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ब्लैक टाइगर /मेलेनिस्टिक बाघ  

प्रारम्भिक परीक्षा – ब्लैक टाइगर , मेलेनिस्टिक
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3

संदर्भ

भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट , 2022 के अनुसार, सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में 10 मेलेनिस्टिक बाघ थे।

Black-Tiger

  • ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में 16 बाघों को दर्ज किया गया था जिनमे से 10 मेलानिस्टिक बाघ हैं। 
  • सरकार के द्वारा बाघों के पुनर्वास की दिशा में सक्रिय प्रबंधन के लिए NTCA द्वारा एक मानक संचालन प्रक्रिया जारी की गई है। 
  • सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व को मेलानिस्टिक बाघ के संरक्षण के लिए एक विशिष्ट आनुवंशिक समूह के रूप में पहचाना गया है।
  • मेलानिस्टिक बाघों के संरक्षण, जागरूकता बढ़ाने के लिए सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व को वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास (सीएसएस- आईडीडब्ल्यूएच) की चल रही केंद्र प्रायोजित योजना के तहत वित्त पोषण सहायता प्रदान की जाती है।

मेलानिस्टिक :-

  • मेलेनिन नामक वर्णक (रंग देने वाला पदार्थ ) या जे‍नेटिक म्‍यूटेशन या आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण जिन जीव-जंतुओं की त्वचा या बाल बहुत गहरे काले रंग के हो जाते हैं, उन्हें मेलानिस्टिक जीव कहा जाता है; जैसे - ब्लैक पैंथर्स तेंदुओं का एक मेलेनिस्टिक रूप है।
  • ओडिशा के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान में वर्ष 2007 में मेलानिस्टिक बाघ को देखा गया तब से इसके संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है। 

सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान:

Melanistic-Tiger

  • यह राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के मयूरभंज जिले में अवस्थित है।जिसका क्षेत्रफल 4374 वर्ग किलोमीटर है।  
  • इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1956 में आधिकारिक रूप से टाइगर रिजर्व के रूप में संरक्षित किया गया तथा इसके पश्चात् इसे वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत शामिल किया गया।
  • यह राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1994 में भारत सरकार द्वारा जैव मण्डल रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया तथा वर्ष 2009 से यूनेस्को के विश्व नेटवर्क ऑफ़ बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है।

जैव विविधता:-

  • यह राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। 
  • इस राष्ट्रीय उद्यान में उष्णकटिबंधीय, अर्द्ध-सदाबहार वन, उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं।
  • इस राष्ट्रीय उद्यान में फूलों की 1076 प्रजातियाँ और आर्किड की 96 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। 
  • यहाँ बाघों और हाथियों समेत पक्षियों की 304 प्रजातियाँ, उभयचरों की 20 प्रजातियाँ और सरीसृप प्रजातियाँ निवास करती हैं।

वन्यजीव :-

  • इस राष्ट्रीय उद्यान में स्तनधारियों की 55, पक्षियों की 361, सरीसृपों की 62, उभयचरों की 21 प्रजातियाँ और कीड़ों एवं सूक्ष्म जीवों की कई प्रजातियाँ पायी जाती हैं। 
  • यह विश्व में मेलेनिस्टिक बाघों की एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है। 
  • इस राष्ट्रीय उद्यान में हाथी, बाघ , तेंदुआ, मछली पकड़ने वाली बिल्ली (प्रियोनाइलुरस विवरिनस), जंगली बिल्ली (फेलिस चौस), भेड़िया (कैनिस ल्यूपस), मगर (क्रोकोडायलस पलुस्ट्रिस) आदि पाए जाते हैं।  
  • यहां पाई जाने वाली प्रमुख अनगुलेट प्रजातियां :-सांभर (रूसा यूनिकलर), चीतल (एक्सिस एक्सिस), बार्किंग हिरण (मंटियाकस वेजिनेलिस), गौर (बोस गौरस) और माउस हिरण (मोशियोला इंडिका) हैं।

ओडिशा के अन्य प्रमुख उद्यान – 

  • भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान,नंदनकानन वन्यजीव अभयारण्य (सफ़ेद बाघों के लिए प्रसिद्ध), गहिरमाथा वन्यजीव अभ्यारण्य- ओलिव रिडले कछुओं का प्रमुख प्रजनन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है।  
  • चिलिका वन्यजीव अभ्यारण्य –यह एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
  • इसके अतिरिक्त ओडिशा में बदरमा, लखारी घाटी, हदगढ़, बैसीपल्ली और कोटगढ़ अन्य वन्यजीव अभयारण्य स्थित हैं।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- निम्नलिखित में से किस टाइगर रिजर्व में विश्व के दुर्लभ मेलेनिस्टिक बाघ पाए जाते हैं?

(a) कमलांग टाइगर रिजर्व

(b)  नमदाफा टाइगर रिजर्व 

(c)  सिमलीपाल टाइगर रिजर्व 

(d)  कूनो  टाइगर रिजर्व

उत्तर: (c)

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