तन को सिर्फ पर्यावरणीय चुनौती नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संकट के रूप में देखने की आवश्यकता

निष्कर्ष

COP30 ने यह स्पष्ट कर दिया कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं है, यह वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा का सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। बेलेम स्वास्थ्य कार्य योजना और 300 मिलियन डॉलर की वैश्विक प्रतिबद्धता मानव स्वास्थ्य को जलवायु नीतियों के केंद्र में रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह अवसर है कि वे स्वास्थ्य और जलवायु दोनों क्षेत्रों में टिकाऊ तथा न्यायपूर्ण मॉडल विकसित करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

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