संदर्भ
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2025-26 से 2028-29 तक राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के लिए 2,000 करोड़ रुपए की केंद्रीय अनुदान सहायता योजना को मंजूरी दी है जिसका उद्देश्य सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
NCDC केंद्रीय अनुदान सहायता योजना के बारे में
- अवधि : वर्ष 2025-26 से 2028-29 तक (4 वर्ष)
- बजट : 2,000 करोड़ रुपए, जिसमें प्रत्येक वर्ष 500 करोड़ रुपए की सहायता
- उद्देश्य : NCDC को खुले बाजार से 20,000 करोड़ रुपए जुटाने में सक्षम बनाना
- उपयोग : सहकारी समितियों को नई परियोजनाओं, संयंत्रों के विस्तार एवं कार्यशील पूंजी के लिए ऋण प्रदान करना
लाभ
- देश भर में 13,288 सहकारी समितियों और उनके 2.9 करोड़ सदस्यों को लाभ
- डेयरी, पशुधन, मत्स्य पालन, चीनी, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण एवं शीतगृह क्षेत्रों में सहायता
- श्रमिकों एवं महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों को प्रोत्साहन
- आय सृजन, रोजगार वृद्धि एवं सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करना
- आधारभूत ढांचे के विकास और कौशल-आधारित रोजगार के अवसर
कार्यान्वयन नीति एवं लक्ष्य
- निष्पादन : NCDC द्वारा परियोजना धनराशि का वितरण, निगरानी एवं ऋण वसूली
- वित्तपोषण मॉडल :
- राज्य सरकारों के माध्यम से या NCDC के प्रत्यक्ष वित्तपोषण दिशानिर्देशों के आधार पर ऋण
- दीर्घकालिक ऋण: परियोजनाओं की स्थापना, आधुनिकीकरण एवं विस्तार के लिए
- कार्यशील पूंजी: सहकारी समितियों के कुशल एवं लाभकारी संचालन के लिए
- लक्ष्य : सहकारी समितियों की क्षमता बढ़ाना, उत्पादकता एवं लाभ में वृद्धि और रोजगार सृजन
प्रभाव
- आर्थिक प्रभाव : पूंजीगत परिसंपत्तियों का सृजन और कार्यशील पूंजी तरलता में सुधार
- सामाजिक प्रभाव : लोकतंत्र, समानता एवं सामुदायिक सरोकारों के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक अंतर को कम करना
- महिलाओं की भागीदारी : महिला सहकारी समितियों को प्रोत्साहन से कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना
- रोजगार सृजन : विभिन्न कौशल स्तरों पर रोजगार के अवसर, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में
- कृषक लाभ : सहकारी सदस्यों की आर्थिक स्थिति में सुधार और उत्पादकता में वृद्धि
भारत में सहकारिता क्षेत्र
- सहकारिता क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक उत्थान, अवसंरचना विकास और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारत में 8.25 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ हैं जिनके 29 करोड़ से अधिक सदस्य हैं।
- 94% किसान किसी-न-किसी रूप में सहकारी समितियों से जुड़े हैं।
- सहकारी समितियां ऋण और बैंकिंग, उर्वरक, चीनी, डेयरी, विपणन, उपभोक्ता वस्तुएँ, हथकरघा, हस्तशिल्प, मत्स्य पालन एवं आवास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के बारे में
- स्थापना : वर्ष 1963 में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम अधिनियम, 1962 के तहत
- कानून : NCDC अधिनियम, 1962 सहकारी समितियों के विकास के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने का आधार है।
- उद्देश्य :
- सहकारी समितियों के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करना
- ग्रामीण एवं कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करना
- सामाजिक-आर्थिक समावेशिता को बढ़ावा देना
- कार्य :
- सहकारी समितियों को ऋण और अनुदान प्रदान करना
- परियोजनाओं की स्थापना, आधुनिकीकरण एवं विस्तार में सहायता
- कार्यशील पूंजी और अवसंरचना विकास के लिए वित्तपोषण
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का संचालन
- सहकारी समितियों की निगरानी एवं मूल्यांकन
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