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इसरो द्वारा क्षुद्रग्रह कार्यशाला का आयोजन 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता से संबंधित विषय)

संदर्भ 

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस के अवसर पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष भवन में एक कार्यशाला का आयोजन किया।

क्या है क्षुद्रग्रह

क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करने वाले छोटे चट्टानी पिंड होते हैं। ये ग्रहों के समान ही सूर्य की परिक्रमा करते हैं किंतु आकार में इनसे बहुत छोटे होते हैं। ये मुख्यत: मंगल एवं बृहस्पति की कक्षाओं के मध्य पाए जाते हैं।

क्षुद्रग्रह विस्फोट का पृथ्वी पर प्रभाव

  • प्रजातियों का विलोपन
  • क्रेटर झील का निर्माण
  • पारिस्थितिकी तंत्र की क्षति
  • खाद्य शृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव
  • जलवायु परिवर्तन

क्षुद्रग्रह दिवस के बारे में

  • अंतरिक्ष समुदाय द्वारा प्रतिवर्ष 30 जून को क्षुद्रग्रह दिवस मनाया जाता है। इसी अवसर पर क्षुद्रग्रह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
  • 30 जून,1908 को रूस के साइबेरिया में 2,200 वर्ग किमी. के जंगल में एक क्षुद्रग्रह के विशाल विस्फोट के कारण यह दिवस मनाया जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि कई प्रजातियों के साथ-साथ डायनासोर के विलुप्त होने का कारण क्षुद्रग्रहों का विस्फोट ही था।

क्षुद्रग्रह कार्यशाला का उद्देश्य

  • क्षुद्रग्रहों के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना
  • ब्रह्मांड की बेहतर समझ के लिए क्षुद्रग्रह अनुसंधान के महत्व को बताना
  • ग्रहों की सुरक्षा के लिए नवीन समाधानों को प्रेरित करना

इसरो द्वारा एपोफिस क्षुद्रग्रह का अवलोकन 

  • वर्ष 2004 में इसरो की वेधशालाएँ 340 मीटर आकार की एक पिंड को देखने में सफल हुई थीं। 
    • यह वस्तु निरंतर पृथ्वी के निकट आ रही थी।
    • उपलब्ध डाटा के आधार पर इसरो ने गणना की कि इस वस्तु के पृथ्वी से टकराने की अत्यधिक संभावना है, जो एक उच्च जोखिम को दर्शाता है।
  • इस पिंड को एपोफिस क्षुद्रग्रह (Asteroid Apophis) के रूप में जाना जाता है। इसे प्राय:  पृथ्वी के आसपास के क्षेत्र में देखा जा सकता है। 
  • इसरो के अनुसार यदि गुरुत्वाकर्षण में कोई बदलाव होता है, तो संभावना है कि वर्ष 2036 में इसका पृथ्वी पर प्रभाव पड़ेगा।
  • वर्तमान में एक अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में इसरो ने ग्रहों की सुरक्षा की दिशा में केंद्रित गतिविधियाँ शुरू की हैं।

एपोफिस क्षुद्रग्रह के लिए इसरो की योजना

  • इसरो 13 अप्रैल, 2029 को एपोफिस क्षुद्रग्रह के पृथ्वी के निकट से गुजरने या टकराव से पहले अंतरिक्ष में ग्रह रक्षा मिशन में भाग लेने पर विचार कर रहा है।
  • इसमें जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के संयुक्त प्रयास से एपोफिस क्षुद्रग्रह मिशन पर एक उपकरण लगाना शामिल हो सकता है।
  • इसरो इस मिशन में भाग लेने और सीखने के लिए संभव समर्थन देगा।
  • यद्यपि इसरो के पास क्षुद्रग्रह मिशन जैसी नई परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण की कमी है।

नासा के डार्ट मिशन से सीख 

  • नासा के डार्ट मिशन ने गहरे अंतरिक्ष में एक क्षुद्रग्रह के प्रक्षेप पथ को बदलने में मदद की थी।
  • नासा के डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (DART) ने एक अंतरिक्ष यान द्वारा लक्षित लक्ष्य क्षुद्रग्रह डिमोर्फोस की कक्षा को सफलतापूर्वक बदल दिया था।
  • इस मिशन ने यह प्रदर्शित किया कि क्षुद्रग्रह के प्रक्षेप पथ में थोड़ा सा परिवर्तन करके उसे उसके मार्ग से हटाना संभव है।
  • क्षुद्रग्रह के प्रक्षेप पथ को बदलकर इसे पृथ्वी से टकराने से रोका जा सकता है।
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