New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

भारत में बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी मुद्दे

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा के तेज़ी से विकास के साथ भारत को बैटरी अपशिष्ट, विशेष रूप से लिथियम-आयन बैटरियों से उत्पन्न अपशिष्ट के प्रबंधन की एक गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

भारत में बढ़ती बैटरी ऊर्जा की मांग 

  • एक अनुमान के अनुसार भारत में ई.वी. लिथियम बैटरी की मांग वर्ष 2023 में 4 गीगावाट-घंटे से बढ़कर वर्ष 2035 तक लगभग 139 गीगावाट-घंटे हो सकती है। 
  • भारत का विस्तारित नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र भी लिथियम बैटरियों की मांग को बढ़ावा दे रहा है और वर्ष 2070 तक भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्य को पूरा करने के लिए बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को तेज़ी से अपनाया जा रहा है। 
  • वर्ष 2022 में उत्पन्न 1.6 मिलियन मीट्रिक टन ई-कचरे में से अकेले लिथियम बैटरी 7,00,000 टन के लिए जिम्मेदार थी।
  • ई.वी. अपनाने में वृद्धि वांछनीय है किंतु एक मज़बूत पुनर्चक्रण ढाँचे के बिना यह पर्यावरणीय लागतें उत्पन्न कर सकता है। 
  • लिथियम बैटरियों के अनुचित निपटान के गंभीर परिणाम होते हैं जिनमें मृदा एवं पानी में खतरनाक पदार्थों का रिसाव शामिल है। 
  • इन जोखिमों को पहचानते हुए, सरकार ने बैटरियों के टिकाऊ प्रबंधन और पुनर्चक्रण सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2022 में बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम (BWMR) को अधिसूचित किया।

बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियाँ 

पुनर्चक्रण के लिए बुनियादी ढाँचे का अभाव

  • भारत में वर्तमान में बड़े पैमाने पर, कुशल बैटरी पुनर्चक्रण सुविधाओं का अभाव है।
  • लिथियम बैटरी अपशिष्ट का उचित निपटान महंगा है, जिसके लिए उन्नत प्रसंस्करण तकनीकों, सुरक्षित परिवहन और कुशल श्रम की आवश्यकता होती है।
  • अधिकांश बैटरी अपशिष्ट अनौपचारिक क्षेत्र में पहुँच जाता है, जिससे असुरक्षित पुनर्चक्रण पद्धतियाँ अपनाई जाती हैं।
  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक, अपर्याप्त बैटरी पुनर्चक्रण प्रणाली के कारण भारत को 1 अरब डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा हानि हो सकती है।

पर्यावरणीय जोखिम

  • अनुचित निपटान से जहरीले रसायनों का रिसाव, भूजल प्रदूषण और वायु प्रदूषण होता है।
  • लिथियम, कोबाल्ट और निकल उच्च पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न  करते हैं।

नीतिगत कमियाँ

  • भारत में बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 मौजूद हैं, लेकिन उनका प्रवर्तन कमज़ोर है।
  • ये नियम विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) पर केंद्रित हैं, लेकिन इनकी ट्रैकिंग और अनुपालन की स्थिति ठीक नहीं है।

चक्रीय अर्थव्यवस्था दृष्टिकोण का अभाव

  • भारत को एक बंद-लूप प्रणाली की आवश्यकता है जहाँ जीवन-काल समाप्त हो चुकी बैटरियों का कुशलतापूर्वक पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग किया जा सके।
  • वर्तमान नीति में सामग्री पुनर्प्राप्ति और पुन: उपयोग के लिए ठोस प्रोत्साहनों का अभाव है।

समाधान 

  • ई.पी.आर. के कार्यान्वयन को मज़बूत करना  : बैटरी जीवनचक्र की सख्त निगरानी सुनिश्चित करने के साथ ही गैर-अनुपालन पर दंड का प्रावधान 
  • पुनर्चक्रण क्षेत्र को औपचारिक बनाना : अनौपचारिक अपशिष्ट संग्रहकर्ताओं को प्रशिक्षण और बुनियादी ढाँचे के समर्थन के साथ औपचारिक प्रणाली में एकीकृत करना।
  • अनुसंधान और निवेश को बढ़ावा  : विशेष रूप से दुर्लभ मृदा और महत्त्वपूर्ण धातुओं की पुनर्प्राप्ति के लिए, स्वदेशी पुनर्चक्रण तकनीक को प्रोत्साहित करना।
  • जन जागरूकता और संग्रहण तंत्र : संग्रहण नेटवर्क बनाने के साथ ही  सुरक्षित बैटरी निपटान के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।
    • लिथियम-आयन बैटरियों में कोबाल्ट, लिथियम एवं निकल जैसे मूल्यवान और दुर्लभ खनिज भी होते हैं, जिनकी कुशल पुनर्प्राप्ति भारत की आयात निर्भरता को काफ़ी कम कर सकती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X