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एशियाई कछुआ

(प्रारंभी परीक्षा : पर्यावरण एवं  पारिस्थिकी)

चर्चा में क्यों 

हाल ही में नागालैंड के पेरेन जिले के ज़ेलियांग सामुदायिक रिजर्व में एशियाई विशालकाय कछुए को पुनः प्रवेश कराया गया है।

एशियाई विशालकाय कछुआ

  • परिचय: यह  एशिया की सबसे बड़ी कछुए की प्रजाति है। इन्हें जंगलों के छोटे हाथी के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। 
  • प्रजाति: मनोरिया एमिस फेयरी (एशियाई विशालकाय कछुआ) 
  • IUCN स्थिति : लुप्तप्राय श्रेणी (EN) में वर्गीकृत 
  • महत्त्व : समुदाय-नेतृत्व वाली संरक्षण पहल के माध्यम से भारत में इस प्रजाति का पहला पुनःप्रवेश।
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के सामुदायिक अभ्यारण्यों के प्रावधानों के अंतर्गत समुदाय-आधारित वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा
    • जैविक विविधता अभिसमय (CBD) के अंतर्गत भारत की प्रतिबद्धताओं का समर्थन
  • कछुआ उत्तरजीविता गठबंधन (TSA) और वन विभाग के सहयोग से नागालैंड प्राणी उद्यान में इसका प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया गया।
  • चुमौकेदिमा जिले के रंगापहाड़ स्थित नागालैंड प्राणी उद्यान से इस प्रजाति के 10 कछुओं को एक सामुदायिक कार्यक्रम के माध्यम से अभ्यारण्य में छोड़ा गया।
  • पारिस्थितिक भूमिका: वन पारिस्थितिकी तंत्र में बीज प्रकीर्णक; स्वस्थ आवास का सूचक।
  • खतरे: मांस के लिए शिकार, स्थानांतरित खेती और वनों की कटाई के कारण आवास का नुकसान।
  • स्थानीय समुदाय के युवाओं को परियोजना में 'कछुआ संरक्षक' के रूप में नियुक्त किया गया है ताकि छोड़े गए कछुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और आँकड़े एकत्र करने में सहायता मिल सके।
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