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कानूनी पेशे में 'पक्षपात'

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी पेशे में 'पक्षपात' का आरोप लगाने वाली याचिका पर सवाल उठाए

वरिष्ठ अधिवक्ताओं की पहले सुनवाई

  • अधिवक्ता अधिनियम की धारा 16, अधिवक्ताओं को 'वरिष्ठ अधिवक्ता' और 'अन्य अधिवक्ता' के रूप में वर्गीकृत करती है। 
  • वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम किसी अधिवक्ता को सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा विशिष्ट क्षमता, बार में प्रतिष्ठा, कानून में विशेष ज्ञान या अनुभव की मान्यता के रूप में प्रदान किया जाता है। 
  • वरिष्ठ अधिवक्ता अदालत में बहस कर सकते हैं लेकिन सीधे क्लाइंट से केस नहीं ले सकते।
  • इन्हें जूनियर अधिवक्ता या वकील के माध्यम से ही केस प्राप्त करना होता है।
  • ये दस्तावेजों का मसौदा तैयार नहीं कर सकते हैं, लेकिन कानूनी सलाह और मौखिक बहस करने के लिए अधिकृत होते हैं।
  • अधिवक्ता अधिनियम की धारा 23(5) के तहत वरिष्ठ अधिवक्ताओं को न्यायालय में अन्य अधिवक्ताओं से पहले सुनवाई का अधिकार है।

क्या था मामला ?

  • अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा द्वारा याचिका दायर का आरोप लगाया गया कि -
  • न्यायाधीशों और शक्तिशाली व्यक्तियों के रिश्तेदारों को 'वरिष्ठ अधिवक्ता' पदनाम के लिए आसान और जल्दी पास मिल जाता है
    • इससे कानूनी पेशे में विशेषाधिकार प्राप्त लोगों का एक "छोटा गिरोह" बन जाता है।
  • याचिका में न्यायालय से आग्रह किया गया है कि वह न्यायपालिका को अभिजात्यवाद और विशेषाधिकार की संस्कृति से मुक्त करने के लिए वरिष्ठ पदनाम प्रणाली और कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करे।
  • अधिवक्ताओं का एक विशेष वर्ग बनाना, जिसके पास विशेष अधिकार, विशेषाधिकार और दर्जा हो, जो आम अधिवक्ताओं को उपलब्ध नहीं है, असंवैधानिक है।
  • यह अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार और अनुच्छेद 19 के तहत किसी भी पेशे का अभ्यास करने के अधिकार के साथ-साथ अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 

  • न्यायमूर्ति बीआर गवई ने नेदुम्परा से पूछा -
    • आप कितने न्यायाधीशों के नाम बता सकते हैं जिनके 'वंशजों' को वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया है? 
    • आप यह आरोप लगा रहे हैं कि न्यायाधीशों के वंशज, भाई, बहन, भतीजे आदि हैं, जिन्हें 40 वर्ष की आयु से पहले वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया है... आप ऐसे कितने न्यायाधीशों का नाम बता सकते हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिका में किए गए “विभिन्न अपमानजनक और निराधार” कथनों पर “चिंतन” करने का समय दिया।
  • पीठ ने सुझाव दिया कि वह याचिका में संशोधन करें या उसे वापस ले लें।
  • अगर यह याचिका अगली बार भी इसी रूप में आती है, तो प्रत्येक याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
  • पीठ ने याचिकाकर्ताओं को एक-दूसरे से परामर्श करने और “जो भी कदम वे उचित समझें, उठाने” के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

प्रश्न  - वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम किसके द्वारा प्रदान किया जाता है ?

(a) सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा 

(b) राष्ट्रपति द्वारा 

(c) बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा

(d) जिला अदालत द्वारा 

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