New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM

काट्सा अधिनियम और भारत- रूस सबंध

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाओं से सबंधित प्रश्न )
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र – 2 द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक समूह और भारत से सबंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार से सबंधित विषय)

संदर्भ

हाल ही में, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने कहा है कि रूस से एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणालियों की डिलीवरी तय समय के अनुसार होने की उम्मीद है। उनके इस बयान ने काट्सा अधिनियम (CAATSA- Countering America’s Adversaries through Sanctions Act) को पुनः चर्चा का केंद्रबिंदु बना दिया है।

काट्सा (CAATSA) अधिनियम-

  • यह एक अमेरिकी संघीय कानून है जो ईरान, उत्तर कोरिया और रूस की आक्रामकता का सामना दंडात्मक व प्रतिबंधात्मक उपायों के माध्यम से करता है। 
  • इस अधिनियम की धारा 235 में 12 प्रतिबंधों का उल्लेख किया गया है। इन प्रतिबंधों में से दो सबसे कड़े निर्णय; कुछ निर्यात लाइसेंस पर प्रतिबंध तथा प्रतिबंधित व्यक्तियों द्वारा इक्विटी/ऋण द्वारा अमेरिकी निवेश पर प्रतिबंध शामिल हैं।

अमेरिका द्वारा काट्सा के माध्यम से प्रतिबंध क्यों

  • अमेरिका ने रूस के रक्षा व ख़ुफ़िया क्षेत्र के व्यापार को हतोत्साहित करने हेतु इस अधिनियम को पारित किया था, क्योंकि अमेरिका का मानना था कि रूस ने वर्ष 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप किया था।
  • रूस व चीन अफ़गानिस्तान में विस्तार हेतु आपसी संबंधों को बढ़ावा दे रहे हैं। विदित है कि यहाँ से अमेरिका ने दो दशकों के युद्ध के बाद अपनी सेना वापस बुला ली है।
  • नवीन शीत युद्ध तथा रूस-चीन के मध्य बढ़ते संबंधों ने अमेरिका को सचेत किया है, ताकि वह रूस व चीन के वैश्विक हस्तक्षेपों का सामना करने में सक्षम हो सके।   

भारत तथा काट्सा 

  • भारत को जल्द ही रूस से तीन वर्ष पूर्व हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार 40000 हज़ार करोड़ रुपए की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के पाँच स्क्वाड्रन प्राप्त होने वाले हैं।
  • अमेरिका के उप- विदेश मंत्री का वक्तव्य है कि “रूस के S- 400 मिसाइल प्रणाली का उपयोग विभिन्न देशों के लिये खतरनाक हो सकता है”। वस्तुत: उनका संकेत काट्सा अधिनियम के माध्यम से अमेरिकी प्रतिबंधों की तरफ था।
  • वर्ष 2017 में ही तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस अधिनियम पर हस्ताक्षर किये गए थे इसके बावजूद भी भारत ने रूस के साथ S-400 मिसाइल प्रणाली हेतु समझौता करते हुये वर्ष 2019 में अग्रिम भुगतान किया।
  • भारत ने भारतीय उपमहाद्वीप में सामरिक वातावरण को देखते हुए इस मिसाइल प्रणाली के महत्त्व पर ज़ोर दिया है।
  • इस अधिनियम में राष्ट्रपति की शक्ति के अंतर्गत छूट देते हुये एक सुरक्षा वाल्व भी बनाया गया है, जिसकी व्याख्या भारत जैसे देशों को समायोजित करने के लिये तैयार की गई है।

    काट्सा अधिनियमों से भारत को छूट क्यों

    • ‘संशोधित छूट प्राधिकरण’ अमेरिकी राष्ट्रपति को कुछ परिस्थितियों में प्रतिबंधों को माफ करने की अनुमति देता है, जैसे रूस के साथ रक्षा समझौता कर रहे देश को यह तय करना होगा की यह कदम अमेरिका हित में हो और यह अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये तो खतरा न हो ।
    • इसके अतिरिक्त, उक्त देश को यह निर्धारित करना होगा कि वह देश रूस से रक्षा उपकरणों की अपनी सूची को कम करने के लिये कदम उठाए और महत्त्वपूर्ण सुरक्षा  मामलों में वाशिंगटन के साथ सहयोग करे।
    • अमेरिका को यह आशंका है कि भारत को इस प्रतिबंध के तहत लाने से भारत का झुकाव अपने पारंपरिक  सैन्य हार्डवेयर आपूतिकर्ता रूस के तरफ बढ़ सकता है।
    • स्टॉकहोम स्थित रक्षा थिंक-टैंक SIPRI के अनुसार पिछले एक दशक में रूस से भारत की सैन्य खरीद में लगातार गिरावट आई है।
    • वहीं, दूसरी ओर पिछले एक दशक में यू.एस.-भारत के मध्य रक्षा समझौता लगभग  20 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है तथा 10 बिलियन डॉलर के रक्षा समझौते के लिये बातचीत चल रही है।
    • वर्ष 2016 में अमेरिका ने भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में नामित किया तथा बाद में इसने भारत को सामरिक व्यापार प्राधिकरण -1 का अधिकार दिया जो महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों तक भारत को पहुँच की अनुमति देता है। 

    आगे की राह

    • अमेरिका में एक वर्ग ऐसा है जो भारत पर उसी तरह प्रतिबंध लगाने की वकालत करता है जैसा कि अमेरिका ने नाटो सहयोगी तुर्की पर लगाया है, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों का एक प्रभावशाली वर्ग इसके विरोध में है। 
    • भारत को प्रतिबंधों से छूट देने की प्रक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति का दृढ़ संकल्प, कॉन्ग्रेस समिति को निर्दिष्ट करना तथा पैनल द्वारा मंज़ूरी शामिल है, साथ ही इसे सीनेट की विदेश संबंध समिति के पास भेजे जाने की भी संभावना है।

    निष्कर्ष

    अमेरिकी प्रतिबंध भारत- अमेरिकी द्विपक्षीय संबंधों विशेषकर रक्षा संबंधों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। वर्तमान में जब भारत क्वाड समूह के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रमकता को कम करने के लिये प्रयासरत है, ऐसे में अमेरिका द्वारा भारत पर प्रतिबंध लगाने की संभावना कम ही है। इस कदम पर भारतीय-अमेरिकियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी।

    « »
    • SUN
    • MON
    • TUE
    • WED
    • THU
    • FRI
    • SAT
    Have any Query?

    Our support team will be happy to assist you!

    OR