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भारत में शव दान प्रक्रिया

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2; स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।)

संदर्भ

हाल ही में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (CPI) के नेता सीताराम येचुरी का निधन हुआ जिन्होंने अपना शरीर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को दान कर दिया। 

शरीर दान की प्रक्रिया 

  • पूरे शरीर के दान (अंग दान के विपरीत) पर नज़र रखने के लिए कोई राष्ट्रीय संगठन नहीं है। सामान्यत: मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के शरीर रचना (एनाटॉमी) विभाग सीधे तौर पर इसके प्रभारी होते हैं।
  • व्यक्ति को उस निर्दिष्ट विभाग में जाना पड़ता है जहाँ वह अपना शरीर दान करना चाहता है और आवश्यक फॉर्म पर हस्ताक्षर करना पड़ता है। 
  • मृत्यु के बाद दाता के निकटतम रिश्तेदार को दान की प्रक्रिया के लिए विभाग से संपर्क करना पड़ता है।

शरीर दानकर्ता कौन हो सकता है 

  • 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति कानूनी तौर पर शव दानकर्ता बनने के लिए सहमति दे सकता है। 
    • यदि वह मृत्यु के समय पंजीकृत नहीं हैं, तो भी उनके अभिभावक या निकटतम रिश्तेदार उसका शरीर दान कर सकते हैं।
  • यद्यपि दीर्घकालिक बीमारियों से मरने वाले लोग पात्र दाता हो सकते हैं, लेकिन तपेदिक, सेप्सिस या HIV जैसे संक्रामक रोगों से पीड़ित लोगों के शव स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं होती है।

दान किए गए शवों का उपयोग 

  • शव दान में व्यक्ति मृत्यु के बाद अपना पूरा शरीर (विभिन्न अंगों के बजाय) विज्ञान को दान कर देता है।
  • इन शवों का उपयोग डॉक्टरों को मानव शरीर रचना को बेहतर ढंग से समझने एवं सर्जरी का अभ्यास करने के लिए किया जाता है।
  • डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने के अलावा शवों का उपयोग नए चिकित्सा उपकरणों के विकास एवं विभिन्न रोगों के शारीरिक प्रभावों का अध्ययन करने के लिए भी किया जा सकता है। 
  • मेडिकल कॉलेज उन लोगों के शवों को लेने से भी मना कर सकते हैं जिनकी मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई है और जो मेडिकल-लीगल मामले के अधीन हैं।

भारत में शव दान की स्थिति 

  • वर्तमान में भारत में शव दान कोई समेकित आँकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन चिकित्सा संस्थानों ने प्राय: कमी की सूचना दी है।  
  • वर्तमान में स्नातक मेडिकल कॉलेजों को प्रत्येक 10 छात्रों के लिए एक शव की आवश्यकता होती है। 
    • दिल्ली स्थित एम्स को पिछले दो वर्षों में 70 शव मिले हैं। 
  • सफदरजंग अस्पताल और उससे सम्बद्ध वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (VMMC) को पिछले पाँच वर्षों में केवल 24 दान किए गए शव प्राप्त हुए हैं। 
  • राम मनोहर लोहिया अस्पताल और इससे संबद्ध अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान (ABVIMS) को वर्ष 2019 में MBBS पाठ्यक्रम की शुरुआत के बाद से केवल 18 शव प्राप्त हुए हैं।
  • भारत के अन्य भागों में यह  स्थिति और भी खराब होने की संभावना है।  
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