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चीन और नेपाल के बीच सीमा विवाद

संदर्भ

हाल ही में, नेपाल के कृषि मंत्रालय ने एक सर्वे में दावा किया है कि चीन ने अपनी सीमा से लगे नेपाल के ज़िलों दोलखा, गोरखा, धारचुला, हुमला, सिंधुपालचौक, संखुवासभा और रसुवा में कई जगह पर अतिक्रमण कर लिया है।

पृष्ठभूमि

  • नेपाल और तिब्बत ने 5 सितंबर 1775 को सीमा पर संबंधों को मज़बूत करने के लिये एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते में कहा गया था कि दोनों देशों के बीच सीमा में कोई बदलाव नहीं होगा।
  • कुछ वर्ष बाद नेपाल के बहादुर शाह ने अपने शासनकाल में नेपाल और तिब्बत के बीच हुए इस व्यापार समझौते पर अंसतोष जताते हुए तिब्बत पर हमला करने के लिये अपनी सेना भेज दी थी।
  • इस हमले के बाद, तिब्बत और नेपाल के रिश्तों में खटास आ गई थी। नेपाल की सेना को पीछे धकेलने के लिये तिब्बत अक्सर चीन से सैन्य मदद लेता था। लेकिन बाद में तिब्बत ने नेपाल के साथ फिर से सीमा विवाद सुलझाने की बात पर ज़ोर देना शुरू किया।
  • इसके बाद नेपाल और तिब्बत के बीच ‘थपाथली की संधि या नेपाल–तिब्बत शांति समझौता’ हुआ। इस पर 24 मार्च 1856 को हस्ताक्षर किये गए थे। इस समझौते से नेपाल और तिब्बत के बीच उत्तरी सीमा के विवाद का अंतिम रूप से समाधान हुआ था। 

तिब्बत पर चीन का अधिकार

  • विगत कुछ दशकों में चीन और नेपाल के रिश्तों में उतार-चढ़ाव होते रहे किंतु तिब्बत पर चीन के अधिकार कर लेने के बाद दोनों दशों के रिश्तों में एक नया बदलाव देखा गया।
  • चीन और नेपाल के बीच 1439 किलोमीटर लंबी साझा सीमा अस्तित्व में आई। नेपाल और चीन ने अपनी सीमा को स्पष्ट रूप से रेखांकित करने के लिये 21 मार्च 1960 को ‘नेपाल–चीन सीमा समझौता’ किया। चीन और नेपाल के बीच हुए इस समझौते ने ‘थपाथली की संधि’ की जगह ली।
  • इस समझौते के साथ ही नेपाल ने न सिर्फ़ तिब्बत पर चीन के अधिकार को मान्यता दी, बल्कि पुराने समझौते से मिले सभी अधिकार और विशिष्ट रियायतों को भी छोड़ दिया।
  • दोनों ही देशों द्वारा सीमा के व्यापक सर्वेक्षण और नक़्शे बनाने के बाद, 5 अक्तूबर 1961 को चीन और नेपाल के बीच सीमा समझौते को अंतिम रूप दिया गया। चीन और नेपाल की सीमा के निर्धारण में इलाक़ों के पारंपरिक उपयोग, क़ब्ज़े और सुविधाओं को मानक बनाया गया था।
  • नेपाल ने अपने क़ब्ज़े वाली क़रीब 1836 वर्ग किलोमीटर ज़मीन चीन को सौंपी, तो चीन ने भी अपने क़ब्ज़े वाले लगभग 2139 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र चीन को सौंप दिये।
  • इसके अलावा, हिमालय में पानी के बहाव की दिशा को भी उत्तरी क्षेत्र की सीमा के निर्धारण का आधार बनाया गया। इस इलाक़े में कई दर्रे, पर्वतों की चोटियाँ और चरागाह की ज़मीने हैं।
  • जहाँ पर भी किसी देश के चरवाहों की ज़मीनें दूसरे देश के हिस्से में थीं, वहां पर ज़मीन के मालिकों को उस देश की नागरिकता अपनाने का विकल्प भी दिया गया। 

पंचशील सिद्दांत का पालन

  • नेपाल और चीन ने अपनी सीमा को मिलकर चिह्नित किया। दोनों देशों के बीच कम से कम 32 क्षेत्रों को लेकर संघर्ष हुआ, विवाद और दावे प्रतिदावे हुए।
  • दोनों देशों के बीच सीमा के रेखांकन के दौरान जब भी विवाद उठ खड़ा हुआ, तो इसे ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पंचशील सिद्धांत’ के ज़रिये सुलझाया गया और दोनों ही देशों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक दूसरे की स्थिति का सम्मान किया।
  • सीमा समझौते के अनुसार, सीमा के सर्वेक्षण और चिह्नीकरण के बाद, दोनों देशों की साझा सर्वे टीम ने 21 जून 1962 से सीमा पर स्थायी खंभे और चिन्ह लगाने शुरू किये।
  • 20 जनवरी 1963 को नेपाल और चीन के बीच सीमा संबंधी प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये गए, जिसके ज़रिये हर पाँच वर्षों में दोनों देशों द्वारा निर्धारित की गई सीमा के निरीक्षण के बुनियादी नियम तय किये गए थे।
  • इस प्रोटोकॉल पर दोनों देशों ने तीन बार नए सिरे से हस्ताक्षर किये और सीमा बताने वाले जो खंभे क्षतिग्रस्त हो गए थे, उनकी जगह नए स्तंभ लगाए गए।

नेपाल-चीन के बीच तनाव

  • पिछले कुछ दशकों के दौरान नेपाल और चीन के बीच सीमा को लेकर छोटी–मोटी झड़पें भी हुईं। उदाहरण के तौर पर, दोलखा ज़िले के लंबागर इलाक़े के उत्तर में स्थित लपचिगौन में सीमा बताने वाला जो स्तम्भ लगाया गया था, उसके बारे में दावा किया गया कि ये नेपाल की सीमा के भीतर लगाया गया था, न कि पहले निर्धारित सीमा पर। यह विवाद केवल छह हेक्टेयर ज़मीन का था, लेकिन इसकी वजह से दोनों देशों के बीच सीमा का चौथा प्रोटोकॉल अब तक अटका हुआ है।
  • एक और विवाद माउंट एवरेस्ट (सागरमाथा) पर अधिकार का भी था। लेकिन 1960 में चाउ–एनलाई ने अपने काठमांडू दौरे में साफ़ कर दिया कि माउंट एवरेस्ट पर नेपाल की जनता का अधिकार है।
  • इस समय दोनों देशों के बीच माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। चीन का दावा है कि माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई 8844.43 मीटर है। वहीं नेपाल का दावा है कि एवरेस्ट 8848 मीटर ऊँचा है।
  • हाल के सर्वे में चीन द्वारा जिस अतिक्रमण की बात की गई है, उसका नेपाल और चीन दोनों ही देशों की सरकारों ने खंडन किया है।
  • दोनों देशों ने ये भी कहा है कि वो आपसी बातचीत से सीमा विवाद सुलझाने पर सहमत हैं।
  • हालांकि, अगर चीन और नेपाल के बीच सीमा विवाद जारी रहता है, तो इससे नेपाल को नुक़सान हो सकता है, क्योंकि घरेलू राजनीति की मजबूरियां, नेपाल को चीन के अतिक्रमण की बात स्वीकार करने की इजाज़त नहीं देंगी। ऐसे में चीन द्वारा कब्जाई गई ज़मीनों पर से नेपाल का अधिकार जा सकता है।
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