चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र सरकार ने कृत्रिम रेत के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नीति शुरू की है।

इस नीति के अनुसार लिए गए निर्णय:
- अब सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी निर्माण परियोजनाओं में प्राकृतिक रेत के बजाय कृत्रिम रेत का उपयोग करना अनिवार्य होगा।
- कृत्रिम रेत उत्पादन इकाइयों को MSME का दर्जा दिया जाएगा, साथ ही उन्हें विभिन्न प्रकार की रियायतें और अनुदान मिलेंगे।
- कृत्रिम रेत पर रॉयल्टी प्राकृतिक रेत की तुलना में बहुत कम (₹200 प्रति ब्रास) रखी गई है, जबकि प्राकृतिक रेत के लिए यह ₹600 प्रति ब्रास है। इससे कृत्रिम रेत का उपयोग करना अधिक आर्थिक रूप से सुविधाजनक होगा।
- प्रत्येक जिले में 50 कृत्रिम रेत उत्पादन इकाइयाँ (कुल 1500) स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी और इसके लिए सरकारी भूमि प्राथमिकता से उपलब्ध कराई जाएगी।
- वर्तमान में कार्यरत स्टोन क्रशर इकाइयों को अगले तीन वर्षों में कृत्रिम रेत का उत्पादन शुरू करना होगा, अन्यथा उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं।
- इस नीति से नदियों और तटीय पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण होगा। साथ ही, पत्थर खनन के बाद बनने वाले गड्ढों का उपयोग जल संरक्षण के लिए किया जाएगा।
कृत्रिम रेत (Manufactured Sand - M-Sand) क्या है?
- कृत्रिम रेत कठोर चट्टानों (जैसे ग्रेनाइट) को बारीक करके बनाई जाती है। यह प्राकृतिक रेत की तुलना में एक समान और अधिक मजबूत होती है।
- कृत्रिम रेत के फायदे:
- प्राकृतिक रेत की कमी को दूर किया जा सकता है।
- पर्यावरण की कम हानि होती है।
- निर्माण के लिए अच्छी गुणवत्ता और टिकाऊपन मिलता है।
- इसमें चिकनी मिट्टी, गाद और धूल नहीं होती है।
- क्यूब के आकार के कण होने के कारण निर्माण में अच्छी पकड़ मिलती है।
प्राकृतिक रेत खनन के पर्यावरणीय परिणाम:
- नदी और किनारों का कटाव होता है।
- पानी के प्राकृतिक प्रवाह बदलते हैं।
- भूजल स्तर नीचे जाता है।
- समुद्र का खारा पानी नदियों में प्रवेश करने की संभावना बढ़ जाती है।
- जलीय जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र का नुकसान होता है।
प्रश्न. किस राज्य सरकार ने सभी सरकारी निर्माण परियोजनाओं में कृत्रिम रेत का उपयोग अनिवार्य कर दिया है?
(a) गुजरात
(b) महाराष्ट्र
(c) राजस्थान
(d) मध्य प्रदेश
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