हाल ही में, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा निर्मित ‘अंजदीप’ युद्धपोत को नौसेना में शामिल किया गया। यह स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए आठ पनडुब्बी रोधी उथले जलयानों (ASW SWC) की श्रृंखला का तीसरा युद्धपोत है।
अंजदीप के बारे में
- नौसेना के अनुसार, ए.एस.डब्ल्यू. एस.डब्ल्यू.सी. परियोजना जी.आर.एस.ई. एवं एल एंड टी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत क्रियान्वित किया जा रहा है।
- इन जहाजों का डिजाइन एवं निर्माण भारतीय जहाजरानी रजिस्टर (IRS) के वर्गीकरण मानकों के अनुरूप किया गया है।
- ‘अंजदीप’ का नामकरण कर्नाटक के कारवार तट के समीप स्थित अंजदीप द्वीप के नाम पर किया गया है। यह नाम पहले की पेट्या श्रेणी के युद्धपोत INS अंजदीप की स्मृति को भी पुनर्जीवित करता है जिसे वर्ष 2003 में सेवामुक्त कर दिया गया था।
तकनीकी विशेषताएँ
- लगभग 77 मीटर लंबाई वाले ये पनडुब्बी रोधी उथले जलयानों को वॉटरजेट प्रणोदन प्रणाली से संचालित किया जाता है जिससे ये इस श्रेणी में भारतीय नौसेना के सबसे बड़े युद्धपोत बनते हैं।
- इन्हें आधुनिक हल्के टॉरपीडो, स्वदेशी रूप से विकसित पनडुब्बी रोधी रॉकेट तथा उथले जल सोनार से सुसज्जित किया गया है जो समुद्र के भीतर मौजूद खतरों की पहचान और निष्क्रियता में प्रभावी भूमिका निभाते हैं।
- ये पोत पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता को सुदृढ़ करने के साथ-साथ तटीय निगरानी और माइन बिछाने जैसे अभियानों में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) की उपलब्धि
इस डिलीवरी के साथ ही GRSE ने एक ही वर्ष में भारतीय नौसेना को पाँच युद्धपोत सौंपने की उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। ‘अंजदीप’ शिपयार्ड द्वारा निर्मित 115वां युद्धपोत तथा नौसेना को सौंपा गया 77वां पोत है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
- वर्ष 2025 के दौरान GRSE पहले ही एडवांस्ड गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट हिमगिरी, ASW-SWC श्रेणी के पहले दो पोत अर्नाला एवं एंड्रोथ तथा सर्वे वेसल (लार्ज) इक्षक की डिलीवरी कर चुका है, जिन्हें नौसेना में शामिल भी किया जा चुका है।
- वस्तुतः अंजदीप युद्धपोत 30 मिमी नौसैनिक सतह तोप से लैस और 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से निर्मित सरकार के आत्मनिर्भर भारत विजन तथा देश के उभरते घरेलू रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की सशक्त मिसाल है।