(प्रारंभिक परीक्षा: सरकारी योजनाएँ एवं कार्यक्रम) |
तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार ने अपने ‘सुपर सिक्स’ चुनावी वादों में से एक के रूप में ‘अन्नदाता सुखीभव योजना’ को 2 अगस्त, 2025 को आंध्र प्रदेश में लागू किया।
अन्नदाता सुखीभव योजना के बारे में
- परिचय : यह आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई एक कल्याणकारी योजना है, जिसका उद्देश्य लघु एवं सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- शुभारंभ : मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा प्रकाशम जिले के वीरायपालेम में।
- सहायता : यह योजना 46,85,838 किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
- पुनर्जनन : यह योजना पहले की वाईएसआर रायथु भरोसा योजना का पुनर्जनन है, जिसे वर्तमान सरकार ने फिर से शुरू किया और इसका नाम बदलकर अन्नदाता सुखीभव रखा।
योजना के उद्देश्य
- वित्तीय सहायता : किसानों को बीज, उर्वरक एवं अन्य कृषि आवश्यकताओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना
- आर्थिक सशक्तिकरण : प्राकृतिक आपदाओं, फसल विफलता एवं मूल्य अस्थिरता के कारण होने वाली आर्थिक कठिनाइयों को कम करना
- कृषि विकास : सिंचाई सुविधाओं में सुधार और फसल बीमा जैसे केंद्रीय योजनाओं को पुनर्जनन करके किसानों को सशक्त बनाना
- पारदर्शिता एवं समावेशिता : डिजिटल एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से यह सुनिश्चित करना कि सभी पात्र किसानों को लाभ मिले।
बजट
- कुल आवंटन : वर्ष 2025-26 के लिए 6,300 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
- पहली किश्त : पहले चरण में 2,342.92 करोड़ रुपए की राशि 46,85,838 किसानों के खातों में जमा की गई, जिसमें केंद्र का योगदान 831.51 करोड़ रुपए (2,000 रुपए प्रति किसान) है।
वित्तीय सहायता
- प्रत्येक पात्र किसान को प्रतिवर्ष 20,000 रुपए की सहायता में केंद्र से 6,000 रुपए (पीएम-किसान) और राज्य से 14,000 रुपए शामिल हैं।
- तीन किश्तों में वितरण : पहली किश्त 7,000 रुपए (5,000 रुपए राज्य + 2,000 रुपए केंद्र), दूसरी किश्त 5,000 रुपए और तीसरी किश्त 4,000 रुपए। शेष 4,000 केंद्र सरकार की ओर से।
पात्रता
- आंध्र प्रदेश के स्थायी निवासी और पेशे से किसान (भू स्वामी एवं पट्टेदार किसान दोनों)
- पीएम-किसान योजना में पंजीकृत एवं ई-के.वाई.सी. पूर्ण करने वाले किसान
- आवश्यक दस्तावेज : आधार कार्ड, भूमि दस्तावेज, पट्टेदारी दस्तावेज (यदि लागू हो), पता प्रमाण, बैंक पासबुक एवं मोबाइल नंबर
महत्त्व
- बीज, उर्वरक एवं कच्चे माल की खरीद में मदद : समय पर वित्तीय सहायता मिलने से किसान खरीफ व रबी सीजन के लिए तैयार रहेंगे।
- आर्थिक स्थिरता : फसल उत्पादन में निवेश की क्षमता बढ़ेगी जिससे किसानों की आय में वृद्धि संभव होगी।
- आपदा प्रबंधन में सहयोग : प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को तत्काल राहत मिलेगी।
- जल प्रबंधन एवं सिंचाई सुधार : जलाशयों के पुनर्भरण और जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने से सिंचाई की समस्याओं में कमी आएगी।
- शिकायत निवारण प्रणाली : किसानों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए हेल्पलाइन एवं शिकायत प्रबंधन तंत्र।
- राजनीतिक व प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करना : अधिकारियों को पारदर्शिता और समयबद्ध कार्यान्वयन के निर्देश दिए गए हैं।